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निगम प्रशासक ने 11 अरब 53 करोड़ रुपए का बजट किया पेश

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Published : Apr 1, 2021, 8:20 PM IST

कोरोना काल के बीच जबलपुर नगर निगम ने 11 अरब 53 करोड़ रुपए का बजट पेश किया है. बीते साल की तरह इस साल भी बजट को लेकर कई सवाल उठे हैं. मसलन क्या वाकई में इस बजट से शहर के विकास होगा. क्योंकि बीते साल भी एक भारी-भरकम बजट पेश किया गया था. पर असलियत में उस बजट की हवा निकल गई थी जिसका विरोध भी आम जनता के साथ-साथ विपक्ष ने जोर-शोर से किया था.

Corporation Administrator presented a budget of 11 billion 53 crores
निगम प्रशासक ने 11 अरब 53 करोड़ रुपए का बजट किया पेश

जबलपुर। बीते 1 साल से प्रदेश में कोरोना वायरस का संक्रमण फैला हुआ है. इस सबके बीच नगर निगम जबलपुर ने अपना बजट पेश किया. इस साल प्रशासक ने अपना बजट पेश किया है. मध्य प्रदेश की संस्कारधानी कहे जाने वाले जबलपुर में नगर निगम ने 11 अरब 53 करोड़ रु का बजट पेश किया. इस बजट में जनता की सुविधा का ख्याल रखा गया है. इधर प्रशासन ने जो बजट पेश किया है उसको विपक्ष ने सिरे से नकार दिया है और जमकर आलोचना की.

निगम प्रशासक ने 11 अरब 53 करोड़ रुपए का बजट किया पेश
  • सड़क-स्वच्छता-पानी-पार्क पर फोकस

कोरोना के बीच महापौर-पार्षदों की गैरमौजूदगी में प्रशासक ने जबलपुर नगर निगम का बजट पेश किया गया. बजट करीब 11 अरब 53 करोड़ रुपए का बताया जा रहा है. इस बजट में आम जनता के लिए सड़क, नाली, पानी, स्वच्छता और पार्क को विकसित करने का विशेष ध्यान रखा गया है. इसके अलावा यह भी फोकस किया जा रहा है कि इस बजट से शहर का ज्यादा से ज्यादा विकास हो सके.

नगर निगम के पेश हुए बजट में आंकड़ो का खेल, 401 करोड़ के खर्च का अनुमान

  • मुख्यमंत्री की घोषणा की राशि का नहीं हुआ बजट में उपयोग

हाल ही में मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रदेश के नगर निगम के लिए करीब 33 सौ करोड़ रु के बजट की घोषणा की थी. वह राशि नगर निगम को अभी तक नहीं मिली. जबलपुर नगर निगम के अपर आयुक्त बताते हैं कि अभी जो 11 अरब 53 करोड़ रुपए का बजट पारित किया गया है. वह जबलपुर में कर के रूप में वसूला गया बजट है. आने वाले समय में सीएम ने जो घोषणा की है वो राशि मिलती है तो फिर बजट में उस राशि को मिला लिया जाएगा. लेकिन अभी शासन से अतिरिक्त राशि नहीं मिली है.

  • विपक्ष का पलटवार

हमेशा से ही जबलपुर नगर निगम का जो बजट पेश होता है वह महापौर- पार्षद-विधायक और जनप्रतिनिधियों के बीच पेश किया जाता रहा है. लेकिन इस साल निगम प्रशासक ने बिना सूचना के शहर का बजट पेश कर दिया. जिस पर विपक्ष ने निशाना साधा है. कांग्रेस विधायक विनय सक्सेना की माने तो यह बजट आंकड़ों की बाजीगरी के सिवाए कुछ नहीं है. जिसमें सिर्फ लोक लुभावने वादे झलक रहे हैं और जनता के हित का बजट से कोई लेना देना नहीं है.

जबलपुर। बीते 1 साल से प्रदेश में कोरोना वायरस का संक्रमण फैला हुआ है. इस सबके बीच नगर निगम जबलपुर ने अपना बजट पेश किया. इस साल प्रशासक ने अपना बजट पेश किया है. मध्य प्रदेश की संस्कारधानी कहे जाने वाले जबलपुर में नगर निगम ने 11 अरब 53 करोड़ रु का बजट पेश किया. इस बजट में जनता की सुविधा का ख्याल रखा गया है. इधर प्रशासन ने जो बजट पेश किया है उसको विपक्ष ने सिरे से नकार दिया है और जमकर आलोचना की.

निगम प्रशासक ने 11 अरब 53 करोड़ रुपए का बजट किया पेश
  • सड़क-स्वच्छता-पानी-पार्क पर फोकस

कोरोना के बीच महापौर-पार्षदों की गैरमौजूदगी में प्रशासक ने जबलपुर नगर निगम का बजट पेश किया गया. बजट करीब 11 अरब 53 करोड़ रुपए का बताया जा रहा है. इस बजट में आम जनता के लिए सड़क, नाली, पानी, स्वच्छता और पार्क को विकसित करने का विशेष ध्यान रखा गया है. इसके अलावा यह भी फोकस किया जा रहा है कि इस बजट से शहर का ज्यादा से ज्यादा विकास हो सके.

नगर निगम के पेश हुए बजट में आंकड़ो का खेल, 401 करोड़ के खर्च का अनुमान

  • मुख्यमंत्री की घोषणा की राशि का नहीं हुआ बजट में उपयोग

हाल ही में मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रदेश के नगर निगम के लिए करीब 33 सौ करोड़ रु के बजट की घोषणा की थी. वह राशि नगर निगम को अभी तक नहीं मिली. जबलपुर नगर निगम के अपर आयुक्त बताते हैं कि अभी जो 11 अरब 53 करोड़ रुपए का बजट पारित किया गया है. वह जबलपुर में कर के रूप में वसूला गया बजट है. आने वाले समय में सीएम ने जो घोषणा की है वो राशि मिलती है तो फिर बजट में उस राशि को मिला लिया जाएगा. लेकिन अभी शासन से अतिरिक्त राशि नहीं मिली है.

  • विपक्ष का पलटवार

हमेशा से ही जबलपुर नगर निगम का जो बजट पेश होता है वह महापौर- पार्षद-विधायक और जनप्रतिनिधियों के बीच पेश किया जाता रहा है. लेकिन इस साल निगम प्रशासक ने बिना सूचना के शहर का बजट पेश कर दिया. जिस पर विपक्ष ने निशाना साधा है. कांग्रेस विधायक विनय सक्सेना की माने तो यह बजट आंकड़ों की बाजीगरी के सिवाए कुछ नहीं है. जिसमें सिर्फ लोक लुभावने वादे झलक रहे हैं और जनता के हित का बजट से कोई लेना देना नहीं है.

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