जबलपुर। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के जस्टिस अतुल श्रीधरण ने एक अनूठी पहल की है. इसके तहत उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के कॉलोजियम में एक आवेदन किया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि अगले साल से उनकी बेटी इंदौर हाई कोर्ट और डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में वकालत करेगी. इसलिए वह मध्यप्रदेश में बतौर जज काम करना न्याय उचित नहीं समझते. जस्टिस अतुल श्रीधरन मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में 2016 से काम कर रहे हैं और वे वर्तमान में ग्वालियर खंडपीठ में जज हैं.
अनूठा उदाहरण पेश किया : दरअसल, न्याय व्यवस्था यह कहती है कि जहां परिवार का कोई सदस्य न्यायाधीश है, वहां परिवार के किसी दूसरे सदस्य को वकालत नहीं करनी चाहिए. इससे न्याय के प्रभावित होने की संभावना बनी रहती है. इसलिए पिता जज ने अपनी बेटी के कैरियर को बनाने के लिए खुद का ट्रांसफर प्रदेश से दूर जम्मू एंड कश्मीर करवा लिया है. जस्टिस अतुल श्रीधरन को ऐसा महसूस हुआ कि उनके मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के जज रहते हुए उनकी बेटी का इंदौर में प्रैक्टिस करना न्याय के नजरिए से ठीक नहीं है. इसलिए उन्होंने मध्य प्रदेश से अपने ट्रांसफर का आवेदन सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम दिया था.
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लोगों का अदालती कार्यवाही पर विश्वास बढ़ेगा : सुप्रीम कोर्ट कोलोजियम ने अतुल श्रीधरण का आवेदन स्वीकार करते हुए उनका ट्रांसफर जम्मू एंड कश्मीर और लद्दाख हाईकोर्ट में कर दिया है. बता दें कि भारत में आम आदमी का भरोसा अदालत पर सबसे ज्यादा है और जब आदमी हर तरफ से निराश हो जाता है, तब अदालत का दरवाजा खटखटाता है और यहां उसे न्याय मिलता भी है. इसीलिए हाईकोर्ट के न्यायाधीशों पर नैतिक मूल्यों पर चलने की ज्यादा जिम्मेदारी होती है और जस्टिस अतुल श्रीधरन ने ऐसा ही उदाहरण पेश किया है.