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हाईकोर्ट ने अपराधियों के मकान तोड़ने की याचिका को जनहित का नहीं माना - हाई कोर्ट जबलपुर की खबरें

मध्यप्रदेश के विभिन्न शहरों में आपराधिक प्रकरण दर्ज होने के बाद प्रशासन द्वारा आरोपियों के घर को बुल्डोजर से तोड़ने के खिलाफ हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गयी थी. हाईकोर्ट ने इस मुददे को जनहित का नहीं मानते हुए याचिका को खारिज कर दिया. (bulldozer on criminals house) (Court not consider petition of bulldozer action)

bulldozer on criminals house
अपराधियों के मकान तोड़ने के खिलाफ याचिका
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Published : Apr 21, 2022, 12:35 PM IST

जबलपुर। प्रदेश के विभिन्न शहरों में अपराधियों के मकानों पर राज्य सरकार बुलडोजर चलवा रही है. सरकार का तर्क है कि अवैध कब्जे हटाए जा रहे हैं. राज्य सरकार के इस कदम के खिलाफ हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गयी थी. हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमठ तथा जस्टिस पी के कौरव ने संबंधित मुददे को जनहित का नहीं मानते हुए याचिका को खारिज कर दिया.

अखबारों में प्रकाशित खबरों की प्रतियां : अधिवक्ता अमिताभ गुप्ता की तरफ से दायर की गई याचिका में कहा गया था कि प्रदेश के विभिन्न जिलों में आपराधिक प्रकरण दर्ज होने पर आरोपियों का घर को तोड़ने की कार्रवाई पुलिस व प्रशासन द्वारा की जा रही है. याचिका के साथ इंदौर, भोपाल, उज्जैन, खरगौन सहित अन्य जिलों की कार्रवाई के संबंध में अखबारों में प्रकाशित खबरों की प्रतियां पेश की गई थीं. याचिका में कहा गया था कि बिना सुनवाई का अवसर दिए आपराधिक प्रकरण दर्ज होने पर आरोपियों के घरों को बुल्डोजर से गिराने की कार्रवाई अवैधानिक है.

धनुष तोप मामले में संदेही एससी खटुआ की मौत का मामला हत्या का नहीं, आत्महत्या है !

अवैध निर्माण पर कार्रवाई की दुहाई : याचिका में कहा गया था कि इस तरह की कार्रवाई से लोगों के मन में भय उत्पन्न होता है. अतिरिक्त महाधिवक्ता आशीष आनंद बर्नाड ने बताया कि याचिका की सुनवाई के दौरान युगलपीठ को बताया गया कि प्रशासन द्वारा अवैध निर्माण पर कार्रवाई की गई है. याचिकाकर्ता ने सिर्फ अखबारों में प्रकाशित खबरों के आधार पर याचिका दायर की है. कार्रवाई के खिलाफ संबंधित पक्ष ने किसी प्रकार की कोई याचिका दायर नहीं की है. युगलपीठ ने उठाए गए मुददे की सुनवाई जनहित का नहीं माना. (bulldozer on criminals house)

(Court not consider petition of bulldozer action)

जबलपुर। प्रदेश के विभिन्न शहरों में अपराधियों के मकानों पर राज्य सरकार बुलडोजर चलवा रही है. सरकार का तर्क है कि अवैध कब्जे हटाए जा रहे हैं. राज्य सरकार के इस कदम के खिलाफ हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गयी थी. हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमठ तथा जस्टिस पी के कौरव ने संबंधित मुददे को जनहित का नहीं मानते हुए याचिका को खारिज कर दिया.

अखबारों में प्रकाशित खबरों की प्रतियां : अधिवक्ता अमिताभ गुप्ता की तरफ से दायर की गई याचिका में कहा गया था कि प्रदेश के विभिन्न जिलों में आपराधिक प्रकरण दर्ज होने पर आरोपियों का घर को तोड़ने की कार्रवाई पुलिस व प्रशासन द्वारा की जा रही है. याचिका के साथ इंदौर, भोपाल, उज्जैन, खरगौन सहित अन्य जिलों की कार्रवाई के संबंध में अखबारों में प्रकाशित खबरों की प्रतियां पेश की गई थीं. याचिका में कहा गया था कि बिना सुनवाई का अवसर दिए आपराधिक प्रकरण दर्ज होने पर आरोपियों के घरों को बुल्डोजर से गिराने की कार्रवाई अवैधानिक है.

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अवैध निर्माण पर कार्रवाई की दुहाई : याचिका में कहा गया था कि इस तरह की कार्रवाई से लोगों के मन में भय उत्पन्न होता है. अतिरिक्त महाधिवक्ता आशीष आनंद बर्नाड ने बताया कि याचिका की सुनवाई के दौरान युगलपीठ को बताया गया कि प्रशासन द्वारा अवैध निर्माण पर कार्रवाई की गई है. याचिकाकर्ता ने सिर्फ अखबारों में प्रकाशित खबरों के आधार पर याचिका दायर की है. कार्रवाई के खिलाफ संबंधित पक्ष ने किसी प्रकार की कोई याचिका दायर नहीं की है. युगलपीठ ने उठाए गए मुददे की सुनवाई जनहित का नहीं माना. (bulldozer on criminals house)

(Court not consider petition of bulldozer action)

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