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जबलपुर में मटर बिक रहा सस्ता, मुनाफा नहीं मिलने से किसान परेशान - processing plant of green peas

जबलपुर में हरा मटर लगभग 25-30 रुपए प्रति किलो बिक रहा है, जिसके चलते किसानों को मुनाफा नहीं हो पा रहा है, इससे वे खासे परेशान हैं.

green peas being sold cheaper farmers are woried
मटर बिक रहा सस्ता, किसान परेशान
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Published : Nov 27, 2019, 8:22 AM IST

Updated : Nov 27, 2019, 10:16 AM IST

जबलपुर। हरे मटर की सबसे बड़ी मंडी जबलपुर में है. यहां मटर की आवक लगभग 20 हजार बोरा प्रतिदिन हो गया है. जबलपुर से मटर लगभग पूरे भारत में सप्लाई किया जाता है. मटर की खेती करने वाले किसानों का कहना है कि मौजूदा समय में लगभग 20 रुपए प्रति किलो की लागत मटर पर आ जाती है. जबलपुर में इन दिनों थोक मंडी में इसका दाम 25 से 30 रुपए है, जिससे किसान खासे परेशान हैं, क्योंकि सीजन के शुरुआत में मटर 40 से 50 रुपए किलो तक बिक जाती थी, पर इस साल इसका दाम 10 से 15 रुपए कम है.

सस्ते बिक रहे मटर ने किया किसान को परेशान
आगे किसानों ने कहा कि राज्य और केंद्र की सरकार ने चुनाव के दौरान ये वादा किया था कि जबलपुर में मटर का प्रोसेसिंग प्लांट लगाया जाएगा, जिससे मटर को लंबे समय तक स्टोर किया जा सकेगा. साथ ही इसे देश के बाहर भी भेजा जा सकेगा, लेकिन राज्य और केंद्र सरकार ने इस मामले में कोई कदम नहीं उठाया है, जिसके चलते किसानों को कम दाम में अपनी फसल बेचनी पड़ रही है.बता दें कि मटर को जबलपुर से उत्तर प्रदेश, हैदराबाद, मुंबई जैसी मंडियों में भेजा जाता है, जिसके लिए बड़ी तादाद में ट्रकों की जरूरत पड़ती है. वहीं जबलपुर कृषि उपज मंडी में मटर की वजह से रोज दो से 3 लाख रुपए की आय होने के बाद भी कहीं कोई व्यवस्था नजर नहीं आती, ना तो ट्रकों को सही ढंग से लगाया जाता है और ना ही ट्रैफिक कंट्रोल होता है, इसकी वजह से ये हरी सब्जी जल्दी से बाजार से बाहर नहीं जा पाती है.

जबलपुर। हरे मटर की सबसे बड़ी मंडी जबलपुर में है. यहां मटर की आवक लगभग 20 हजार बोरा प्रतिदिन हो गया है. जबलपुर से मटर लगभग पूरे भारत में सप्लाई किया जाता है. मटर की खेती करने वाले किसानों का कहना है कि मौजूदा समय में लगभग 20 रुपए प्रति किलो की लागत मटर पर आ जाती है. जबलपुर में इन दिनों थोक मंडी में इसका दाम 25 से 30 रुपए है, जिससे किसान खासे परेशान हैं, क्योंकि सीजन के शुरुआत में मटर 40 से 50 रुपए किलो तक बिक जाती थी, पर इस साल इसका दाम 10 से 15 रुपए कम है.

सस्ते बिक रहे मटर ने किया किसान को परेशान
आगे किसानों ने कहा कि राज्य और केंद्र की सरकार ने चुनाव के दौरान ये वादा किया था कि जबलपुर में मटर का प्रोसेसिंग प्लांट लगाया जाएगा, जिससे मटर को लंबे समय तक स्टोर किया जा सकेगा. साथ ही इसे देश के बाहर भी भेजा जा सकेगा, लेकिन राज्य और केंद्र सरकार ने इस मामले में कोई कदम नहीं उठाया है, जिसके चलते किसानों को कम दाम में अपनी फसल बेचनी पड़ रही है.बता दें कि मटर को जबलपुर से उत्तर प्रदेश, हैदराबाद, मुंबई जैसी मंडियों में भेजा जाता है, जिसके लिए बड़ी तादाद में ट्रकों की जरूरत पड़ती है. वहीं जबलपुर कृषि उपज मंडी में मटर की वजह से रोज दो से 3 लाख रुपए की आय होने के बाद भी कहीं कोई व्यवस्था नजर नहीं आती, ना तो ट्रकों को सही ढंग से लगाया जाता है और ना ही ट्रैफिक कंट्रोल होता है, इसकी वजह से ये हरी सब्जी जल्दी से बाजार से बाहर नहीं जा पाती है.
Intro:जबलपुर देश की सबसे बड़ी मटर मंडी में मटर की बंपर आवक लगभग 20000 क्विंटल मटर मंडी में रोज पहुंच रहा है कम दाम और सरकार के खोखले दावों से किसान परेशान


Body:जबलपुर हरी मटर की भारत की सबसे बड़ी मंडी है अभी मटर का सीजन ही शुरू हुआ है लेकिन मटर की आवक लगभग 20000 बोरा प्रतिदिन हो गई है जबलपुर से मटर लगभग पूरे भारत में सप्लाई किया जाता है जबलपुर के आसपास बड़े भूभाग में मटर की बोनी की जाती है मटर की फसल एक महंगा सौदा है मटर का बीज बहुत महंगा आता है उसके बाद बहुत सी कीटनाशक और हाथ डालने के बाद मटर की फसल तैयार होती है सबसे ज्यादा महंगी मटर की तुड़वाई होती है

किसानों का कहना है कि उन्हें मौजूदा समय में लगभग ₹20 प्रति किलो की लागत मटर पर आ जाती है जबलपुर में इन दिनों थोक मंडी में इसका दाम 25 से ₹30 है इसलिए किसानों थोड़े परेशान हैं क्योंकि सीजन की शुरूआत में मटर 40 से ₹45 तक बिक जाता था लेकिन इस साल इसके दाम 10 से ₹15 कम है किसानों का कहना है की राज्य और केंद्र की सरकार ने चुनाव के दौरान यह वादा किया था कि जबलपुर में मटर का प्रोसेसिंग प्लांट लगाया जाएगा जिससे मटर को लंबे समय तक स्टोर किया जा सकेगा और इससे देश के बाहर भी भेजा जा सकेगा लेकिन राज्य और केंद्र सरकार ने इस मामले में कोई कदम नहीं उठाया इसकी वजह से किसानों को कम दाम में अपनी फसल बेचना पड़ती है

वही मटर को जबलपुर से उत्तर प्रदेश हैदराबाद मुंबई जैसी मंडियों में भेजा जाता है और इसके लिए बड़ी तादाद में ट्रकों की जरूरत पड़ती है लेकिन जबलपुर कृषि उपज मंडी में मटर की वजह से रोज दो से 300000 रुपयों की आय होने के बाद भी कहीं कोई व्यवस्था नजर नहीं आती ना तो ट्रकों को सही ढंग से लगाया जाता है और ना ही ट्रैफिक कंट्रोल होता है इसकी वजह से यह हरी सब्जी जल्दी से बाजार से बाहर नहीं जा पाती


Conclusion:बाइट सोमेंद्र किसान
बाइट संजय किसान
बाइट शुभम किसान
बाइट दुर्गेश साहू व्यापारी
Last Updated : Nov 27, 2019, 10:16 AM IST
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