जबलपुर। मध्यप्रदेश में बिजली उपभोक्ताओं की समस्या रहती है कि उन्हें या तो पर्याप्त सप्लाई नहीं मिल पाती या बिल सही नहीं आता. वहीं, विद्युत वितरण कंपनी परेशान है क्योंकि सही जानकारी नहीं मिलने से मरम्मत के काम में दिक्कतें आती हैं. साथ ही बकाया बिलों की वसूली में भी परेशानी होती है. अब इन सभी समस्याओं से निपटने के लिए मध्यप्रदेश पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी को कारगर हथियार मिल गया है. इसका नाम है- GIS एप. विद्युत वितरण कंपनी का दावा है कि GIS एप की वजह से काम में इतनी सुविधा हो गई है कि इसका अध्ययन करने के लिए गुजरात, तमिलनाडु, छत्तीसगढ़ और दूसरे कई प्रदेशों के इंजीनियर जबलपुर आ रहे हैं.
खंभे, लाइन और सब स्टेशन, सारी जानकारी ऑनलाइन: GIS एप को मध्यप्रदेश पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के सॉफ्टवेयर इंजीनियर ने अपने स्टाफ को सुविधा मुहैया कराने के लिए बनाया है. इसमें लगभग 77 हजार किलोमीटर लंबी विद्युत लाइन का सर्वे किया गया है. बिजली के खंभों से लेकर सब स्टेशन तक का मैप बनाया गया है. बिजली सप्लाई कहां-कितनी हो रही है, किस वजह से रुकी है और कहां रुकी है, यह सभी जानकारी GIS एप से ऑनलाइन मिल जाती है. अब कंपनी का कोई भी अधिकारी इसके जरिए बिजली के ट्रांसमिशन में आ रही समस्या को ऑफिस में बैठकर ही देख सकता है. फील्ड में काम कर रहे कर्मचारी बिजली चोरी की शिकायत इस एप पर ऑनलाइन दर्ज कर देते हैं. जिस पर विभाग की टीम मौके पर पहुंचकर संबंधित उपभोक्ता पर जुर्माना कर देती है. यही वजह है कि बिजली चोरी की घटनाओं पर रोक लगने लगी है.
एप से ही पकड़ी गई बिजली कंपनी की चोरी: GIS एप की वजह से ही बिजली विभाग के कर्मचारियों की एक बड़ी चोरी पकड़ी गई. जिसकी वजह से करोड़ों रुपए के राजस्व का चूना लग रहा था. इस एप में ग्राउंड सर्वे और हर खंभे की जानकारी उपलब्ध होने की वजह से 58,000 ऐसे खंभे खोजे गए हैं, जो बिजली कंपनी के रिकॉर्ड में ही दर्ज नहीं थे. इनके जरिए चोरी-छुपे कई उपभोक्ताओं को बिजली दी जा रही थी. मामले में कुछ लापरवाही थी तो कुछ भ्रष्टाचार लेकिन इस एप की वजह से विभाग ने खुद अपनी ही पोल खोल दी. इस ऐप की वजह से वरिष्ठ अधिकारियों का जमीनी स्तर पर काम कर रहे अधिकारी और कर्मचारियों पर नियंत्रण भी बढ़ गया है.
राजस्व में बढ़ोतरी: बकाया बिलों की वसूली में भी GIS एप कारगर साबित हो रहा है. अब ऑनलाइन होने से बीते 2 साल के बिजली बिल आसानी से एक क्लिक पर देखे जा सकते हैं. जो खंभे और बिजली लाइनें रिकॉर्ड में दर्ज नहीं थे, उनकी जानकारी उपलब्ध होने से भ्रष्टाचार भी कम हुआ है. यह भी वजह है कि विद्युत वितरण कंपनी को करोड़ों रुपए का मुनाफा हुआ है और राजस्व में अभूतपूर्व बढ़ोतरी हुई है. पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी का राजस्व 847 करोड़ पर पहुंच गया है.
उपभोक्ताओं की पहुंच से दूर: GIS एप में एक कमी है कि इसे आम उपभोक्ता इस्तेमाल नहीं कर सकता. यह एक इनहाउस एप है, जिसका उपयोग केवल बिजली कंपनी के इंजीनियर ही कर सकते हैं. आम आदमी न तो इसमें शिकायत कर सकता है और न ही शिकायत का स्टेटस जान सकता है. यदि एप में यह सुधार हो जाए तो आम आदमी के लिए भी यह उपयोगी साबित हो सकता है.