जबलपुर। आज पूरे देश में मुस्लिम समुदाय का सबसे बड़ा त्योहार ईद मनाया जा रहा है. ऐसा माना जाता है कि रमजान के पवित्र महीने में पैगंबर साहब को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी. इस दौरान उन्होंने कुरान शरीफ बनाया था. तब से लेकर आज तक रमजान का ये महीना मुस्लिम समाज में पवित्र माना जाता है और इस महीने में रोजे रखे जाते हैं. रोजा एक कड़ी तपस्या की तरह है, जिसमें रोजेदार सुबह सूर्य निकलने के पहले कुछ खाता है. फिर सूर्य डूबने के बाद ही कुछ खा पाता है. ईद के साथ ही रोजे पूरे हो जाते हैं, इसलिए इसे हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. खासतौर पर ईद पर लोग गले मिलते हैं और शिकवे-शिकायत दूर करते हैं, लेकिन इस बार ईद पर ऐसा कुछ भी देखने को नजर नहीं आया.
शहर की बड़ी ईदगाह में सुबह मध्य प्रदेश के मुफ्ती-ए-आजम मौलाना साहब कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक के साथ पहुंचे, जहां केवल पांच लोगों ने ही ईद की नमाज अदा की. कुछ ऐसा ही आलम सुब्बा साह मैदान का रहा. यहां भी पांच लोगों ने ही ईद की नमाज अदा की. सदर की मस्जिद, जामा मस्जिद और सुपर ताल मस्जिद में भी लोग नहीं पहुंचे. वहीं बाजार पूरी तरह सूने पड़े हैं. ना मीना बाजार लगे और ना ही सामान्य बाजारों में ईद की रौनक नजर आई. सोशल डिस्टेंसिंग की वजह से कोई गले मिलते तक नजर नहीं आया. कोरोना वायरस ने ईद का मजा फीका कर दिया.
कंटेनमेंट एरिया में रहने वाले लोग घरों से भी नहीं निकले
सबसे ज्यादा खराब हालात शहर में घोषित कंटेनमेंट एरिया के रहे. इन इलाकों में तो लोग घरों से निकल ही नहीं पाए. नया मोहल्ला, मिलोनीगंज, चांदनी चौक और गोहलपुर में पुलिस को लोगों को घर में रखने के लिए लगातार अनाउंसमेंट भी करनी पड़ी.