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नाले-नालियों का अधूरा प्रोजेक्ट 'खतरनाक' - याचिकाकर्ता धीरज ठाकुर

जबलपुर शहर में नाले-नालियों का अधूरा प्रोजेक्ट लोगों के लिए परेशानी का सबब बनता जा रहा हैं, जिससे लगातार बीमारी फैलने का खतरा बना हुआ हैं.

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नाले-नालियों का अधूरा प्रोजेक्ट
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Published : May 3, 2021, 10:25 PM IST

Updated : May 5, 2021, 2:59 PM IST

जबलपुर। लगभग 15 लाख की आबादी वाले शहर में कई नाले-नालियां ऐसे हैं, जो खुले ही हैं. इसकी वजह से हर साल दुर्घटनाओं की आशंका बनी रहती हैं. इनको कवर करने का प्रोजेक्ट नगर निगम का था, जिसकी लागत लगभग 400 करोड़ रुपये थी.

शहर का आम आदमी इन खुले नाले-नालियों की वजह से साल भर परेशानी भोगता है. इससे बीमारी फैलने का खतरा लगातार बना रहता हैं, लेकिन इस ओर सुध लेने वाला कोई नहीं हैं.

लार्सन एंड टर्बो के पास था ठेका
बड़े और छोटे नालों को पक्का करने और इन्हें ऊपर से कवर करने का ठेका लार्सन एवं टर्बो कंपनी को मिला था. कंपनी को पूरा पैसा दे दिया गया हैं, लेकिन इसके बावजूद भी काम अधूरा है. कई नालियों और छोटे नालों का मिलान बड़े नालों से नहीं किया गया हैं. इसकी वजह से हर साल दुर्घटनाओं की आशंका बनी रहती हैं.

नाले-नालियों का अधूरा प्रोजेक्ट
कई जगहों पर खुले पड़े हैं नालेशहर के कई हिस्सों में बड़े नाले खुले पड़े हैं. इनको भूमि विवाद की वजह से बंद नहीं किया जा सका है. इसकी वजह से कई जगहों में गंदगी फैली हुई हैं.परेशान लोग कोर्ट पहुंचेसाल भर तो इन नाले-नालियों से लोगों को परेशानी नहीं होती, लेकिन बरसात के समय यहीं नाले परेशानी का सबब बन जाते हैं. इनके ओवरफ्लो की वजह से लोगों की गृहस्ती बर्बाद हो जाती हैं. घरों में पानी भर जाता हैं. इस समस्या को लेकर लोगों ने पहले नगर निगम में अपनी आवाज बुलंद की. इसके बाद जिला प्रशासन को भी ज्ञापन सौंपा. जब उनकी बात नहीं सुनी गई, तो कई लोग एक साथ हाईकोर्ट पहुंच गए. हाईकोर्ट में फिलहाल इस मामले पर सुनवाई चल रही हैं. कोर्ट ने पूरे नालों की वीडियोग्राफी करवाई है, लेकिन कोरोना वायरस की वजह से सुनवाई अभी अधूरी है. वहीं याचिकाकर्ता धीरज ठाकुर ने कहा कि पहले इतनी समस्या नहीं होती थी, लेकिन अभी-अभी होने लगी हैं. जहां देखो वहां पानी भर जा रहा हैं. कोर्ट में मामला होने की वजह से अधिकारी जवाब नहीं देतेनाले-नालियों की समस्या से आम आदमी को होने वाली परेशानी पर अधिकारी जवाब देने से बचते हैं. इस मुद्दे पर उनका कहना है कि मामला कोर्ट में चल रहा है. इसलिए वे इस मुद्दे पर बाहर बात नहीं कर सकते.

जबलपुर। लगभग 15 लाख की आबादी वाले शहर में कई नाले-नालियां ऐसे हैं, जो खुले ही हैं. इसकी वजह से हर साल दुर्घटनाओं की आशंका बनी रहती हैं. इनको कवर करने का प्रोजेक्ट नगर निगम का था, जिसकी लागत लगभग 400 करोड़ रुपये थी.

शहर का आम आदमी इन खुले नाले-नालियों की वजह से साल भर परेशानी भोगता है. इससे बीमारी फैलने का खतरा लगातार बना रहता हैं, लेकिन इस ओर सुध लेने वाला कोई नहीं हैं.

लार्सन एंड टर्बो के पास था ठेका
बड़े और छोटे नालों को पक्का करने और इन्हें ऊपर से कवर करने का ठेका लार्सन एवं टर्बो कंपनी को मिला था. कंपनी को पूरा पैसा दे दिया गया हैं, लेकिन इसके बावजूद भी काम अधूरा है. कई नालियों और छोटे नालों का मिलान बड़े नालों से नहीं किया गया हैं. इसकी वजह से हर साल दुर्घटनाओं की आशंका बनी रहती हैं.

नाले-नालियों का अधूरा प्रोजेक्ट
कई जगहों पर खुले पड़े हैं नालेशहर के कई हिस्सों में बड़े नाले खुले पड़े हैं. इनको भूमि विवाद की वजह से बंद नहीं किया जा सका है. इसकी वजह से कई जगहों में गंदगी फैली हुई हैं.परेशान लोग कोर्ट पहुंचेसाल भर तो इन नाले-नालियों से लोगों को परेशानी नहीं होती, लेकिन बरसात के समय यहीं नाले परेशानी का सबब बन जाते हैं. इनके ओवरफ्लो की वजह से लोगों की गृहस्ती बर्बाद हो जाती हैं. घरों में पानी भर जाता हैं. इस समस्या को लेकर लोगों ने पहले नगर निगम में अपनी आवाज बुलंद की. इसके बाद जिला प्रशासन को भी ज्ञापन सौंपा. जब उनकी बात नहीं सुनी गई, तो कई लोग एक साथ हाईकोर्ट पहुंच गए. हाईकोर्ट में फिलहाल इस मामले पर सुनवाई चल रही हैं. कोर्ट ने पूरे नालों की वीडियोग्राफी करवाई है, लेकिन कोरोना वायरस की वजह से सुनवाई अभी अधूरी है. वहीं याचिकाकर्ता धीरज ठाकुर ने कहा कि पहले इतनी समस्या नहीं होती थी, लेकिन अभी-अभी होने लगी हैं. जहां देखो वहां पानी भर जा रहा हैं. कोर्ट में मामला होने की वजह से अधिकारी जवाब नहीं देतेनाले-नालियों की समस्या से आम आदमी को होने वाली परेशानी पर अधिकारी जवाब देने से बचते हैं. इस मुद्दे पर उनका कहना है कि मामला कोर्ट में चल रहा है. इसलिए वे इस मुद्दे पर बाहर बात नहीं कर सकते.
Last Updated : May 5, 2021, 2:59 PM IST
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