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पुलिस कर्मियों के हालात का हाई कोर्ट ने लिया स्वत: संज्ञान, प्रदेश सरकार से किया जवाब तलब

स्वत: संज्ञान लेते हुए हाईकोर्ट ने पुलिस कर्मियों के हालात पर प्रदेश सरकार से सवाल किये है, जिसका जवाब देने के लिए सरकार ने 4 सप्ताह का समय मांगा है.

उपमहाधिवक्ता, मप्र शासन
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Published : Jun 22, 2019, 4:11 PM IST

जबलपुर। पुलिस कर्मियों के हालात पर हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए प्रदेश सरकार से जवाब तलब किया है. कोर्ट ने मध्यप्रदेश सरकार से पुलिस बल की स्थिती के बारे में सवाल किया है. हाईकोर्ट ने पूछा है कि प्रतिलाख आबादी पर कितने पुलिसकर्मी तैनात हैं. पुलिस कर्मी कितने घंटे काम करते है और उपद्रव के दौरान वाले नुकसान की भरपाई कैसे की जाती है. इन्ही सब मुद्दों पर हाईकोर्ट ने मध्यप्रदेश सरकार से जबाव मांगा है.

पुलिस की हालत पर हाईकोर्ट ने किया प्रदेश सरकार से सवाल

मध्यप्रदेश में पुलिस की भारी कमी है, समाज में नशा अपराध और गैरकानूनी कारोबार होने की एक बड़ी वजह पुलिस की कमी है. हाईकोर्ट ने इस बात का जिक्र किया है कि प्रदेश के पुलिस विभाग की तमाम गतिविधियों को हाईकोर्ट की निगरानी में पूरा करना होगा. राज्य सरकार ने इस मामले में 4 सप्ताह का समय मांगा है. 4 सप्ताह बाद राज्य सरकार हाईकोर्ट में अपनी स्थिति साफ करेगी.

हालाकी भले ही सुप्रीम कोर्ट आदेश दे या हाई कोर्ट प्रदेश सरकार से सवाल करे. प्रदेश सरकार के बजट में पैसा नहीं होगा तो पुलिस कर्मियों की भर्ती नहीं की जा सकती. सुरक्षा व्यवस्था पुख्ता करना है, तो पहले राज्य सरकार को अपना खजाना भरना होगा.

  • सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान लिया है और प्रदेश सरकार से सवाल किये है.
  • हाई कोर्ट ने सरकार की दशा के बारे में सवाल किये
  • देशभर में पुलिसकर्मी सुरक्षीत महसूस करे यही है सुप्रीम कोर्ट का उद्देश्य
  • प्रतिलाख आबादी पर कितने पुलिसकर्मी तैनात हैं हाई कोर्ट का सवाल
  • राज्य सरकार ने जवाब देने के लिए 4 सप्ताह का समय मांगा है
  • प्रदेश में पुलिस कर्मियो की भारी कमी

जबलपुर। पुलिस कर्मियों के हालात पर हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए प्रदेश सरकार से जवाब तलब किया है. कोर्ट ने मध्यप्रदेश सरकार से पुलिस बल की स्थिती के बारे में सवाल किया है. हाईकोर्ट ने पूछा है कि प्रतिलाख आबादी पर कितने पुलिसकर्मी तैनात हैं. पुलिस कर्मी कितने घंटे काम करते है और उपद्रव के दौरान वाले नुकसान की भरपाई कैसे की जाती है. इन्ही सब मुद्दों पर हाईकोर्ट ने मध्यप्रदेश सरकार से जबाव मांगा है.

पुलिस की हालत पर हाईकोर्ट ने किया प्रदेश सरकार से सवाल

मध्यप्रदेश में पुलिस की भारी कमी है, समाज में नशा अपराध और गैरकानूनी कारोबार होने की एक बड़ी वजह पुलिस की कमी है. हाईकोर्ट ने इस बात का जिक्र किया है कि प्रदेश के पुलिस विभाग की तमाम गतिविधियों को हाईकोर्ट की निगरानी में पूरा करना होगा. राज्य सरकार ने इस मामले में 4 सप्ताह का समय मांगा है. 4 सप्ताह बाद राज्य सरकार हाईकोर्ट में अपनी स्थिति साफ करेगी.

