जबलपुर/भोपाल। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने जूनियर डॉक्टर्स की हड़ताल को गैरकानूनी घोषित किया. हाई कोर्ट ने जूनियर डॉक्टर्स को 24 घंटे में काम पर लौटने के आदेश दिए हैं. इधर हाई कोर्ट के आदेश के बाद प्रदेश में जूनियर डॉक्टर्स के इस्तीफे का दौर शुरू हो गया है. इंदौर, भोपाल, ग्वालियर, जबलपुर समेत पूरे प्रदेश में 3000 से ज्यादा जूनियर डॉक्टर्स ने इस्तीफे दे दिए हैं. खबर है कि जूनियर डॉक्टर्स ने सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी कर ली है.
24 घंटे में काम पर लौटने के आदेश
मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन की हड़ताल के खिलाफ दायर की गई जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने जूनियर डॉक्टर्स की हड़ताल को गैर कानूनी घोषित कर दिया है. कोर्ट ने जूनियर डॉक्टर्स को 24 घंटे में काम पर लौटने का आदेश दिया है. साथ ही डॉक्टर्स को काम पर नहीं लौटने पर कार्रवाई के भी आदेश दिए हैं.
SC जाएंगे या देंगे सामूहिक इस्तीफा
हाई कोर्ट का आदेश आने के बाद जूनियर डॉक्टर्स के तेवर और भी सख्त हो गए हैं. खबर है कि हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ जूनियर डॉक्टर्स ने सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी कर ली है. खबर ये भी है कि सरकार पर दबाव बढ़ाने के लिए जूनियर डॉक्टर सामूहिक रूप से इस्तीफा भी दे सकते हैं. अगर ऐसा होता है तो प्रदेश के सभी मेडिकल कॉलेज में पीजी के स्टूडेंट्स की संख्या 3 हजार के करीब है, इस हिसाब से 3 हजार जूनियर डॉक्टर्स एक साथ इस्तीफा दे सकते हैं.
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मानदेय बढ़ाने की है मांग
6 सूत्रीय मांगों को लेकर जूनियर डॉक्टर 31 मई से हड़ताल पर है. इसमें स्टाइपेंड बढ़ाने समेत 5 अन्य मांगे है, जिन्हें लेकर जूनियर डॉक्टर्स ने हड़ताल शुरू की है. जूनियर डॉक्टर्स का कहना है कि राज्य सरकार ने उनसे वादा किया था कि 6% के हिसाब से हर साल मानदेय उनका बढ़ाया जाएगा, लेकिन 3 सालों से मानदेय में कोई बढ़ोतरी नहीं की गई है. इसलिए भी राज्य सरकार से मांग कर रहे हैं कि उनके मानदेय में 18% की बढ़ोतरी की जाए. वहीं राज्य सरकार का कहना है कि वह कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स के अनुसार बढ़ोतरी कर रहे हैं, दोनों ही बातों में ज्यादा फर्क नहीं है लेकिन फिर भी गतिरोध बना हुआ है.
इलाज की सुविधा की मांग
इसके अलावा जूनियर डॉक्टर्स की मांग थी कि कोरोना वायरस के संकट काल की वजह से पढ़ाई का सत्र लंबा हो गया है. इसलिए बढ़े हुए सत्र की फीस ना ली जाए. हालांकि राज्य सरकार ने इस पर अपनी सहमति जताई है. वहीं जूनियर डॉक्टर्स की मांग थी कि यदि उनके परिवार का कोई सदस्य या वो खुद कोरोना से संक्रमित हो जाते हैं तो उनके इलाज की व्यवस्था की जाए. सरकार ने इस पर भी सहमति जताते हुए कहां है कि यदि ऐसा होता है तो जूनियर डॉक्टर का और उनके परिवार के किसी सदस्य का पूरा इलाज मुफ्त में सरकार ही करवाएगी.