जबलपुर। परिवार परामर्श केंद्र (family counseling center) में दूसरे कोरोना काल (corona period) में अब तक 800 मामले (Case) सामने आ चुके हैं, जिनमें अधिकतर मामले पति-पत्नी विवाद (husband and wife dispute) के हैं. केंद्र के काउंसलर अंशुमान शुक्ला (Anshuman Shukla) का कहना है कि लगभग इतने ही मामले जिले के दूसरे थानों (Thano) में भी आ चुके हैं. सामान्य तौर पर पारिवारिक विवाद (family dispute) के ज्यादा मामले नहीं होते थे, लेकिन कोरोना काल में इन मामलों में वृद्धि दर्ज की गई है.
अंशुमान शुक्ला का कहना है कि उनके पास रोज ऐसे मामले आ रहे हैं, जिसमें पति प्रताड़ित हैं, हालांकि पतियों (Wife) के लिए कोई कानून नहीं है, लेकिन इसके बावजूद पति (Husband) अपनी शिकायत तो पेश कर ही सकता है. इस पर जब अध्ययन किया गया तो पता लगा कि कोरोना वायरस (coronavirus) के संकट काल में जब लोगों की आर्थिक स्थिति बिगड़ी तो ढेर सारी पत्नियां ऐसी सामने आई जो किसी न किसी वजह से ससुराल में रहने को तैयार नहीं हैं. अंशुमान शुक्ला का कहना है कि कई लोगों ने इस बात की शिकायत की है की पारिवारिक विवाद की वजह से उनकी तबीयत खराब हो गई और उनका वजन कम हो गया.
गरीब परिवारों में किस्त से शुरू हुई कलह
अमीर और मध्यमवर्गीय परिवारों में बहुत सारे लोगों की नौकरी जाने की वजह से पत्नियां घर छोड़कर चली गई या विवाद कर रही हैं, लेकिन गरीब परिवारों में कोरोना वायरस के संकट काल के दौरान कामकाज बंद होने की वजह से किस्त भी कलह की वजह बन गया. ज्यादातर लोगों ने माइक्रोफाइनेंस कंपनियों से पैसे लिए थे. इसका उपयोग काम धंधे में करने की वजह है मोटरसाइकिल लेने में या मोबाइल लेने में कर लिया. कोरोना संकट काल आया तब लोगों की किस्त नहीं जा पाई और परिवार में विवाद शुरू हो गए. ऐसे बहुत सारे मामले परिवार परामर्श केंद्र में पहुंचे हैं.
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थाने परिवार का विवाद सुलझाने की जगह नहीं
परिवार परामर्श केंद्र में लंबे समय से लोगों को सलाह देने वाले अंशुमान भार्गव का कहना है कि थानों में आकर लोग सोचते हैं, कि उनकी समस्या का कोई समाधान हो जाएगा. भार्गव का कहना है कि थाने, कोर्ट कचहरी समस्याओं को खत्म नहीं कर पाते. इसलिए लोगों को परिवार के भीतर ही अपनी समस्याएं सुलझा लेनी चाहिए. जब कुछ अमानवीय घटने लगे तब सभी के लिए कानून के दरवाजे खुले हैं.