हालाकी भले ही सुप्रीम कोर्ट आदेश दे या हाई कोर्ट प्रदेश सरकार से सवाल करे. प्रदेश सरकार के बजट में पैसा नहीं होगा तो पुलिस कर्मियों की भर्ती नहीं की जा सकती. सुरक्षा व्यवस्था पुख्ता करना है, तो पहले राज्य सरकार को अपना खजाना भरना होगा.

  • सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान लिया है और प्रदेश सरकार से सवाल किये है.
  • हाई कोर्ट ने सरकार की दशा के बारे में सवाल किये
  • देशभर में पुलिसकर्मी सुरक्षीत महसूस करे यही है सुप्रीम कोर्ट का उद्देश्य
  • प्रतिलाख आबादी पर कितने पुलिसकर्मी तैनात हैं हाई कोर्ट का सवाल
  • राज्य सरकार ने जवाब देने के लिए 4 सप्ताह का समय मांगा है
  • प्रदेश में पुलिस कर्मियो की भारी कमी
Intro:मध्यप्रदेश में अभी भी तय मानकों से कम है पुलिसकर्मी बड़ी तादाद में खाली हैं पुलिस के पद हाईकोर्ट ने सुमोटो लेते हुए डायर की जनहित याचिका प्रदेश सरकार से 4 सप्ताह में मांगा जवाब


Body:जबलपुर भारत भर में पुलिस की बहुत कमी है इसलिए पुलिसकर्मियों को जरूरत से ज्यादा काम करना पड़ता है इसका असर न सिर्फ उनकी सेहत पर बल्कि उनके कामकाज पर भी पड़ता है समाज में पुलिस की छवि रक्षक की होनी चाहिए लेकिन ऐसा नहीं है और इस छवि को सुधारने के लिए पुलिस को ज्यादा सशक्त बनाने के लिए जरूरी कदम उठाए जाने चाहिए इस आशय की एक जनहित याचिका सुप्रीम कोर्ट में दिल्ली के एक शख्स ने लगाई थी इस पर सुप्रीम कोर्ट ने आदेश देते हुए इसको अलग-अलग राज्यों को भेजा और हाई कोर्ट को आदेशित किया है कि वे अपनी निगरानी में पुलिस विभाग को दुरुस्त करें

मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने भी इसी आदेश को मानते हुए एक सो मोटो लिया है और एक जनहित याचिका दायर की है इसमें सरकार से पूछा गया है कि मध्य प्रदेश में अभी प्रति लाख आबादी पर कितना पुलिस बल तैनात है पुलिस कर्मी कितने घंटे काम करते हैं सोशल पुलिसिंग की क्या स्थिति है उपद्रव के दौरान पुलिस का जो नुकसान होता है उसकी भरपाई कैसे की जाती है इन सब मुद्दों पर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से जवाब मांगा है

यह जनहित याचिका जब लगाई गई थी तब मध्य प्रदेश में प्रति लाख आबादी पर 112 पुलिसकर्मी थे जबकि यूनाइटेड नेशंस की थ्योरी के अनुसार 222 पुलिसकर्मी प्रति लाख आबादी पर होने चाहिए इस हिसाब से देखा जाए तो मध्यप्रदेश में पुलिस की भारी कमी है समाज में नशा अपराध और गैरकानूनी कारोबार होने की एक बड़ी वजह पुलिस की कमी है जनहित याचिका में इस बात का जिक्र है कि प्रदेश के पुलिस विभाग की तमाम गतिविधियों को हाई कोर्ट की निगरानी में पूरा करना होगा राज्य सरकार ने इस मामले में 4 सप्ताह का समय मांगा है 4 सप्ताह बाद राज्य सरकार हाई कोर्ट में अपनी स्थिति साफ करेगी


Conclusion:हालाकी भले ही सुप्रीम कोर्ट आदेश दे दे या यूनाइटेड नेशन का आंकड़ा कुछ भी हो यदि प्रदेश सरकार के बजट में पैसा नहीं होगा तो पुलिस कर्मियों की भर्ती नहीं की जा सकती जाहिर सी बात है की यदि सुरक्षा व्यवस्था पुख्ता करना है तो पहले राज्य सरकार को अपना खजाना भरना होगा अब देखना यह है कि राज्य सरकार इस मामले में क्या जवाब पेश करती है बाइट प्रवीण दुबे उप महाधिवक्ता मध्य प्रदेश शासन
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