जबलपुर। जिंदगी में नई पारी की शुरुआत बैंड बाजों के बिना अधूरी सी लगती है. किसी घर में शादी हो और बैंड की धुन पर 'आज मेरे यार की शादी है... दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे...' जैसे गाने न बजें, तो शादी की खुशियों में भी खालीपन लगता है. शादी में अपनी बेहतरीन धुनों पर लोगों को थिरकने पर मजबूर करने वाले बैंड संचालकों पर इस बार कोरोना काल का जबरदस्त असर पड़ा है. यह साल बैंड संचालकों के लिए भी बुरे सपने की तरह गुजर रहा है. उनके सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया है. लॉकडाउन में शादियां तो हो रही हैं, लेकिन अब ना तो बारात निकल रही है और ना ही बैंड बजाने वाले नजर आ रहे हैं. मार्च 2020 के बाद से शादी विवाह समारोह में बैंड बजाने वाले लगता है कहीं खो गए हैं. ऐसा लग रहा है कि जैसे कभी शादी-विवाह में बैंड आर्टिस्ट की जरूरत ही न पड़ी हो.
रोजी रोटी का संकट
शादी-विवाह के समय अगर बैंड वाले ना आएं तो लगता था कि सब कुछ अधूरा है. जैसे ही बारात में बाजा बजाना शुरू हो जाता था, तो लोग घरों से बाहर बारात को देखने के लिए निकल आते थे. इस बार लॉकडाउन के चलते बैंड आर्टिस्ट की जिंदगी पर गहरा असर पड़ा है. कोरोना वायरस के चलते लगे लॉकडाउन ने बैंड आर्टिस्टों की कमर ही तोड़ दी है. बीते 5 माह से बैंड व्यवसायी पूरी तरह से बेरोजगार हो गए हैं. इनकी दुकानों में सन्नाटा पसरा हुआ है. 15 अगस्त, मोहर्रम, गणेश चतुर्थी जैसे कई त्यौहारों पर भी बैंड आर्टिस्टों की चांदी होती थी. लेकिन अब इनके सामने रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया है.
जिला प्रशासन का आदेश, किसी भी कीमत में ना लें ऑर्डर
जबलपुर में बैंड आर्टिस्टों को जिला प्रशासन ने सख्त हिदायत दी है कि किसी भी कीमत पर गाने-बजाने का आर्डर ना लें. इसके बावजूद कोई आदेश की अवहेलना करता है, तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. वहीं बैंड आर्टिस्टों ने जिला प्रशासन से आग्रह भी किया था कि कार्यक्रम में सोशल डिस्टेंस के साथ 4 लोगों को शामिल होने की अनुमति दी जाए. हालांकि बैंड संचालकों के इस आग्रह को प्रशासन ने सिरे से ठुकरा दिया है. इतना ही नहीं प्रशासन ने हिदायत दी है कि अगर किसी ने भी आदेश की अवहेलना की, तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.
5 माह से काम है बंद
अंतरराष्ट्रीय बैंड आर्टिस्ट मनीष कुमार बताते हैं कि मार्च माह के बाद से बैंड का व्यवसाय पूरी तरह से ठप्प हो गया है. कभी कोई छोटा-मोटा काम मिलता है, तो उसमें भी पुलिस प्रशासन के आदेश लागू हो जाते हैं. आर्टिस्ट आर्थिक स्थिति डांवा डोल होने के बावजूद प्रशासन के नियमों का पालन कर रहे हैं. हालात यह हैं कि घर में जेवर-गहने बेचकर अब परिवार का पेट पालना पड़ रहा है. लगातार बिगड़ती हालात के बावजूद सरकार इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रही है.
शहर में हैं 2 हजार से ज्यादा आर्टिस्ट
जिले में 100 से ज्यादा बैंड संचालक हैं, जिनके ग्रुप में करीब दो हजार से ज्यादा आर्टिस्ट शामिल है. कोई ब्राश बजाता है, कोई शहनाई, तो कोई बैंड... इन सबको मिलाकर करीब 2000 लोग हैं, जो कि बैंड के व्यवसाय से जुड़े हुए हैं. कोरोना संक्रमण ने इन आर्टिस्टों को भूखे मरने की कगार में लाकर खड़ा कर दिया है. आज बैंड का ना ही व्यापार बचा है, और ना ही किसी तरह से आमदनी हो रही है. ऐसे में बैंड के व्यवसाय से जुड़े यह कलाकार भूखे मरने की कगार में आ खड़े हुए हैं.
आंदोलन की दी चेतावनी
बीते 5 माह से जिला प्रशासन के निर्देशों का पालन कर रहे बैंड व्यवसायियों की माली हालत लगातार खराब होती जा रही है. बैंड संचालकों का कहना है कि सरकार ने वैसे तो सभी व्यापारियों को राहत दी है, लेकिन बैंड संचालकों की ओर कोई ध्यान नहीं दिया है. सरकार बैंड संचालकों से सौतेला व्यवहार कर रही है. बैंड आर्टिस्टों ने सरकार को चेतावनी दी है कि अगर जल्द ही उनके व्यवसाय को लेकर कोई कदम राज्य सरकार नहीं उठाती है, तो आने वाले समय में मध्य प्रदेश के तमाम बैंड आर्टिस्ट मिलकर सरकार के खिलाफ आंदोलन करने को मजबूर हो जाएंगे.
बता दें कि सरकार की इसी बेरूखी को लेकर बीते दिनों जुलूस भी निकाला था. जिसमें उन्होंने मांग की थी कि उन्हें भी अन्य व्यवसायियों की तरह मुआवजा और राहत दी जाए.