जबलपुर। कोरोना वायरस की वजह से ना सिर्फ सामाजिक परिवर्तन हो रहे हैं बल्कि इससे ज्ञान-विज्ञान का क्षेत्र भी प्रभावित है. शिक्षा के क्षेत्र में युवाओं के आगे चुनौती अपने स्किल डेवलपमेंट की है जो बिना कॉलेज कैंपस में गए हासिल करना संभव नहीं है. इंजीनियरिंग के छात्र बिना प्रैक्टिकल के ऑनलाइन एजुकेशन हासिल कर रहे हैं. वहीं अन्य प्रोफेशनल कोर्सेस के छात्रों के आगे भी कमोवेश यही समस्या है. ना तो उन्हे स्किलड फैकल्टी मिल पा रही है और ना ही प्रोफेसर्स से सीधा संपर्क हो पा रहा है. ऐसे में कॉलेज के जो फायदे कैंपस में मिल सकते थे, उससे वो महरुम हैं.
स्किल डेवलपमेंट बड़ी समस्या
दरअसल, कॉलेज केवल किताबी शिक्षा ही नहीं देता बल्कि छात्रों को सामाजिक आचार-व्यवहार भी सिखाता है. स्किल डेवलपमेंट का अहम सेंटर भी यही है. छात्र, तरुण युवा हैं और समाज में उनका व्यवहार कैसा हो, इन बातों को वे कॉलेज में ही सीखते हैं. यहां उन्हे जीवन का बड़ा अनुभव मिलता है, लेकिन कोरोना वायरस के कारण वे इससे वंचित हैं. पिछले साल, जो छात्र 12वीं से फर्स्ट ईयर में आए थे, उन्हें कॉलेज समझ में ही नहीं आया. पूरे साल ऑनलाइन पढ़ाई होती रही. इस साल भी कुछ ऐसा ही लग रहा है.
ईटीवी भारत से छात्रों ने की मन की बात
समाज में ज्यादा चर्चा स्कूली शिक्षा की है, लेकिन कॉलेज जाने वाली युवा पीढ़ी के सामने बहुत बड़ी समस्या खड़ी हुई है. ऐसे में ईटीवी भारत ने बात की जबलपुर के उन छात्र-छात्राओं से जिनके भीतर कसक है कि वो कॉलेज नहीं जा पा रहे. उनका करियर ठीक से शेप नहीं ले पा रहा. उनका कहना है कॉलेज की शिक्षा केवल किताबी ज्ञान नहीं होती बल्कि इसमें प्रयोगशाला या इंटर्नशिप के जरिए चीजें सीखनी होती हैं. कंप्यूटर पर शिक्षा पाने वाले लोगों के लिए इसका प्रैक्टिकल जरूरी होता है. विज्ञान के छात्रों के लिए प्रयोगशाला जरूरी है. कला के छात्रों के लिए दूसरे माध्यमों से सीखना जरूरी है. लेकिन कोरोना वायरस की वजह से छात्र-छात्राओं को केवल किताबी ज्ञान ही मिल पा रहा है, जिससे उनके चेहरे पर मायूसी है.