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हीरे के लिए Buxwaha के जंगलों को 'जलाने' की तैयारी! National Green Tribunal ने मांगा जवाब

Buxwaha Forest में हीरा खनन को लेकर जबलपुर के दो समाजिक कार्यकर्ताओं ने National Green Tribunal में दायर की गई याचिका में कहा कि जंगल की कटाई करने वाली कंपनी के पास कोई भी सरकारी स्वीकृती नहीं है.

Buxwaha Forest
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Published : Jun 11, 2021, 8:09 PM IST

Updated : Jun 12, 2021, 11:22 AM IST

जबलपुर। National Green Tribunal में छतरपुर जिले के Buxwaha Forest में हीरा खनन को लेकर जबलपुर के दो सामाजिक कार्यकर्ताओं ने याचिका दायर की है. याचिका में कहा गया है कि बकस्वाहा जंगल में हीरा खदान के लिए खनन करने वाली कंपनी के पास किसी भी सरकारी पर्यावरणीय स्वीकृति नहीं है. यदि यह कंपनी यहां पर खनन करती है तो पर्यावरण को बहुत नुकसान होगा. इस अनुमति के मामले को लेकर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने निजी कंपनी XL Mining से जवाब मांगा है.

डॉक्टर पीजी नाज पांडे

दमोह और बक्सवाह में हीरा खनन परियोजना का विरोध, जंगल बचाने के लिए पेड़ों से चिपके लोग

  • कंपनी के पास नहीं है कोई सरकारी अनुमति

दरअसल जबलपुर के सामाजिक कार्यकर्ता डॉक्टर पीजी नाज पांडे और रजत भार्गव ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में एक याचिका दायर की थी और बक्सवाहा के जंगल में हीरे की खदान के लिए खनन को चुनौती दी थी. जबलपुर के सामाजिक कार्यकर्ताओं का तर्क है कि छतरपुर की लगभग 364 हेक्टेयर वन भूमि पर बिना पर्यावरणीय स्वीकृति के XL Mining नाम की कंपनी को हीरा खनन करने का अधिकार दे दिया गया है, जो पूरी तरह से गलत है. क्योंकि इस तरह के खनन से इस पूरे इलाके में पर्यावरणीय संकट खड़े हो जाएंगे. यहां पर भूमिगत जल और जंगल दोनों के सामने खतरे आ जाएंगे. इसलिए पहले कंपनी पर्यावरणीय स्वीकृति मिलने के बाद खनन शुरू हो. कंपनी अब तक अपनी पर्यावरणीय स्वीकृतियां नहीं दिखा पाई है. एनजीटी ने कंपनी को 15 दिन का समय दिया है.

जबलपुर। National Green Tribunal में छतरपुर जिले के Buxwaha Forest में हीरा खनन को लेकर जबलपुर के दो सामाजिक कार्यकर्ताओं ने याचिका दायर की है. याचिका में कहा गया है कि बकस्वाहा जंगल में हीरा खदान के लिए खनन करने वाली कंपनी के पास किसी भी सरकारी पर्यावरणीय स्वीकृति नहीं है. यदि यह कंपनी यहां पर खनन करती है तो पर्यावरण को बहुत नुकसान होगा. इस अनुमति के मामले को लेकर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने निजी कंपनी XL Mining से जवाब मांगा है.

डॉक्टर पीजी नाज पांडे

दमोह और बक्सवाह में हीरा खनन परियोजना का विरोध, जंगल बचाने के लिए पेड़ों से चिपके लोग

  • कंपनी के पास नहीं है कोई सरकारी अनुमति

दरअसल जबलपुर के सामाजिक कार्यकर्ता डॉक्टर पीजी नाज पांडे और रजत भार्गव ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में एक याचिका दायर की थी और बक्सवाहा के जंगल में हीरे की खदान के लिए खनन को चुनौती दी थी. जबलपुर के सामाजिक कार्यकर्ताओं का तर्क है कि छतरपुर की लगभग 364 हेक्टेयर वन भूमि पर बिना पर्यावरणीय स्वीकृति के XL Mining नाम की कंपनी को हीरा खनन करने का अधिकार दे दिया गया है, जो पूरी तरह से गलत है. क्योंकि इस तरह के खनन से इस पूरे इलाके में पर्यावरणीय संकट खड़े हो जाएंगे. यहां पर भूमिगत जल और जंगल दोनों के सामने खतरे आ जाएंगे. इसलिए पहले कंपनी पर्यावरणीय स्वीकृति मिलने के बाद खनन शुरू हो. कंपनी अब तक अपनी पर्यावरणीय स्वीकृतियां नहीं दिखा पाई है. एनजीटी ने कंपनी को 15 दिन का समय दिया है.

Last Updated : Jun 12, 2021, 11:22 AM IST
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