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SDM को कालिख पोतने वाले पूर्व विधायक को HC से राहत, 50 हजार के मुचलके पर रिहा करने के आदेश

छिंदवाड़ा। एसडीएम के चहेरे पर कालिख पोतने के मामले में पूर्व विधायक को हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है. जिसमें युगलपीठ ने पूर्व विधायक को गिरफ्तारी देने और पचास हजार के मुचलके पर रिहा करने के आदेश दिए हैं.

chhindwara
पूर्व विधायक को हाईकोर्ट से बड़ी राहत
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Published : Dec 3, 2020, 4:18 PM IST

जबलपुर। एसडीएम के चहेरे पर कालिख पोते जाने के मामले में हाईकोर्ट ने पूर्व विधायक को राहत दे दी है. हाईकोर्ट के कार्यवाहक चीफ जस्टिस संजय यादव और जस्टिस सुजय पाॅल की युगलपीठ ने आदेश जारी किए हैं कि पूर्व विधायक अधिकारी के समक्ष गिरफ्तारी दें, और पचास हजार के मुचलके पर उन्हें रिहा किया जाए. युगलपीठ ने अपने आदेश में यह भी कहा कि पूर्व में लगाई गई 50 हजार रूपए की राशि सरकार सात दिनों में जमा करें. यदि वो ऐसा नहीं करते हैं, तो दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.

याचिकाकर्ता की तरफ से कहा गया था कि उनकी उम्र 70 साल है, और वह प्रदर्शन में शामिल होने गए थे. एक व्यक्ति द्वारा कालिख लगाए जाने पर अन्य व्यक्तियों के खिलाफ प्रकरण दर्ज कर लिया गया. इसके अलावा मुख्य आरोपी बंटी के खिलाफ दर्ज एनएसए की कार्रवाई को रद्द करते हुए न्यायालय ने 19 अन्य आरोपियों को जमानत पर रिहा करने का आदेश जारी किया गया है. एसडीएम पटेल की तरफ से अग्रिम जमानत याचिका का विरोध करते हुए हाईकोर्ट में इंटरविनर बनते हुए आवेदन दायर किया गया था. जिसमें कहा गया था, कि कोरोना काल में निर्धारित गाइडलाइन का उल्लंघन करते हुए बिना अनुमत्ति प्रदर्शन किया गया था. इसके अलावा उन्होने प्रशासनिक अधिकारियों के साथ बल प्रयोग किया, और शासकीय कार्य में बाधा डाली. मुख्य आरोपी बंटी की जमानत निरस्त करने के लिए उनकी तरफ से हाईकोर्ट में पृथक याचिका भी दायर की गई है.

यह है पूरा मामला: पदयात्रा समापन पर कांग्रेस नेता ने SDM के मुंह पर पोती कालिख, मचा बवाल

युगलपीठ ने कहा कि न्यायालय ने 27 नवम्बर को सरकार को जवाब व आपत्ति पेश करने के लिए पचास हजार रूपए की काॅस्ट हाईकोर्ट विधिक सेवा समिति में जमा करने के आदेश दिए थे. सरकार की तरफ से राशि जमा नहीं करने पर जवाब वापस लेने का आग्रह किया गया. सरकार की तरफ से जवाब वापस लेने के लिए सक्षम अधिकारी का हलफनामा पेश नहीं किया गया. जिस पर नाराजगी व्यक्त करते हुए उक्त राशि सात दिनों में जमा करने के निर्देश दिए हैं. युगलपीठ ने अपने आदेश में यह भी कहा कि याचिकाकर्ता पूर्व विधायक है और उनके भागने की संभावना नहीं है. याचिकाकर्ता के करीबी रिश्तेदार अंडरटेकिंग दें कि वह जांच में सहयोग करेंगे. याकिचाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता वरूण तन्खा और आपत्तिकर्ता की तरफ से अधिवक्ता राजेश चंद्र ने पैरवी की.

जबलपुर। एसडीएम के चहेरे पर कालिख पोते जाने के मामले में हाईकोर्ट ने पूर्व विधायक को राहत दे दी है. हाईकोर्ट के कार्यवाहक चीफ जस्टिस संजय यादव और जस्टिस सुजय पाॅल की युगलपीठ ने आदेश जारी किए हैं कि पूर्व विधायक अधिकारी के समक्ष गिरफ्तारी दें, और पचास हजार के मुचलके पर उन्हें रिहा किया जाए. युगलपीठ ने अपने आदेश में यह भी कहा कि पूर्व में लगाई गई 50 हजार रूपए की राशि सरकार सात दिनों में जमा करें. यदि वो ऐसा नहीं करते हैं, तो दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.

याचिकाकर्ता की तरफ से कहा गया था कि उनकी उम्र 70 साल है, और वह प्रदर्शन में शामिल होने गए थे. एक व्यक्ति द्वारा कालिख लगाए जाने पर अन्य व्यक्तियों के खिलाफ प्रकरण दर्ज कर लिया गया. इसके अलावा मुख्य आरोपी बंटी के खिलाफ दर्ज एनएसए की कार्रवाई को रद्द करते हुए न्यायालय ने 19 अन्य आरोपियों को जमानत पर रिहा करने का आदेश जारी किया गया है. एसडीएम पटेल की तरफ से अग्रिम जमानत याचिका का विरोध करते हुए हाईकोर्ट में इंटरविनर बनते हुए आवेदन दायर किया गया था. जिसमें कहा गया था, कि कोरोना काल में निर्धारित गाइडलाइन का उल्लंघन करते हुए बिना अनुमत्ति प्रदर्शन किया गया था. इसके अलावा उन्होने प्रशासनिक अधिकारियों के साथ बल प्रयोग किया, और शासकीय कार्य में बाधा डाली. मुख्य आरोपी बंटी की जमानत निरस्त करने के लिए उनकी तरफ से हाईकोर्ट में पृथक याचिका भी दायर की गई है.

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युगलपीठ ने कहा कि न्यायालय ने 27 नवम्बर को सरकार को जवाब व आपत्ति पेश करने के लिए पचास हजार रूपए की काॅस्ट हाईकोर्ट विधिक सेवा समिति में जमा करने के आदेश दिए थे. सरकार की तरफ से राशि जमा नहीं करने पर जवाब वापस लेने का आग्रह किया गया. सरकार की तरफ से जवाब वापस लेने के लिए सक्षम अधिकारी का हलफनामा पेश नहीं किया गया. जिस पर नाराजगी व्यक्त करते हुए उक्त राशि सात दिनों में जमा करने के निर्देश दिए हैं. युगलपीठ ने अपने आदेश में यह भी कहा कि याचिकाकर्ता पूर्व विधायक है और उनके भागने की संभावना नहीं है. याचिकाकर्ता के करीबी रिश्तेदार अंडरटेकिंग दें कि वह जांच में सहयोग करेंगे. याकिचाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता वरूण तन्खा और आपत्तिकर्ता की तरफ से अधिवक्ता राजेश चंद्र ने पैरवी की.

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