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हरे-भरे वृक्ष काटने के नोटिफिकेशन पर हाई कोर्ट ने लगाई रोक, मध्यप्रदेश शासन से जवाब मांगा

हाई कोर्ट जबलपुर ने वृक्षों की कटाई को लेकर मध्यप्रदेश शासन द्वारा जारी नोटिफिकेशन पर रोक लगा दी है. इस बारे में संबंधित पक्षों से जवाब मांगा गया है. इस मामले में अगली सुनवाई एक सप्ताह बाद होगी. (High Court bans of cutting green trees) (Notification of Madhya Pradesh government)

High Court bans of cutting green trees
वृक्ष काटने के नोटिफिकेशन पर रोक
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Published : Apr 4, 2022, 6:40 PM IST

जबलपुर। मध्यप्रदेश शासन द्वारा एक नोटिफिकेशन जारी कर 53 वृक्षों की प्रजातियों को परागमन वन उपज से हटाने जाने के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की गयी थी. हाईकोर्ट ने नोटिफिकेशन के क्रियान्यवन पर रोक लगाते हुए अनावेदकों से जवाब मांगा था. याचिका पर सोमवार को हुई सुनवाई के दौरान पूर्व पर पारित आदेश में संशोधन के लिए दायर आवेदन पर जवाब पेश करने का समय प्रदान करने का आग्रह किया गया. हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमठ तथा जस्टिस पी के कौरव ने याचिका पर अगली सुनवाई एक सप्ताह बाद निर्धारित की है.

सात साल पहले का नोटिफिकेशन

संजीवनी नगर गढ़ा निवासी विवेक कुमार शर्मा की तरफ से दायर याचिका में कहा गया था कि मध्यप्रदेश शासन ने 24 सितंबर 2015 को एक नोटिफिकेशन जारी कर 53 प्रजातियों के वृक्षों को मप्र परागमन वन उपज नियम 2000 से हटा दिया है. इसके तहत पीपल, बरगद, जामुन, नीम सहित अन्य महत्वपूर्ण प्रजाति के पेड़ों को ग्राम पंचायत की अनुमति लेकर सीधे काटकर आरा मशीन तक पहुंचाया जा सकता है. इसमें वन विभाग से किसी प्रकार की अनुमति की आवश्यकता को हटा दिया गया है, जोकि अनुचित है. नोटिफिकेशन के बाद बड़ी तादाद पर पेड़ों की अवैध कटाई शुरू हो गई है. याचिकाकर्ता की तरफ से कहा गया था कि नेशनल हाइवे तथा स्टेट हाइवे के निर्माण के लिए भी बड़ी तादाद में पेड़ों को अवैध रूप से काट दिया जाता है.

बैतूल-औबेदुलागंज नेशनल हाइवे-69 के निर्माण कार्य पर हाईकोर्ट का स्टे, याचिका में ये मांग उठाई

हरे-भरे वृक्ष काटने का विरोध

याचिका में कहाया है कि हरे-भरे वृक्ष काटे जाने से जंगल वीरान होते जा रहे हैं. बडी संख्या में पेड़ कटने के कारण पर्यावरण संतुलन बिगड गया है, जो मानव सहित समुचित जीव वर्ग के लिए खतरनाक है. पेड़ों की कटाई के लिए निर्धारित नियमों को पालन नहीं किया जा रहा है. याचिका में वन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव, पीसीसीएफ, सीसीएफ, डीएफओं जबलपुर, एनएचएआई के प्रोजेक्ट डायरेक्टर, प्रमुख सचिव पीडब्ल्यूडी को पक्षकार बनाया गया है. हाईकोर्ट ने सितम्बर 2019 में याचिका की सुनवाई करते हुए प्रदेश सरकार द्वारा जारी नोटिफिकेशन के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी थी. हाईकोर्ट ने नेशनल हाइवे अथॉरिटी व पीडब्ल्यूडी को निर्देशित किया था कि अति आवश्यक होने पर ही नियम अनुसार पेड़ काटे जाएं. एक पेड़ के काटने पर अनुपात के अनुसार पौधे लगाने व उनका संरक्षण करने संबंधित नियमों को पालन किया जाए. याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्त अंशुमान सिंह ने पैरवी की.

