जबलपुर। एयर स्ट्राइक के लिये भेजे गये बम ऑर्डिनेंस फैक्ट्री में बनना बंद हो सकते हैं. पिछले कई सालों से देश की तीनों सेनाओं को हथियार उपलब्ध कराने वाली ऑर्डिनेंस फैक्ट्री पर संकट आ सकता है. क्योंकि सरकार जिस तरीके से आयुध निर्माणियों को निजी हाथों में सौंप रही है, उससे अंदेशा जताया जा रहा है कि आने वाले समय में यहां बम बनना बंद हो सकते हैं.
यहां काम करने वाले कर्मचारियों और अधिकारियों की मानें तो अगर फैक्ट्री का निजीकरण हुआ तो इसकी कोई गारंटी नहीं है कि वह समय पर सेनाओं को उतने हथियार दे पायेगी, जितने वर्तमान में उपलब्ध कराये जा रहे हैं. एयर स्ट्राइक के दौरान जिन बमों से आतंकी कैंपों को नेस्तानाबूत किया गया है, उन्हें बनाने वाले अधिकारी और कर्मचारियों का कहना है कि सरकार को आयुध निर्माणियों के काम नहीं छीनने चाहिए.
कर्चमारियों ने कहा कि देश की सुरक्षा के सबसे जरूरी हथियार निजी कंपनियां समय पर दे पाएंगी, ऐसी उम्मीद नहीं है. इसलिए सुरक्षा के इस मामले में सरकार को निजीकरण को रोकना चाहिए. कर्मचारियों ने कहा कि फैक्ट्री को विश्वास तो है, लेकिन निजीकरण से देश की सुरक्षा को खतरा हो सकता है. बता दें कि आयुध निर्माणियों के बने हथियार न केवल भारत की सुरक्षा में इस्तेमाल होते हैं बल्कि दुनिया के कई छोटे देश यहां से हथियार बनवाते हैं, जिससे भारत को विदेशी मुद्रा भी मिलती है.
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हालांकि ये व्यापार बहुत कम है, लेकिन कर्मचारियों का कहना है कि सरकार चाहे तो यह व्यापार बढ़ सकता है. भारत में पहले ही रोजगार की भारी कमी है, यदि आयुध निर्माणियों से हथियार बनाकर उनको दूसरे देशों में बेचा जाए तो बड़ी तादाद में विदेशी मुद्रा कमाई जा सकती है. इसकी तकनीक भी हमारे पास है और बुनियादी ढांचा भी. बस जरूरत है तो सरकार की मन्शा की.
एयर स्ट्राइक में जिन बमों का इस्तेमाल किया गया है, वे जबलपुर की इसी फैक्ट्री में बनते हैं. इसके अलावा यहां बहुत से हथियार बनाए जाते हैं, उनमें 1000 पाउंडर बम भी बनाया जाता है जो बेहद खतरनाक है. यदि यह सटीक निशाने पर गिर जाए तो बहुमंजिला इमारत को पलभर में ध्वस्त कर सकता है. यही बम मंगलवार को भारतीय सेना ने आंतकी कैंपों पर गिराये हैं.