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जबलपुर: एयर स्ट्राइक के लिये बम देने वाली ऑर्डिनेंस फैक्ट्री के कर्मचारियों पर संकट, निजीकरण रोकने की मांग - stop,

कर्मचारियों और अधिकारियों की मानें तो अगर फैक्ट्री का निजीकरण हुआ तो इसकी कोई गारंटी नहीं है कि वह समय पर सेनाओं को उतने हथियार दे पायेगी, जितने वर्तमान में उपलब्ध कराये जा रहे हैं. एयर स्ट्राइक के दौरान जिन बमों से आतंकी कैंपों को नेस्तानाबूत किया गया है, उन्हें बनाने वाले अधिकारी और कर्मचारियों का कहना है कि सरकार को आयुध निर्माणियों के काम नहीं छीनने चाहिए.

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Published : Feb 26, 2019, 10:38 PM IST

जबलपुर। एयर स्ट्राइक के लिये भेजे गये बम ऑर्डिनेंस फैक्ट्री में बनना बंद हो सकते हैं. पिछले कई सालों से देश की तीनों सेनाओं को हथियार उपलब्ध कराने वाली ऑर्डिनेंस फैक्ट्री पर संकट आ सकता है. क्योंकि सरकार जिस तरीके से आयुध निर्माणियों को निजी हाथों में सौंप रही है, उससे अंदेशा जताया जा रहा है कि आने वाले समय में यहां बम बनना बंद हो सकते हैं.

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यहां काम करने वाले कर्मचारियों और अधिकारियों की मानें तो अगर फैक्ट्री का निजीकरण हुआ तो इसकी कोई गारंटी नहीं है कि वह समय पर सेनाओं को उतने हथियार दे पायेगी, जितने वर्तमान में उपलब्ध कराये जा रहे हैं. एयर स्ट्राइक के दौरान जिन बमों से आतंकी कैंपों को नेस्तानाबूत किया गया है, उन्हें बनाने वाले अधिकारी और कर्मचारियों का कहना है कि सरकार को आयुध निर्माणियों के काम नहीं छीनने चाहिए.

कर्चमारियों ने कहा कि देश की सुरक्षा के सबसे जरूरी हथियार निजी कंपनियां समय पर दे पाएंगी, ऐसी उम्मीद नहीं है. इसलिए सुरक्षा के इस मामले में सरकार को निजीकरण को रोकना चाहिए. कर्मचारियों ने कहा कि फैक्ट्री को विश्वास तो है, लेकिन निजीकरण से देश की सुरक्षा को खतरा हो सकता है. बता दें कि आयुध निर्माणियों के बने हथियार न केवल भारत की सुरक्षा में इस्तेमाल होते हैं बल्कि दुनिया के कई छोटे देश यहां से हथियार बनवाते हैं, जिससे भारत को विदेशी मुद्रा भी मिलती है.

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हालांकि ये व्यापार बहुत कम है, लेकिन कर्मचारियों का कहना है कि सरकार चाहे तो यह व्यापार बढ़ सकता है. भारत में पहले ही रोजगार की भारी कमी है, यदि आयुध निर्माणियों से हथियार बनाकर उनको दूसरे देशों में बेचा जाए तो बड़ी तादाद में विदेशी मुद्रा कमाई जा सकती है. इसकी तकनीक भी हमारे पास है और बुनियादी ढांचा भी. बस जरूरत है तो सरकार की मन्शा की.

एयर स्ट्राइक में जिन बमों का इस्तेमाल किया गया है, वे जबलपुर की इसी फैक्ट्री में बनते हैं. इसके अलावा यहां बहुत से हथियार बनाए जाते हैं, उनमें 1000 पाउंडर बम भी बनाया जाता है जो बेहद खतरनाक है. यदि यह सटीक निशाने पर गिर जाए तो बहुमंजिला इमारत को पलभर में ध्वस्त कर सकता है. यही बम मंगलवार को भारतीय सेना ने आंतकी कैंपों पर गिराये हैं.

जबलपुर। एयर स्ट्राइक के लिये भेजे गये बम ऑर्डिनेंस फैक्ट्री में बनना बंद हो सकते हैं. पिछले कई सालों से देश की तीनों सेनाओं को हथियार उपलब्ध कराने वाली ऑर्डिनेंस फैक्ट्री पर संकट आ सकता है. क्योंकि सरकार जिस तरीके से आयुध निर्माणियों को निजी हाथों में सौंप रही है, उससे अंदेशा जताया जा रहा है कि आने वाले समय में यहां बम बनना बंद हो सकते हैं.

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यहां काम करने वाले कर्मचारियों और अधिकारियों की मानें तो अगर फैक्ट्री का निजीकरण हुआ तो इसकी कोई गारंटी नहीं है कि वह समय पर सेनाओं को उतने हथियार दे पायेगी, जितने वर्तमान में उपलब्ध कराये जा रहे हैं. एयर स्ट्राइक के दौरान जिन बमों से आतंकी कैंपों को नेस्तानाबूत किया गया है, उन्हें बनाने वाले अधिकारी और कर्मचारियों का कहना है कि सरकार को आयुध निर्माणियों के काम नहीं छीनने चाहिए.

