जबलपुर। 6 जिलों को हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ में शामिल करने को लेकर प्रदेश सरकार के विधि एवं विधाई विभाग से जारी हुई चिट्टी के बाद जबलपुर के वकीलों ने मोर्चा खोल दिया है.
प्रदेश सरकार के इस फैसले के विरोध में वकीलों को हाईकोर्ट बार एसोसिएशन का भी साथ मिल रहा है. हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने मंगलवार को प्रतिवाद दिवस मनाया है. कोई भी वकील कोर्ट में पैरवी करने नहीं पहुंचा. जिससे वहां पहुंचे लोग परेशान होते रहे.
वकीलों का कहना है कि यदि प्रदेश सरकार अपना फैसला वापस नहीं लेती है, तो वे इसके विरोध में आंदोलन करेंगे. दरअसल, हरदा, हरसूद, बुरहानपुर, सीहोर, आष्टा और खंडवा जिले अब तक हाईकोर्ट की जबलपुर मुख्य पीठ में शामिल थे. जो चिट्ठी मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को प्राप्त हुई है, उसमें हरदा हरसूद, बुरहानपुर, सीहोर, आष्टा और खंडवा को इंदौर खंडपीठ में शामिल किए जाने का जिक्र किया गया है.
इसके लिए जो भी जरूरी कार्यवाही है, उसे जल्द पूरा किया जाए. इस चिट्ठी के आने के बाद मध्य प्रदेश हाईकोर्ट बार एसोसिएशन में इसका विरोध शुरू हो गया. बार एसोसिएशन का आरोप है कि मध्यप्रदेश हाई कोर्ट को कमजोर करने की कोशिश की जा रही है. खासकर जबलपुर के साथ एक बार फिर सौतेला व्यवहार किया जा रहा है.
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट बार एसोसिएशन का कहना है कि इन जिलों के लोगों ने जबलपुर से दूरी को आधार बनाकर खुद को इंदौर में शामिल करने की मांग रखी है. जबकि सिंगरौली जैसे जिले जबलपुर से 400 किलोमीटर दूर हैं, इसके बावजूद उन्हें जबलपुर हाईकोर्ट ही आना पड़ता है और केवल दूरी को आधार मानकर हाई कोर्ट जैसी संस्था को कमजोर नहीं किया जा सकता.
हाईकोर्ट बार एसोसिएशन का कहना है, कि मध्यप्रदेश बार काउंसिल के चुनाव होने हैं, और कोई वकील नेता अपनी दावेदारी को मजबूत करने के लिए यह ओछी राजनीति कर रहे हैं.