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Holi 2023: कर्मों का हिसाब रखने वाले देवता चित्रगुप्त की जबलपुर में होली पर विशेष पूजा

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Published : Mar 10, 2023, 2:19 PM IST

जबलपुर में चित्रगुप्त महाराज का विशेष मंदिर है. यहां होली पर चित्रगुप्त महाराज की विशेष पूजा की जाती है. चित्रगुप्त महाराज कलम और दवात के देवता हैं. ऐसा माना जाता है कि चित्रगुप्त कर्मों का हिसाब रखते हैं.

Holi 2023
देवता चित्रगुप्त की जबलपुर में होली पर विशेष पूजा

जबलपुर। होली के दूसरे दिन भगवान चित्रगुप्त की पूजा की जाती है. चित्रगुप्त महाराज लेखा जोखा के देवता माने जाते हैं. जबलपुर में भगवान चित्रगुप्त का ढाई सौ साल पुराना मंदिर है. यहां होली के ठीक दूसरे दिन कायस्थ समाज के लोग विशेष रूप से पूजन अर्चन करने आते हैं. भगवान ब्रह्मा के मानस पुत्र चित्रगुप्त महाराज के बारे में कहा जाता है कि इनका जन्म भगवान ब्रह्मा के मानस पुत्र माने जाते हैं. हिंदुओं में अक्सर आपने कहते हुए सुना होगा एक दिन सब के पापों का हिसाब होगा जब ऐसा कहा जाता है. तब दरअसल हम चित्रगुप्त महाराज के बारे में बात कर रहे होते हैं.

100 साल से चित्रगुप्त महाराज की पूजा : गरुड़ पुराण में इस बात का उल्लेख है कि यमलोक में पहुंचने वाले हर आत्मा का हिसाब किताब रखा जाता है और पाप पुण्य के हिसाब से उसकी दशा तय होती है कि वह स्वर्ग जाएगा या नरक जाएगा. यह काम यमलोक में चित्रगुप्त महाराज करते हैं. जबलपुर के अलावा खजुराहो में भी भगवान चित्रगुप्त का सदियों पुराना मंदिर है. भारत के अलावा थाईलैंड में भी हिंदू मंदिरों में चित्रगुप्त महाराज की पूजा की जाती है. कुछ लोगों को इस बात पर भरोसा ना हो लेकिन एक दिन सब का हिसाब होगा यह बात समाज में नैतिकता बनाए रखने के लिए बहुत जरूरी है और इस डर से लोग पाप करने से बचते हैं. इसीलिए जबलपुर में बीते लगभग 100 सालों से चित्रगुप्त महाराज की पूजा होती है. यहां फूटा ताल के पास एक छोटा सा मंदिर है. इसका निर्माण जबलपुर के पुराने मालगुजार ने करवाया था. तब से इस मंदिर की पूजा पाठ का सिलसिला बदस्तूर जारी है. होली के दूसरे दिन यहां विशेष पूजन का आयोजन किया जाता है और खास तौर पर कायस्थ समाज के लोग यहां पहुंचते हैं.

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बिना लेखनी के समाज कैसे चलेगा : कलम और दवात के देवता चित्रगुप्त महाराज की पूजा करने के लिए आए लोगों का कहना है कि समाज बिना लेखनी के नहीं चल सकता. चित्रगुप्त महाराज कलम और दवात के देवता माने जाते हैं. समाज को यदि व्यवस्थित रूप से चलाना है तो कलम और दवात की पूजा करना जरूरी है. इसीलिए चित्रगुप्त महाराज की पूजा की जाती है. संभवतः कलम और दवात की पूजन की वजह से ही हिंदू धर्म ग्रंथों का निर्माण हो पाया होगा और हिंदू समाज दुनिया के दूसरे धर्म के लोगों की बजाए ज्ञान के क्षेत्र में ज्यादा आगे रहा.

जबलपुर। होली के दूसरे दिन भगवान चित्रगुप्त की पूजा की जाती है. चित्रगुप्त महाराज लेखा जोखा के देवता माने जाते हैं. जबलपुर में भगवान चित्रगुप्त का ढाई सौ साल पुराना मंदिर है. यहां होली के ठीक दूसरे दिन कायस्थ समाज के लोग विशेष रूप से पूजन अर्चन करने आते हैं. भगवान ब्रह्मा के मानस पुत्र चित्रगुप्त महाराज के बारे में कहा जाता है कि इनका जन्म भगवान ब्रह्मा के मानस पुत्र माने जाते हैं. हिंदुओं में अक्सर आपने कहते हुए सुना होगा एक दिन सब के पापों का हिसाब होगा जब ऐसा कहा जाता है. तब दरअसल हम चित्रगुप्त महाराज के बारे में बात कर रहे होते हैं.

100 साल से चित्रगुप्त महाराज की पूजा : गरुड़ पुराण में इस बात का उल्लेख है कि यमलोक में पहुंचने वाले हर आत्मा का हिसाब किताब रखा जाता है और पाप पुण्य के हिसाब से उसकी दशा तय होती है कि वह स्वर्ग जाएगा या नरक जाएगा. यह काम यमलोक में चित्रगुप्त महाराज करते हैं. जबलपुर के अलावा खजुराहो में भी भगवान चित्रगुप्त का सदियों पुराना मंदिर है. भारत के अलावा थाईलैंड में भी हिंदू मंदिरों में चित्रगुप्त महाराज की पूजा की जाती है. कुछ लोगों को इस बात पर भरोसा ना हो लेकिन एक दिन सब का हिसाब होगा यह बात समाज में नैतिकता बनाए रखने के लिए बहुत जरूरी है और इस डर से लोग पाप करने से बचते हैं. इसीलिए जबलपुर में बीते लगभग 100 सालों से चित्रगुप्त महाराज की पूजा होती है. यहां फूटा ताल के पास एक छोटा सा मंदिर है. इसका निर्माण जबलपुर के पुराने मालगुजार ने करवाया था. तब से इस मंदिर की पूजा पाठ का सिलसिला बदस्तूर जारी है. होली के दूसरे दिन यहां विशेष पूजन का आयोजन किया जाता है और खास तौर पर कायस्थ समाज के लोग यहां पहुंचते हैं.

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