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तेंदुए परिवार के पुनर्वास पर हाईकोर्ट में सुनवाई, सरकार ने दिया ये जवाब - Leopard jabalpur

तेंदुए परिवार का सुरक्षित स्थान में पुनर्वास किए जाने की मांग पर जबलपुर हाईकोर्ट ने सरकार से जवाब मांगा था, जिसमें सरकार ने जवाब में कहा कि तेंदुए ने अभी तक मानव प्रजाति पर हमला नहीं किया है.

Jabalpur High Court
जबलपुर हाईकोर्ट
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Published : Sep 16, 2020, 10:24 AM IST

जबलपुर। शहर की पाॅश काॅलोनी नयागांव में दिखने वाले तेंदुए के परिवार का सुरक्षित स्थान में पुनर्वास किए जाने की मांग करते हुए जबलपुर हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी. याचिका की सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से जवाब पेश किया गया, जिसमें सरकार ने जवाब में कहा है कि तेंदुए ने अभी तक इंसानों पर हमला नहीं किया है. हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस एके मित्तल और जस्टिस व्हीके शुक्ला ने याचिकाकर्ता के अधिवक्ता को जवाब की प्रति देने के निर्देश देते हुए याचिका पर अलगी सुनवाई 1 अक्टूबर को निर्धारित की है.

क्या है पूरा मामला?

नयागांव को-ऑपरेटिव सोसायटी के अध्यक्ष रजत भाटिया की तरफ से दायर की गई जनहित याचिका में कहा गया था कि सोसायटी में 200 बंगले हैं, जिसमें एक हजार से अधिक लोग रहते हैं. सोसायटी में अधिकांश रिटायर्ट लोग रहते हैं, जो जज, डाॅक्टर सहित अन्य सम्मानजनक पदों पर कार्यरत थे. याचिका में कहा गया था कि नयागांव क्षेत्र में नवंबर 2019 में पहली बार तेंदुआ देखा गया था. नयागांव-बरगी हिल्स रोड पर पिछले माह 19 और 20 तारीख को लोगों ने दो तेंदुए को रोड क्रास करते हुए देखा था. क्षेत्र में दो बच्चों सहित चार सदस्यों का तेंदुआ परिवार है. ये रोड सोसायटी की लाइफ लाइन है और हाईवे से जोड़ती है.

याचिकाकर्ता की मांग

याचिका में मांग की गई थी कि सोसायटी के लोगों की सुरक्षा के मद्देनजर पेशेवर वन्यजीव संरक्षणवादी की सलाह अनुसार तेंदुए परिवार को सुरक्षित स्थान पर पुनर्वास किया जाए, क्षेत्र और आसपास के इलाकों के वन्यजीवों पर निरंतर निगरानी रखी जाए, क्षेत्र में फैसिंग और सर्च लाइट लगाई जाए, साथ ही तेंदुए को चिड़ियाघर में ना भेजा जाए. याचिका में वन विभाग के प्रमुख सचिव, सीसीएफ और जिला कलेक्टर को अनावेदक बनाया गया था. याचिका की सुनवाई करते हुए युगलपीठ ने अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था.

ये भी पढ़े- नयागांव सोसायटी में अक्सर घुस जाता है तेंदुआ, वन विभाग के खिलाफ हाई कोर्ट पहुंचा मामला

याचिका पर मंगलवार को हुई सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से जवाब पेश किए गया, जिसमें वाइल्ड लाइफ एक्ट के तहत तेंदुए को संरक्षित किए जाने की बात कही गई है. याचिका की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता आदित्य संघी ने पैरवी की.

जबलपुर। शहर की पाॅश काॅलोनी नयागांव में दिखने वाले तेंदुए के परिवार का सुरक्षित स्थान में पुनर्वास किए जाने की मांग करते हुए जबलपुर हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी. याचिका की सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से जवाब पेश किया गया, जिसमें सरकार ने जवाब में कहा है कि तेंदुए ने अभी तक इंसानों पर हमला नहीं किया है. हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस एके मित्तल और जस्टिस व्हीके शुक्ला ने याचिकाकर्ता के अधिवक्ता को जवाब की प्रति देने के निर्देश देते हुए याचिका पर अलगी सुनवाई 1 अक्टूबर को निर्धारित की है.

क्या है पूरा मामला?

नयागांव को-ऑपरेटिव सोसायटी के अध्यक्ष रजत भाटिया की तरफ से दायर की गई जनहित याचिका में कहा गया था कि सोसायटी में 200 बंगले हैं, जिसमें एक हजार से अधिक लोग रहते हैं. सोसायटी में अधिकांश रिटायर्ट लोग रहते हैं, जो जज, डाॅक्टर सहित अन्य सम्मानजनक पदों पर कार्यरत थे. याचिका में कहा गया था कि नयागांव क्षेत्र में नवंबर 2019 में पहली बार तेंदुआ देखा गया था. नयागांव-बरगी हिल्स रोड पर पिछले माह 19 और 20 तारीख को लोगों ने दो तेंदुए को रोड क्रास करते हुए देखा था. क्षेत्र में दो बच्चों सहित चार सदस्यों का तेंदुआ परिवार है. ये रोड सोसायटी की लाइफ लाइन है और हाईवे से जोड़ती है.

याचिकाकर्ता की मांग

याचिका में मांग की गई थी कि सोसायटी के लोगों की सुरक्षा के मद्देनजर पेशेवर वन्यजीव संरक्षणवादी की सलाह अनुसार तेंदुए परिवार को सुरक्षित स्थान पर पुनर्वास किया जाए, क्षेत्र और आसपास के इलाकों के वन्यजीवों पर निरंतर निगरानी रखी जाए, क्षेत्र में फैसिंग और सर्च लाइट लगाई जाए, साथ ही तेंदुए को चिड़ियाघर में ना भेजा जाए. याचिका में वन विभाग के प्रमुख सचिव, सीसीएफ और जिला कलेक्टर को अनावेदक बनाया गया था. याचिका की सुनवाई करते हुए युगलपीठ ने अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था.

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याचिका पर मंगलवार को हुई सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से जवाब पेश किए गया, जिसमें वाइल्ड लाइफ एक्ट के तहत तेंदुए को संरक्षित किए जाने की बात कही गई है. याचिका की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता आदित्य संघी ने पैरवी की.

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