(High Court bans of cutting green trees) (Notification of Madhya Pradesh government)

जबलपुर। मध्यप्रदेश शासन द्वारा एक नोटिफिकेशन जारी कर 53 वृक्षों की प्रजातियों को परागमन वन उपज से हटाने जाने के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की गयी थी. हाईकोर्ट ने नोटिफिकेशन के क्रियान्यवन पर रोक लगाते हुए अनावेदकों से जवाब मांगा था. याचिका पर सोमवार को हुई सुनवाई के दौरान पूर्व पर पारित आदेश में संशोधन के लिए दायर आवेदन पर जवाब पेश करने का समय प्रदान करने का आग्रह किया गया. हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमठ तथा जस्टिस पी के कौरव ने याचिका पर अगली सुनवाई एक सप्ताह बाद निर्धारित की है.

सात साल पहले का नोटिफिकेशन

संजीवनी नगर गढ़ा निवासी विवेक कुमार शर्मा की तरफ से दायर याचिका में कहा गया था कि मध्यप्रदेश शासन ने 24 सितंबर 2015 को एक नोटिफिकेशन जारी कर 53 प्रजातियों के वृक्षों को मप्र परागमन वन उपज नियम 2000 से हटा दिया है. इसके तहत पीपल, बरगद, जामुन, नीम सहित अन्य महत्वपूर्ण प्रजाति के पेड़ों को ग्राम पंचायत की अनुमति लेकर सीधे काटकर आरा मशीन तक पहुंचाया जा सकता है. इसमें वन विभाग से किसी प्रकार की अनुमति की आवश्यकता को हटा दिया गया है, जोकि अनुचित है. नोटिफिकेशन के बाद बड़ी तादाद पर पेड़ों की अवैध कटाई शुरू हो गई है. याचिकाकर्ता की तरफ से कहा गया था कि नेशनल हाइवे तथा स्टेट हाइवे के निर्माण के लिए भी बड़ी तादाद में पेड़ों को अवैध रूप से काट दिया जाता है.

बैतूल-औबेदुलागंज नेशनल हाइवे-69 के निर्माण कार्य पर हाईकोर्ट का स्टे, याचिका में ये मांग उठाई

हरे-भरे वृक्ष काटने का विरोध

याचिका में कहाया है कि हरे-भरे वृक्ष काटे जाने से जंगल वीरान होते जा रहे हैं. बडी संख्या में पेड़ कटने के कारण पर्यावरण संतुलन बिगड गया है, जो मानव सहित समुचित जीव वर्ग के लिए खतरनाक है. पेड़ों की कटाई के लिए निर्धारित नियमों को पालन नहीं किया जा रहा है. याचिका में वन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव, पीसीसीएफ, सीसीएफ, डीएफओं जबलपुर, एनएचएआई के प्रोजेक्ट डायरेक्टर, प्रमुख सचिव पीडब्ल्यूडी को पक्षकार बनाया गया है. हाईकोर्ट ने सितम्बर 2019 में याचिका की सुनवाई करते हुए प्रदेश सरकार द्वारा जारी नोटिफिकेशन के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी थी. हाईकोर्ट ने नेशनल हाइवे अथॉरिटी व पीडब्ल्यूडी को निर्देशित किया था कि अति आवश्यक होने पर ही नियम अनुसार पेड़ काटे जाएं. एक पेड़ के काटने पर अनुपात के अनुसार पौधे लगाने व उनका संरक्षण करने संबंधित नियमों को पालन किया जाए. याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्त अंशुमान सिंह ने पैरवी की.

(High Court bans of cutting green trees) (Notification of Madhya Pradesh government)

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