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6 जिलों को हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ में शामिल करने की तैयारी, विरोध में जबलपुर के वकीलों ने खोला मोर्चा - हाईकोर्ट बार एसोसिएशन

हरदा हरसूद, बुरहानपुर, सीहोर, आष्टा और खंडवा को इंदौर खंडपीठ में शामिल किए जाने की एक चिट्ठी जारी हुई है, जिसका हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने विरोध किया और एक दिन का प्रतिवाद दिवस भी मनाया.

वकीलों का विरोध
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Published : Sep 3, 2019, 7:05 PM IST

जबलपुर। 6 जिलों को हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ में शामिल करने को लेकर प्रदेश सरकार के विधि एवं विधाई विभाग से जारी हुई चिट्टी के बाद जबलपुर के वकीलों ने मोर्चा खोल दिया है.

मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में हड़ताल


प्रदेश सरकार के इस फैसले के विरोध में वकीलों को हाईकोर्ट बार एसोसिएशन का भी साथ मिल रहा है. हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने मंगलवार को प्रतिवाद दिवस मनाया है. कोई भी वकील कोर्ट में पैरवी करने नहीं पहुंचा. जिससे वहां पहुंचे लोग परेशान होते रहे.


वकीलों का कहना है कि यदि प्रदेश सरकार अपना फैसला वापस नहीं लेती है, तो वे इसके विरोध में आंदोलन करेंगे. दरअसल, हरदा, हरसूद, बुरहानपुर, सीहोर, आष्टा और खंडवा जिले अब तक हाईकोर्ट की जबलपुर मुख्य पीठ में शामिल थे. जो चिट्ठी मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को प्राप्त हुई है, उसमें हरदा हरसूद, बुरहानपुर, सीहोर, आष्टा और खंडवा को इंदौर खंडपीठ में शामिल किए जाने का जिक्र किया गया है.


इसके लिए जो भी जरूरी कार्यवाही है, उसे जल्द पूरा किया जाए. इस चिट्ठी के आने के बाद मध्य प्रदेश हाईकोर्ट बार एसोसिएशन में इसका विरोध शुरू हो गया. बार एसोसिएशन का आरोप है कि मध्यप्रदेश हाई कोर्ट को कमजोर करने की कोशिश की जा रही है. खासकर जबलपुर के साथ एक बार फिर सौतेला व्यवहार किया जा रहा है.

मध्य प्रदेश हाई कोर्ट बार एसोसिएशन का कहना है कि इन जिलों के लोगों ने जबलपुर से दूरी को आधार बनाकर खुद को इंदौर में शामिल करने की मांग रखी है. जबकि सिंगरौली जैसे जिले जबलपुर से 400 किलोमीटर दूर हैं, इसके बावजूद उन्हें जबलपुर हाईकोर्ट ही आना पड़ता है और केवल दूरी को आधार मानकर हाई कोर्ट जैसी संस्था को कमजोर नहीं किया जा सकता.


हाईकोर्ट बार एसोसिएशन का कहना है, कि मध्यप्रदेश बार काउंसिल के चुनाव होने हैं, और कोई वकील नेता अपनी दावेदारी को मजबूत करने के लिए यह ओछी राजनीति कर रहे हैं.

जबलपुर। 6 जिलों को हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ में शामिल करने को लेकर प्रदेश सरकार के विधि एवं विधाई विभाग से जारी हुई चिट्टी के बाद जबलपुर के वकीलों ने मोर्चा खोल दिया है.

मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में हड़ताल


प्रदेश सरकार के इस फैसले के विरोध में वकीलों को हाईकोर्ट बार एसोसिएशन का भी साथ मिल रहा है. हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने मंगलवार को प्रतिवाद दिवस मनाया है. कोई भी वकील कोर्ट में पैरवी करने नहीं पहुंचा. जिससे वहां पहुंचे लोग परेशान होते रहे.


वकीलों का कहना है कि यदि प्रदेश सरकार अपना फैसला वापस नहीं लेती है, तो वे इसके विरोध में आंदोलन करेंगे. दरअसल, हरदा, हरसूद, बुरहानपुर, सीहोर, आष्टा और खंडवा जिले अब तक हाईकोर्ट की जबलपुर मुख्य पीठ में शामिल थे. जो चिट्ठी मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को प्राप्त हुई है, उसमें हरदा हरसूद, बुरहानपुर, सीहोर, आष्टा और खंडवा को इंदौर खंडपीठ में शामिल किए जाने का जिक्र किया गया है.


