जबलपुर। आमतौर पर जुआ खेलना अच्छा नहीं माना जाता है. लेकिन दीपावली के दिन कई जगहों पर जुआ को बुरा नहीं माना जाता है. महाभारत में भी जुआ खेले जाने, और इसमें पांडवों द्वारा सबकुछ हारे जाने का जिक्र है. लेकिन कम ही लोगों को इस बात की जानकारी है कि पौराणिक कहानियों में भगवान शिव और पार्वती जी भी चौसर यानी जुआ का खेल खेलते थे. शहर के रानी दुर्गावती संग्रहालय में भगवान शंकर और पार्वती की अद्भुत प्रतिमा रखी गयी है. जिसमें भगवान शंकर माता पार्वती के साथ चौसर खेलते नजर आते हैं.
चौपड़ खेलते शिव-पार्वती की 10 वीं शताब्दी की दुर्लभ प्रतिमा
रानी दुर्गावती संग्रहालय में भगवान शंकर और पार्वती जी की दुर्लभ मूर्ति है. जिसके बारे में दावा किया जाता है कि यह 10 वीं शताब्दी की प्रतिमा है. इस प्रतिमा में कलाकारी का अद्भुत नमूना देखने को मिलता है. जिसमें भगवान शंकर पार्वती जी के साथ चौपड़ का खेल खेल रहे हैं. इस प्राचीन प्रतिमा में शंकर जी को हारते हुए दिखाया गया है. खेल में भगवान शंकर, माता पार्वती से सब कुछ हार जाते हैं, जिसके बाद वो अपने वाहन नंदी को भी दांव पर लगा देते हैं. लेकिन नंदी को भी भगवान शंकर हार जाते हैं. इसके बाद पार्वती जी की कणिकाएं और खुद भगवान गणेश नंदी को अपने साथ ले जाते हुए इस प्रतिमा में देखा जा सकता है. मूर्ति में कार्तिक भगवान और गरूड़ देव को भी देखा जा सकता है. 10 वीं शताब्दी की पत्थर की इस मूर्ति में भगवान की भाव भंगिमा को बड़े ही सुंदर ढंग से दिखाया गया है. संग्रहालय की ये प्रतिमा अपने में दुर्लभ है और यहां के गाइड रामकुमार रसलया का कहना है कि ऐसी दूसरी मूर्ति शायद ही प्रदेश में मिले.