जबलपुर। मध्यप्रदेश राज्य अधिवक्ता परिषद के स्वर्ण जयंती समारोह में मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के न्यायाधीश सुजॉय पॉल ने ग़ालिब के शेर के जरिए न्याय व्यवस्था की एक कमजोरी को सबके सामने उठाया. उन्होनें कहा कि "हम ने माना कि तगाफुल न करोगे लेकिन, खाक हो जाएंगे हम तुमको खबर होने तक". इस शेर के जरिए कोर्ट में चल रहे पेंडिंग मामलों का मुद्दा उठाया.
न्यायधीश सुजॉय पॉल का कहना है कि अदालतों का हाल भी कुछ इस शेर की तरह ही है. जब तक कैदी सुनवाई के लिए कोर्ट पहुंचते हैं, तब तक वह अपनी तय सजा भोग चुके होते हैं. सुजॉय पॉल का कहना है कि अदालतों में लंबित मामलों की संख्या और देर से न्याय मिलने के लिये सिर्फ जज या अदालतें ही दोषी नही हैं बल्कि वकीलों की कमजोर तैयारी की वजह से कोर्ट का समय खराब होता है और आम आदमी को न्याय मिलने में देरी होती है.
उन्होंने कहा कि इससे न्याय भी प्रभावित होता है और इसकी वजह से अदालतों में मामलों की तादाद बढ़ती जा रही है. उन्होंने कहा कि वकील भूला भाई देसाई के तरीक़ा से तैयारी करके आए और अच्छी बहस करके पीड़ितों को जल्द न्याय दिलवाएं.