जबलपुर। एमपीपीएससी 2019 को लेकर याचिकाकर्ता दीपेन्द्र यादव, शैलवाला भार्गव व अन्य की तरफ से दायर की गयी है. अपील में कहा गया है कि एमपीएससी 2019 की परीक्षा में संशोधित नियम लागू किए थे. इसके खिलाफ दायर याचिका की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट की युगलपीठ ने असंशोधित नियम 2015 का परिपालन सुनिश्चित करने के आदेश जारी किये थे. हाईकोर्ट का आदेश आने के पूर्व पीएससी ने मुख्य परीक्षा का आयोजित करते हुए रिजल्ट जारी कर दिये थे. जिसके बाद पीएससी ने असंशोधित नियम के तहत रिवाइज रिजल्ट जारी करते हुए उसके अनुसार पुनः मुख्य परीक्षा करवाने का निर्णय लिया था.
100 से ज्यादा अभ्यर्थियों ने दायर की याचिका : एमपीपीएससी के फैसले के खिलाफ मुख्य परीक्षा में चयनित 100 से अधिक अभ्यर्थियों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की. याचिका की सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने अपने आदेश में कहा था जिन अभ्यार्थियों का मुख्य परीक्षा में चयन हो गया है और साक्षात्कार के लिए शार्टलिस्ट किया गया है, पुनः परीक्षा उनके साथ अन्याय होगी. पुनः मुख्य परीक्षा करवाने में अधिक व्यय होगा, जो जनहित में नहीं है. पूर्व की भांति नवीन सूची के अनुसार चयनित अभ्यार्थियों के लिए विशेष परीक्षा 6 माह में आयोजित की जाए.
नियमों के पालन नहीं करने का हवाला : कोर्ट ने कहा था कि पूर्व की मुख्य परीक्षा तथा विशेष परीक्षा के परिमाण अनुसार अंतिम सूची तैयार की जाए. दायर अपील में कहा गया है कि प्रारंभिक व मुख्य परीक्षा का रिजल्ट जारी करने में असंशोधित नियम 2015 का पालन नहीं किया गया है. एकलपीठ का आदेश युगलपीठ द्वारा पारित आदेश के असंगत है. अवैधानिक रिजल्ट के आधार पर चयनित अभियार्थियों के पास कोई वैधानिक अधिकार नहीं है. युगलपीठ ने अपील की सुनवाई करते हुए उक्त आदेश जारी किए. याचिकाकर्ताओं की तरफ से अधिवक्ता रामेश्वर पी सिंह तथा विनायक शाह ने पैरवी की.
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चतुर्थ श्रेणी कर्मी की पदोन्नति मामले में सुनवाई : हाईकोर्ट ने चतुर्थ श्रेणी कर्मी को उसी वर्ग में पदोन्नत किये जाने संबंधी मामले को काफी गंभीरता से लिया है. जस्टिस विवेक अग्रवाल की एकलपीठ ने सुनवाई दौरान पाया कि नगर निगम की ओर से नियम होने का दावा तो किया जा रहा है, लेकिन वह उसे स्पष्ट नहीं कर पा रहा है. जिस पर न्यायालय ने मामले में निगामायुक्त को व्यक्तिगत तौर पर 12 जनवरी को उपस्थित होकर जवाब पेश करने के निर्देश दिए. यह मामला जबलपुर निवासी लक्ष्मण प्रसाद की ओर से दायर किया गया था. याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता दिनेश उपाध्याय ने पक्ष रखा.