जबलपुर। महात्मा गांधी की जयंती के मौके पर जबलपुर में जहां एक और टाउन हॉल में गांधी जी की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया जा रहा था वहीं दूसरी तरफ जबलपुर जिला पंचायत भवन को तोड़ा जा रहा था. जिला पंचायत भवन जबलपुर की एक प्रशासनिक इमारत के साथ ही एक ऐतिहासिक इमारत भी थी. क्योंकि 1933 में जब महात्मा गांधी जबलपुर आए थे तब 7 दिनों के प्रवास के दौरान उन्होंने इसी इमारत के सामने स्वराज ध्वज फहराया था. उसे समय यह जिला परिषद की इमारत हुआ करती थी. Jabalpur District Panchayat Building Demolished.
चरखे वाला तिरंगा फहराया: उस समय जबलपुर के नेता राजेंद्र सिंह ने यह बात अपनी स्मृतियों में लिखी थी. उनके बेटे डॉक्टर अनुपम सी ने बताया कि ''यहीं पर चरखे वाला तिरंगा फहराया गया था. लगभग 100 साल पुरानी यह इमारत धीरे-धीरे खंडहर हो गई थी. लेकिन इस ऐतिहासिक इमारत को संजोकर रखना इसलिए जरूरी था क्योंकि यह न केवल भारत के इतिहास के साथ जुड़े हुई थी बल्कि जबलपुर और महात्मा गांधी के इतिहास के साथ भी इसका नाता था. आने वाली पीढ़ियों को इस इमारत को दिखाया जा सकता था. लेकिन जिला पंचायत यहां पर एक पांच मंजिला इमारत बनवाने की तैयारी कर रहा है और इसका काम किसी निजी ठेकेदार को दिया गया है.''
जिला पंचायत सीईओ को जानकारी नहीं: ऐसा नहीं है कि जबलपुर में जगह की कोई कमी हो. इसी इलाके में कई सरकारी जगह हैं जिन पर कब्जे हैं और उन्हें हटाकर भी इमारतें बनाई जा सकती थी. लेकिन इसके बावजूद एक ऐतिहासिक इमारत को गिरा दिया गया. जिला पंचायत की सीईओ जयति सिंह ने कहा कि ''यह काम हाउसिंग बोर्ड कर रही है इसलिए उन्हें इसकी जानकारी नहीं है.''
गांधीजी के सिद्धांतों पर चलने का दिखावा करती है भाजपा: जबलपुर से राज्यसभा सांसद विवेक तंखा ने कहा कि ''यह बहुत दुखद है कि गांधीजी की याद से जुड़ी हुई एक ऐतिहासिक इमारत को गिरा दिया गया.'' उन्होंने कहा कि ''वह इस विषय में प्रशासन से चर्चा करेंगे.'' वहीं, जबलपुर के मध्य क्षेत्र के विधायक विनय सक्सेना का कहना है कि ''वर्तमान भाजपा सरकार गांधीजी के सिद्धांतों पर चलने का दिखावा करती है. मूल रूप से वह गांधी जी को पसंद नहीं करती, इसलिए उनसे जुड़ी इमारत को और उनकी यादों को नष्ट किया जा रहा है.''