जबलपुर। सीतानगर सिंचाई परियोजना के लिए भूमि अधिग्रहण के तहत भूमि अर्जन एवं पुनर्वासन और पुनर्व्यवस्थापन के लिए उचित प्रतिकर और पारदर्शिता अधिकार अधिनियम का पालन नहीं किए जाने के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी. याचिका में कहा गया था कि भूमि-स्वामियों को अधिग्रहित भूमि का उचित मुआवजा नहीं दिया जा रहा है. याचिका की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट के जस्टिस संजय द्विवेदी की एकलपीठ ने आवेदकों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.
किसानों की भूमि अधिग्रहित की जा रही
याचिकाकर्ता अन्नू सिंह की तरफ से दायर याचिका में कहा गया है कि मध्यप्रदेश सरकार द्वारा सीतानगर सिंचाई परियोजना के लिए दमोह के मेनवार गांव में किसानों की भूमि का अधिग्रहण करने का काम किया जा रहा है. किसानों की जमीन के अधिग्रहण में भूमि अर्जन एवं पुनर्वासन और पुनर्व्यवस्थापन में उचित प्रतिकर और पारदर्शिता अधिकार अधिनियम का पालन नहीं किया जा रहा है. नये भूमि अधिग्रहण कानून के प्रावधानों के तहत जमीन के दोगुने मूल्य देने तक का प्रावधान है. इसके विपरीत किसानों पर दबाव बनाकर जबरजन भूमि का अधिग्रहण किया जा रहा है.
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याचिका में राज्य सरकार, कलेक्टर दमोह, भूमि अधिग्रहण अधिकारी, तहसीलदार और सिंचाई विभाग को पक्षकार बनाया गया है. एकलपीठ ने सुनवाई के बाद अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. याचिका पर अगली सुनवाई 8 मई को निर्धारित है. याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता वरूण ठाकुर ने पैरवी की.