जबलपुर। मध्य प्रदेश मेडिकल साइंस यूनिवर्सिटी में हुए नंबर घोटाले को हाई कोर्ट ने गंभीरता से लिया है. हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक और जस्टिस वीके शुक्ला की युगलपीठ ने सरकार से पूछा है कि जांच में दोषी पाये जाने पर जिस कंपनी को निलंबित किया गया है, उसके खिलाफ सरकार क्या कार्रवाई कर रही है. मामले की अगली सुनवाई 31 अगस्त को निर्धारित की गई है.
मेडिकल यूनिवर्सिटी संबंधित सभी याचिकाओं पर हुई सुनवाई
जबलपुर की मेडिकल यूनिवर्सिटी में पिछले दिनों जारी उठापटक के बीच कई हाईकोर्ट में सारी याचिकाएं दायर की गई है, जिसमें दो याचिकाएं नंबर घोटाले, आर्थिक अनियमतताओं और भ्रष्टाचार को चुनौती देते हुए दायर की गई है. एक याचिका निलंबित किए जाने के खिलाफ माइंड लॉजिक कंपनी ने लगाई है, 4 याचिकाएं यूनिवर्सिटी से हटाए गए चारों अधिकारियों ने लगाई है. सभी याचिकाओं पर सोमवार को हाईकोर्ट की युगलपीठ ने संयुक्त रूप से सुनवाई की.
रिटायर्ड जस्टिस की अध्यक्षता में कमेटी बनाने की मांग
याचिका की सुनवाई के दौरान युगलपीठ को बताया गया कि सरकार के आदेश में तत्कालीन प्रभारी कुलसचित डॉ. जेके गुप्ता ने जांच की थी. जांच में पाया गया था कि परीक्षा के आयोजन और मार्कशीट तैयार करने वाली ठेका कंपनी माइंट लॉजिट इंफ्रो ने परिक्षार्थियों के नम्बर में फेरबदल किया है. इसके अलावा छात्रों का डेटा एमयू की ऑफिशियल साइट नहीं, बल्कि निजी साइट में तैयार किया गया था. जांच के बाद उक्त कंपनी को निलंबित कर दिया गया था. याचिका में मांग की गयी थी कि कंपनी पर कार्यवाही के लिए हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त जस्टिस की अध्यक्षता में कमेटी गठित की जाए.
मार्कशीट घोटाला: जबलपुर मेडिकल साइंस यूनिवर्सिटी के कुलपति का इस्तीफा
कंपनी के कर्मचारी ने तत्कालीन कुलसचिव को किसी प्रकार की कार्यवाही नहीं करने की धमकी दी थी, जिसकी शिकायत उन्होंने पुलिस अधीक्षक से की थी. डॉ. तृप्ति गुप्ता को अप्रैल में कार्यवाहर परीक्षा नियंत्रक के पद पर नियुक्त किया गया था. इस दौरान उन्होने पाया कि परीक्षा नियंत्रक और कुलपति की अनुमत्ति के बिना नर्सिग, बीडीएस, बीएचएमएस के छात्रों के नम्बर में उक्त कंपनी ने बदलावा किया है. इस संबंध में उन्होने संबंधित अधिकारियों को ई-मेल के माध्यम से सूचित किया था. कंपनी को निलंबित करने की कार्यवाही के बाद डॉ तृप्ति गुप्ता, डॉ जेके गुप्ता को पद से हटा दिया गया है. इसके बाद कंपनी को निलंबित करने वाले कुलपति डॉ. टीएन दुबे ने भी इस्तीफा दे दिया है.
पहले भी कंपनी पर लग चुके हैं गंभीर आरोप
याचिका में बताया गया है कि पूरी जांच में डॉ. बृंदा सक्सेना की भूमिका संदिग्ध है इसके बावजूद भी वह परीक्षा नियंत्रक के पद पर बनी हुई है. जिस कंपनी को अनियमितताओं के कारण निलंबित किया गया था, उस कंपनी ने पहले आगरा मेडिकल यूनिवर्सिटी में काम किया गया. फर्जी मार्कशीट सहित अन्य अनियमितताओं के खिलाफ आगरा मेडिकल यूनिवर्सिटी ने भी कंपनी के खिलाफ पुलिस में एफआईआर भी दर्ज करवाई थी.
जबलपुर:मेडिकल यूनिवर्सिटी की परीक्षाओं में गड़बड़ी की शिकायत की जांच पूरी
मध्य प्रदेश मेडिकल सांइस यूनिवर्सिटी ने एक दागी कंपनी को ठेका दिया गया था. जांच में अनियमितताओं के बाद भी अभी तक उसके खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की गयी. इसके विपरित घोटाना उजागर करने वाले अधिकारी को मेडिकल यूनिवर्सिटी से हटा दिया गया. सुनवाई के बाद युगलपीठ ने सरकार से पूछा है कि सरकार ने निलंबन के बाद कंपनी के खिलाफ क्या कार्रवाई की है.