जबलपुर। संस्कारधानी जबलपुर सहित पूरे प्रदेश के 52 जिलों में पांच लाख ऐसे विद्यार्थी हैं, जिनके पास ऑनलाइन पढ़ने, देखने, सुनने के लिए संसाधन ही नहीं हैं. यह आंकड़े उस समय सामने आए हैं, जब स्कूल शिक्षा विभाग ऑनलाइन पढ़ाई व्यवस्था को पटरी पर लाने की कवायद कर रहा था. विभाग ने कोरोना वायरस संक्रमण के कारण ऑनलाइन पढ़ाई की शुरूआत की है, लेकिन इसके नतीजे विभाग को सही नहीं मिल रहे हैं.
स्कूल शिक्षा विभाग ने अच्छे परिणाम नहीं आने पर सर्वे कराया था तो उससे तस्वीर साफ हुई कि प्रदेश में बड़ी संख्या में बच्चों के पास ऑनलाइन पढ़ने के साधन ही नहीं हैं. सरकार से लेकर अधिकारियों तक का दावा था कि सरकारी स्कूलों को हाईटेक बनाया जा रहा है. स्मार्ट क्लास से लेकर बच्चों को आधुनिक संसाधनों से जोड़ने का अभियान भी चलाया जा रहा है, लेकिन हकीकत ये है कि इन स्कूली बच्चों के पास ऑनलाइन पढ़ने के साधन ही नहीं हैं, तो वो हाईटेक कैसे होंगे. अगर जबलपुर की बात की जाए तो यहां पर आठ हजार ऐसे बच्चे हैं जो ऑनलाइन पढ़ाई नहीं कर पा रहे हैं. इस तरह के बच्चों को गरीबी की श्रेणी में रखा जा रहा है. बताया जा रहा है कि इनके परिवार वालों के पास दो वक्त की रोटी का इंतजाम भी नहीं है तो फिर एंड्राइड मोबाइल-टीवी या फिर रेडियो कहां से खरीदेंगे.हालांकि संभाग आयुक्त महेशचंद्र चौधरी ने इस विषय को संज्ञान में लिया है और आश्वासन दिया है कि ऐसे बच्चे जो ऑनलाइन पढ़ाई किसी कारणवश नहीं कर पा रहे हैं, उनके लिए शासन व्यवस्था करवाएगा. वहीं अगर बात की जाए छोटे बच्चों के मोबाइल से पढ़ाई करने की तो उनकी आंखों के लिए मोबाइल ज्यादा उपयोग करना सही नहीं है. लिहाजा नेत्र विशेषज्ञ ने भी सलाह दी है कि बच्चों को कम से कम मोबाइल दिया जाए.
- जिले में 23 हजार बच्चे एंड्रॉइड मोबाइल से पढ़ाई कर रहे हैं तो 9 हजार केवल एवं 12 हजार बच्चे टेलीविजन से.
- फेल हुई विभाग की ऑनलाइन पढ़ाई व्यवस्था, 18% बच्चे पढ़ाई से छूटे.
- प्रदेश में 9वीं से लेकर 12वीं तक के कुल 19 लाख बच्चे, जिसमें 5 लाख बच्चों के पास पढ़ने के साधन ही नहीं हैं.