इसके लिए जो भी जरूरी कार्यवाही है, उसे जल्द पूरा किया जाए. इस चिट्ठी के आने के बाद मध्य प्रदेश हाईकोर्ट बार एसोसिएशन में इसका विरोध शुरू हो गया. बार एसोसिएशन का आरोप है कि मध्यप्रदेश हाई कोर्ट को कमजोर करने की कोशिश की जा रही है. खासकर जबलपुर के साथ एक बार फिर सौतेला व्यवहार किया जा रहा है.

मध्य प्रदेश हाई कोर्ट बार एसोसिएशन का कहना है कि इन जिलों के लोगों ने जबलपुर से दूरी को आधार बनाकर खुद को इंदौर में शामिल करने की मांग रखी है. जबकि सिंगरौली जैसे जिले जबलपुर से 400 किलोमीटर दूर हैं, इसके बावजूद उन्हें जबलपुर हाईकोर्ट ही आना पड़ता है और केवल दूरी को आधार मानकर हाई कोर्ट जैसी संस्था को कमजोर नहीं किया जा सकता.


हाईकोर्ट बार एसोसिएशन का कहना है, कि मध्यप्रदेश बार काउंसिल के चुनाव होने हैं, और कोई वकील नेता अपनी दावेदारी को मजबूत करने के लिए यह ओछी राजनीति कर रहे हैं.

Intro:जबलपुर हरदा हरसूद बुरहानपुर खंडवा सीहोर और आष्टा जिलों को इंदौर खंडपीठ में शामिल करने के आदेश के खिलाफ मध्य प्रदेश हाई कोर्ट बार एसोसिएशन ने प्रतिवाद दिवस मनाया


Body:जबलपुर हरदा हरसूद बुरहानपुर सीहोर आष्टा और खंडवा जिले अभी तक मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की जबलपुर मुख्य पीठ में शामिल हैं लेकिन बीते दिनों मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को एक चिट्ठी प्राप्त हुई जो मध्य प्रदेश सरकार के विधि एवं विधाई विभाग के अतिरिक्त सचिव ने भेजी है इसमें इस बात का जिक्र किया गया है कि हरदा हरसूद बुरहानपुर सीहोर आष्टा और खंडवा को इंदौर खंडपीठ में शामिल किया जाए और शामिल करने के लिए क्या जरूरी कार्यवाही या हैं वे की जाए इस चिट्ठी के आने के बाद मध्य प्रदेश हाईकोर्ट बार एसोसिएशन में इसका विरोध शुरू हो गया बार एसोसिएशन का आरोप है की मध्य प्रदेश हाई कोर्ट को कमजोर करने की कोशिश की जा रही है खासकर जबलपुर के साथ एक बार फिर सौतेला व्यवहार किया जा रहा है क्योंकि भोपाल जिला बार नहीं भी हाईकोर्ट की भोपाल में सर्किट कोर्ट बनाने की बात कही है मध्य प्रदेश हाई कोर्ट बार एसोसिएशन का कहना है कि इन जिलों के लोगों ने जबलपुर से दूरी को आधार बनाकर खुद को इंदौर में शामिल करने की मांग रखी है जबकि सिंगरौली जैसे जिले जबलपुर से 400 किलोमीटर दूर हैं लेकिन इसके बावजूद उन्हें जबलपुर हाईकोर्ट ही आना पड़ता है और केबल दूरी को आधार मानकर हाई कोर्ट जैसी संस्था को कमजोर नहीं किया जा सकता इसी बात के विरोध में आज जबलपुर के हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने प्रतिवाद दिवस मनाया है और वकील कोर्ट में पैरवी करने नहीं पहुंचे इन लोगों का कहना है कि यदि सरकार यह फैसला वापस नहीं लेती है तो यह आंदोलन तेज चलेगा

वहीं हाई कोर्ट बार एसोसिएशन का कहना है कि मध्य प्रदेश बार काउंसिल के चुनाव होने हैं और कोई वकील नेता अपनी दावेदारी को मजबूत करने के लिए यह ओछी राजनीति कर रहे हैं


Conclusion:वाइट मनीष तिवारी सचिव मध्य प्रदेश हाई कोर्ट बार एसोसिएशन बाइक रमन पटेल अध्यक्ष हाईकोर्ट बार एसोसिएशन
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