कर्चमारियों ने कहा कि देश की सुरक्षा के सबसे जरूरी हथियार निजी कंपनियां समय पर दे पाएंगी, ऐसी उम्मीद नहीं है. इसलिए सुरक्षा के इस मामले में सरकार को निजीकरण को रोकना चाहिए. कर्मचारियों ने कहा कि फैक्ट्री को विश्वास तो है, लेकिन निजीकरण से देश की सुरक्षा को खतरा हो सकता है. बता दें कि आयुध निर्माणियों के बने हथियार न केवल भारत की सुरक्षा में इस्तेमाल होते हैं बल्कि दुनिया के कई छोटे देश यहां से हथियार बनवाते हैं, जिससे भारत को विदेशी मुद्रा भी मिलती है.

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हालांकि ये व्यापार बहुत कम है, लेकिन कर्मचारियों का कहना है कि सरकार चाहे तो यह व्यापार बढ़ सकता है. भारत में पहले ही रोजगार की भारी कमी है, यदि आयुध निर्माणियों से हथियार बनाकर उनको दूसरे देशों में बेचा जाए तो बड़ी तादाद में विदेशी मुद्रा कमाई जा सकती है. इसकी तकनीक भी हमारे पास है और बुनियादी ढांचा भी. बस जरूरत है तो सरकार की मन्शा की.

एयर स्ट्राइक में जिन बमों का इस्तेमाल किया गया है, वे जबलपुर की इसी फैक्ट्री में बनते हैं. इसके अलावा यहां बहुत से हथियार बनाए जाते हैं, उनमें 1000 पाउंडर बम भी बनाया जाता है जो बेहद खतरनाक है. यदि यह सटीक निशाने पर गिर जाए तो बहुमंजिला इमारत को पलभर में ध्वस्त कर सकता है. यही बम मंगलवार को भारतीय सेना ने आंतकी कैंपों पर गिराये हैं.

Intro:जबलपुर की आयुध निर्माणी के कर्मचारियों में हर्ष का माहौल उनके बनाए बमों से मारे गए आतंकवादी लेकिन आयुध निर्माणी कर्मचारियों का कहना की सरकार को आयुध निर्माणी क्षेत्र मे निजी करण रोकना चाहिए


Body:एयर स्ट्राइक में जिन बमों का इस्तेमाल हुआ है उनके बारे में सूत्रों के हवाले से खबर है कि भी जबलपुर में बनाए गए थे जबलपुर आयुध निर्माणी के कर्मचारी इस बात से बेहद खुश हैं की वह देश के काम आए लेकिन इसी मौके पर वे सरकार को भी एक संदेश देना चाहते हैं

एयर स्ट्राइक मै जिन बमों का इस्तेमाल किया गया है बे जबलपुर मैं भी में बनते हैं जबलपुर की आयुध निर्माणी में बहुत से हथियार बनाए जाते हैं उसने 1000 पाउंड बम भी बनाया जाता है यह बहुत खतरनाक बम है यदि यह सटीक निशाने पर गिर जाए तो बहुमंजिला इमारत को नेस्तनाबूद कर सकता है

लेकिन आयुध निर्माणी में काम करने वाले लोगों का कहना है सरकार जिस तरीके से आयुध निर्माणी ओं के कामों को निजी हाथों में सौंप रही है उससे हो सकता है कि किसी दिन इन बमों के निर्माण को बंद करना पड़े या फिर यह किसी निजी कंपनी के द्वारा बनाए जाने लगे आज जब सर्जिकल एयर स्ट्राइक हुई तो जबलपुर के बने बम ने ही कमाल दिखाया इन बमों को बनाने वाले कर्मचारियों और अधिकारियों का कहना है इस सरकार को आयुध निर्माणीयों के काम नहीं छीनने चाहिए क्योंकि देश की सुरक्षा के सबसे जरूरी हथियार निजी कंपनियां समय पर दे पाएंगी ऐसी उम्मीद नहीं है इसलिए सुरक्षा के इस मामले में सरकार को निजी करण को रुकना चाहिए जबलपुर की आयुध निर्माणी ओं के बने हथियार ना केवल भारत की सुरक्षा में इस्तेमाल होते हैं बल्कि दुनिया के कई छोटे देश यहां से हथियार बनाते हैं और से विदेशी मुद्रा भी भारत को मिलती है हालांकि है व्यापार बहुत कम है लेकिन कर्मचारियों का कहना है कि सरकार चाहे तो यह व्यापार बढ़ सकता है


Conclusion:भारत में पहले ही रोजगार की भारी कमी है यदि आयुध निर्माणी ओं में हथियार बनाकर उनको छोटे दूसरे देशों में बेचा जाए तो बड़ी तादाद में विदेशी मुद्रा कमाई जा सकती है इसकी तकनीक भी हमारे पास है और बुनियादी ढांचा भी हमारे पास है बस जरूरत है तो सरकार की मनसा की
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