जबलपुर। सरकार और संविधान इसलिए बनाए गए थे, ताकि गरीब, लाचार और कमजोर लोगों को जीवन की मुख्यधारा में लाया जा सकें, लेकिन लगता है कि 70 साल बाद सरकार की मंशा बदल गई है. हालात ऐसे है कि, संबल योजना के तहत शहर के 250 मजदूरों को उनके हक की अनुग्रह राशि नहीं मिली है.
भवन निर्माण श्रमिकों के लिए सरकार हर निर्माण कार्य का 1 प्रतिशत टैक्स लोगों से जमा करवाती है. मतलब अगर आप 15 लाख रुपये से ज्यादा का कोई मकान बनवाते हैं, तो आपको 1 फीसदी यानी लगभग 15 हजार रुपये जमा कराने होंगे. यह भवन निर्माण श्रमिकों के लिए होता है. जैसे-जैसे रकम बढ़ेगी, ये पैसा भी बढ़ता जाता है. इसके अलावा सरकारी निर्माण पर भी 1 फीसदी राशि इस मद में जमा की जाती है. इस तरीके से उक्त राशि राज्य सरकार के पास कई करोड़ रुपये तक पहुंच जाती है.
श्रमिकों के लिए योजनाएं
श्रमिक कल्याण निधि के नाम पर जो पैसा जमा होता है, उस पैसे से मजदूरों के लिए दो दर्जन योजनाएं चलाई जाती हैं. इसमें मजदूरों के बच्चों का लालन-पालन, मजदूरों का इलाज, आकस्मिक दुर्घटना होने पर अनुदान साइकिल और सामान खरीदने के लिए लगभग 25 से ज्यादा योजनाएं बनाई गई हैं, जिनमें श्रम कल्याण निधि के जरिए मजदूरों को फायदा पहुंचाया जाता है. इन्हीं पैसों के माध्यम से मजदूरों के लिए सराय भी बनाई जाती है.
मजदूरों का कहना है कि उन लोगों का श्रम विभाग के पोर्टल में रजिस्ट्रेशन ही नहीं है, जबकि हर मजदूर को श्रम विभाग के पोर्टल में अपना रजिस्ट्रेशन करवाना था. इसके लिए बकायदा शहर में नगर निगम के जोन कार्यालयों और ग्रामीण इलाकों में जनपद पंचायत में अधिकारी नियुक्त हैं, लेकिन लोगों के पास या तो जानकारी नहीं है या फिर मजदूरों को भटकाया जा रहा है. जिले में जहां लाखों की तादाद में मजदूर हैं, वहां मात्र 18 हजार ही श्रमिक पोर्टल में रजिस्टर्ड है.
मजदूरों को मृत्यु पर नहीं मिली अनुग्रह राशि
संबल योजना के तहत मजदूरों का रजिस्ट्रेशन कराया गया था. हालांकि यह योजना पहले से बनी हुई है. ये श्रम विभाग की योजना से अलग थी, लेकिन सरकार ने कुछ ऐसी व्यवस्था की थी कि मजदूर एक ही योजना का फायदा ले सकें. अब लगभग 250 से ज्यादा मजदूरों की मौत बीते 1 साल में हुई. इन लोगों के परिवार ने सरकार से अपने हक की अनुग्रह राशि मांगी, लेकिन इन गरीबों को यह राशि नहीं मिली.
जबलपुर नगर निगम की उपायुक्त अंजू सिंह का कहना है कि सरकार के पास इस मद में पैसा ही नहीं है. हालांकि श्रम विभाग के पास पर्याप्त पैसा है, लेकिन संबल योजना में पैसा नहीं है. इसलिए गरीबों की मदद नहीं की जा पा रही है.