जबलपुर। जबलपुर शहर की मदन महल सहित अन्य पहाड़ियों में अतिक्रमण के संबंधी में कोर्ट मित्र द्वारा बुधवार को हाई कोर्ट में निरीक्षण रिपोर्ट पेश की गई. हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमठ तथा जस्टिस पी के कौरव की युगलपीठ ने जिला कलेक्टर तथा निगमायुक्त को आदेश दिया है कि वह कोर्ट मित्र को मानदेय के रूप में एक-एक लाख का भुगतान करें. याचिका पर अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद निर्धारित की गई है. गौरतलब है कि शहर की पहाड़ियों में अतिक्रमण को चुनौती देते हुए नागरिक उपभोक्ता मंच, किशीरी लाल भलावी, जकी अहमद सहित 14 लोगों द्वारा हाई कोर्ट में याचिकाएं दायर की गई थीं.
पहाड़ियों का अभी तक सर्वे नहीं किया : याचिकाओं पर पूर्व में हुई सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट को बताया गया था कि महल पहाड़ी पर 5 सौ अतिक्रमण शेष थे, जिनमें से 2 सौ हटाए जा चुके हैं. शेष अतिक्रमणों को हटाए जाने की कार्रवाई की जा रही है. सरकार की तरफ से परिपालन रिपोर्ट पेश करने के लिए समय प्रदान करने का आग्रह किया गया था. याचिकाकर्ताओं की विरोध करते हुए न्यायालय को बताया गया था कि मदनमहल व सूपाताल की पहाडिय़ों में पुनः अतिक्रमण हो गये हैं. राजस्व अधिकारियों की उदासीनता और मिलीभगत से पुनः अतिक्रमण किये जा रहे हैं. शहर की पहाड़ियों का अभी तक सर्वे नहीं किया गया है.
बदनपुर दानव बाबा की पहाड़ी पर 41 अवैध डुप्लेक्स : बदनपुर दानव बाबा की पहाड़ी पर 41 अवैध डुप्लेक्स बिल्डरों ने बना रखे हैं, जिसको तोड़ने के लिये दो साल पहले समय लिया गया था, लेकिन अभी तक उन्हें हटाया नहीं गया है. जिस आरआई व तहसीलदार ने शासकीय भूमि व पहाड़ी पर निर्माण की अनुमति दी, उन पर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई. न्यायालय ने पहाड़ियों का सर्वे करने के निर्देश देते हुए इसके लिए कोर्ट मित्र अधिवक्ता आदित्य अधिकारी को नियुक्त किया था. न्यायालय ने उन्हें पुलिस सुरक्षा प्रदान करने के आदेश भी जारी किये थे. याचिकाकर्ताओं की तरफ से अधिवक्ता सतीश वर्मा, अधिवक्ता जकी अहमद ने पैरवी की.
रातापानी टाइगर रिजर्व से लगी जमीन का मामला : रातापानी टाइगर रिजर्व से लगी जमीन को कौड़ियों के भाव फाइव स्टार होटल, रिसॉर्ट, स्वीमिंग पूल आदि अन्य निर्माण के लिए दिये जाने के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई है. याचिका में कहा गया है कि जिस जमीन का आवंटन किया जा रहा है, उसमें लगभग 25 हजार सागौन के पेड़ लगे हैं. इनका मूल्य लगभग 100 करोड रुपये है और जमीन का आवंटन सिर्फ दो करोड़ रुपये में किया गया है. याचिका की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमठ तथा जस्टिस पी के कौरव की युगलपीठ ने अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. अचल सिंह की तरफ से दायर की गयी याचिका में कहा गया था कि रातापानी टाईगर रिजर्व से लगी हुई सीहोर जिले की लगभग 50 लाख वर्गफुट जमीन पर्यटन विभाग ने तीन चरणों में फाइव स्टार होटल, रिसॉर्ट, स्वीमिंग पुल सहित अन्य प्रयोजन के लिए आवंटित किया गया है. याचिकाकर्ता के अधिवक्ता राजेश पंचौली ने बताया कि याचिका में कहा गया है कि सरकार द्वारा उक्त भूमि को सीलिंग का बताया गया है. सुनवाई के बाद युगलपीठ ने अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.
लेमा गॉर्डन में बने मकानों से अवैध कब्जा क्यों नहीं हटे : हाईकोर्ट ने पूर्व आदेश के बावजूद भी अब तक लेमा गॉर्डन के प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बने मकानों से अवैध कब्जा न हटने के मामले को गंभीरता से लिया है. चीफ जस्टिस रवि विजय मलिमथ व जस्टिस पुरुषेन्द्र कौरव की युगलपीठ ने मामले में सुनवाई करते हुए जबलपुर कलेक्टर को शोकाज नोटिस जारी कर पूछा है कि अब तक अवैध कब्जे क्यों नहीं हटाये गए. मामले की अगली सुनवाई एक सप्ताह बाद 22 मार्च को निर्धारित की गई है. यह जनहित याचिका पूर्व पार्षद मुरली दुबे की ओर से दायर की गई है. याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता नितेश द्विवेदी ने पक्ष रखा.
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आदिवासी बाहुल्य इलाकों में सिर्फ कागजों में नर्सिंग कॉलेज : प्रदेश के आदिवासी बाहुल्य इलाकों में सिर्फ कागजों में नर्सिंग कॉलेज संचालित होने को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गयी थी. याचिका की सुनवाई के दौरान कथित तौर पर संचालित कॉलेजों को अनावेदक बनाने के निर्देश दिये गए थे. हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमठ तथा जस्टिस पी के कौरव की युगलपीठ ने अनावेदक बनाये गये सात नर्सिंग कॉलेजों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. याचिका पर अगली सुनवाई 13 अप्रैल को निर्धारित की गयी है.
15 दिन में युवती के संबंध में रिपोर्ट पेश करें : बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने युवती को अपनी मर्जी के अनुसार रहने की स्वतंत्रता प्रदान की है. हाईकोर्ट ने जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड होशंगाबाद को निर्देशित किया था कि 15 दिनों में युवती के संबंध में रिपोर्ट पेश करें. होशंगाबाद निवासी इटारसी निवासी फैसल खान की तरफ से दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका में कहा गया था कि उसकी प्रेमिका जो हिन्दू है, उसे जबरजस्ती नारी निकेतन में रखा गया है. याचिकाकर्ता की तरफ से पेश किये गये हलफनामे में कहा गया था कि दोनो अपने धर्म को मानने स्वतंत्र हैं. याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता मोहम्मद रिजवान खान ने पैरवी की. (High Court Jabalpur rebuke) (41 illegal duplexes on the hill)