जबलपुर। छिंदवाड़ा जिले में एसडीएम के चेहरे पर कालिख पोते जाने के मामले में पूर्व विधायक ने अग्रिम जमानत के लिए हाईकोर्ट की शरण ली थी. याचिका की सुनवाई के दौरान शिकायतकर्ता एसडीएम ने जमानत याचिका का विरोध करते हुए आवेदन दायर किया था. याचिका की सुनवाई के बाद हाईकोर्ट के कार्यवाहक चीफ जस्टिस संजय यादव और जस्टिस सुजय पॉल की युगलपीठ ने फैसला सुरक्षित रख लिया है.
पूर्व विधायक ने दायर की थी याचिका
याचिका पूर्व विधायक गंभीर सिंह चौधरी की तरफ से दायर की गयी. अग्रिम जमानत याचिका में कहा गया था कि कांग्रेसियों ने 18 सितम्बर 2020 को जिला छिंदवाड़ा के चैरई एसडीएम कार्यालय में प्रदर्शन किया था. इस दौरान किसी कांग्रेसियों ने एसडीएम सीपी पटेल के मुंह में कालिख पोती थी. एसडीएम की शिकायत पर विधायक सहित 21 लोगों के खिलाफ गैर जमानती धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था. कांग्रेस नेता बंटी रधुवंशी को गिरफ्तार कर उसके खिलाफ एनएसए के तहत कार्रवाई की गयी थी.
याचिकाकर्ता ने क्या कहा
याचिकाकर्ता की तरफ से कहा गया था कि उनकी उम्र 70 साल है और वह प्रदर्शन में शामिल होने गए थे. एक व्यक्ति द्वारा कालिख लगाये जाने पर अन्य व्यक्तियों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया. इसके अलावा मुख्य आरोपी बंटी के खिलाफ दर्ज एनएसए की कार्रवाई को रद्द करते हुए न्यायालय ने उसे जमानत का लाभ प्रदान कर दिया है. याचिका पर पिछली सुनवाई के दौरान युगलपीठ ने पाया था कि कई अवसर दिये जाने के बावजूद भी सरकार ने जवाब और आपत्ति पेश नहीं की. जिसे गंभीरता से लेते हुए युगलपीठ ने 50 हजार रूपये हाईकोर्ट विधिक सेवा समिति में जमा करने के शर्त पर सरकार को जवाब व आपत्ति पेश करने के लिए अंतिम अवसर प्रदान किया है.
एसडीएम पटेल की तरफ से अग्रिम जमानत याचिका का विरोध करते हुए हाईकोर्ट में इंटरविनर बनते हुए आवेदन दायर किया गया था. आवेदन में कहा गया था कि कोरोना काल में निर्धारित गाइडलाइन का उल्लंघन करते हुए बिना अनुमत्ति प्रदर्शन किया गया था.
इसके अलावा उन्होंने प्रशासनिक अधिकारियों के साथ बल प्रयोग किया और शासकीय कार्य में बाधा डाली. इस संबंध में संबंधित अधिकारियों के बयान दर्ज हुए हैं. मुख्य आरोपी बंटी की जमानत निरस्त करने के लिए उनकी तरफ से हाईकोर्ट में पृथक याचिका भी दायर की गयी है. याचिका की सुनवाई के बाद युगलपीठ ने मंगलवार को फैसला सुरक्षित रखने के निर्देश जारी किए हैं. सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता वरूण तन्खा और आपत्तिकर्ता के तरफ से अधिवक्ता आर चंद्र ने पैरवी की.