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कोरोना महामारी के दौरान छात्रों के नुकसान की भरपाई के लिए घर तक पहुंचाई जा रही किताबें - online education during corona pandemic

अभी तक एक लाख 37 हजार छात्रों को 6 लाख 56 किताबें और 2 लाख 11 हजार 664 कॉपियां बांटी गई हैं. छात्रों का कहना है कि उन्हें किताबें मिल चुकी है और पढ़ने के लिए वे अपने परिवार के लोगों की मदद ले रहे हैं. शिक्षा विभाग का कहना है कि जबलपुर में अभी तक 90 प्रतिशत बच्चों तक किताबें पहुंच चुकी हैं.

Education Department distributed books
शिक्षा विभाग ने बांटी किताबें
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Published : Jul 15, 2020, 2:25 PM IST

जबलपुर। कोरोना महामारी से बचाव के लिए किए गए लॉकडाउन से छात्रों की पढाई-लिखाई पूरी तरह चौपट हो गई, जिसकी भरपाई के लिए ऑनलाइन क्लास शुरू किया गया, ताकि छात्रों के नुकसान की भरपाई किया जा सके क्योंकि लॉकडाउन खुलने के बाद भी खोलने की अनुमति नहीं मिली है, जिसकी वजह से छात्रों की पढ़ाई का नुकसान हो रहा है. ऐसी स्थिति में प्रदेश सरकार छात्रों को वर्चुअल क्लासेस, टीवी और रेडियो के माध्यम से पढ़ाने की कोशिश कर रही है, लेकिन प्रदेश के कई क्षेत्र ऐसे हैं, जहां न तो इनटरनेट की व्यवस्था है और न ही कोई अन्य माध्यम की पहुंच छात्रों तक है. इसी कड़ी में सरकार ने एक और कदम उठाया है. जिसके तहत अब छात्रों को उनके घर तक किताबें पहुंचाई जा रही हैं, ताकि बच्चे घर पर ही रहकर पढ़ाई कर सकें.

छात्रों को बांटी गई किताबें

स्कूल शिक्षा विभाग ने दावा किया है कि अभी तक शहरी और ग्रामीण इलाकों में एक लाख 37 हजार छात्रों को 6 लाख 56 किताबें और 2 लाख 11 हजार 664 कॉपियां बांटी गई हैं. जबलपुर के बेहद पिछड़े इलाके शीतला माई क्षेत्र में रहने वाले छात्रों का कहना है कि उन्हें किताबें मिल चुकी है और पढ़ने के लिए वे अपने परिवार के लोगों की मदद ले रहे हैं. शिक्षा विभाग का कहना है कि जबलपुर में अभी तक 90 प्रतिशत बच्चों तक किताबें पहुंच चुकी हैं.

No loss of studies
पढ़ाई का न हो नुकसान

वहीं क्षेत्र के सरकारी स्कूल में कुछ किताबें रखी हुई भी मिली हैं, इस बारे में प्रभारी शिक्षक चंद्रभान शिल्पकार का कहना था कि ये उर्दू माध्यम की किताबें हैं, जो मदरसों में बांटी जानी है, लेकिन छपाई में देरी की वजह से ये उन्हें बाद में मिली है. इसलिए मदरसों तक नहीं पहुंच पाए हैं, लेकिन जल्द ही इन्हें भी बांटने की तैयारी की जा रही है.

Books are kept in school
स्कूल में रखी हैं किताबें

जिला शिक्षा अधिकारी एसके नेमा का कहना है कि शिक्षकों को वेबिनार के जरिए ट्रेनिंग दी जा रही है और पढ़ाई को निरंतर बनाए रखने के लिए हर जरूरी प्रयास किया जा रहा है. स्कूल शिक्षा विभाग छात्रों को पढ़ाने के लिए कई प्रयास कर रहा है. इसमें व्हाट्सएप ग्रुप बनाए गए हैं, लेकिन सरकारी स्कूलों में ज्यादातर गरीब बच्चे पढ़ते हैं, इसलिए टेलीविजन के माध्यम से भी पढ़ाई कराई जा रही है और अब घर को स्कूल बनाकर पढ़ाने की कोशिश की जा रही है. जिसके लिए छात्रों को किताबें बांटी जा रही है.

Students received books
छात्रों को मिली पुस्तकें

प्रदेश में कोरोना संक्रमण तेजी से फैल रहा है, ऐसे में किसी को पता नहीं है कि नियमित स्कूल कब खुलेंगे. क्या इस साल परीक्षाएं हो पाएंगी, इस बारे में भी अभी किसी के पास कोई जवाब नहीं है. अभी स्कूल एक अगस्त तक बंद रखने के आदेश दिए गए हैं, लेकिन जो परिस्थितियां हैं, उनमें स्कूलों को आगे भी बंद रखने का आदेश दिया जा सकता है.

जबलपुर। कोरोना महामारी से बचाव के लिए किए गए लॉकडाउन से छात्रों की पढाई-लिखाई पूरी तरह चौपट हो गई, जिसकी भरपाई के लिए ऑनलाइन क्लास शुरू किया गया, ताकि छात्रों के नुकसान की भरपाई किया जा सके क्योंकि लॉकडाउन खुलने के बाद भी खोलने की अनुमति नहीं मिली है, जिसकी वजह से छात्रों की पढ़ाई का नुकसान हो रहा है. ऐसी स्थिति में प्रदेश सरकार छात्रों को वर्चुअल क्लासेस, टीवी और रेडियो के माध्यम से पढ़ाने की कोशिश कर रही है, लेकिन प्रदेश के कई क्षेत्र ऐसे हैं, जहां न तो इनटरनेट की व्यवस्था है और न ही कोई अन्य माध्यम की पहुंच छात्रों तक है. इसी कड़ी में सरकार ने एक और कदम उठाया है. जिसके तहत अब छात्रों को उनके घर तक किताबें पहुंचाई जा रही हैं, ताकि बच्चे घर पर ही रहकर पढ़ाई कर सकें.

छात्रों को बांटी गई किताबें

स्कूल शिक्षा विभाग ने दावा किया है कि अभी तक शहरी और ग्रामीण इलाकों में एक लाख 37 हजार छात्रों को 6 लाख 56 किताबें और 2 लाख 11 हजार 664 कॉपियां बांटी गई हैं. जबलपुर के बेहद पिछड़े इलाके शीतला माई क्षेत्र में रहने वाले छात्रों का कहना है कि उन्हें किताबें मिल चुकी है और पढ़ने के लिए वे अपने परिवार के लोगों की मदद ले रहे हैं. शिक्षा विभाग का कहना है कि जबलपुर में अभी तक 90 प्रतिशत बच्चों तक किताबें पहुंच चुकी हैं.

No loss of studies
पढ़ाई का न हो नुकसान

वहीं क्षेत्र के सरकारी स्कूल में कुछ किताबें रखी हुई भी मिली हैं, इस बारे में प्रभारी शिक्षक चंद्रभान शिल्पकार का कहना था कि ये उर्दू माध्यम की किताबें हैं, जो मदरसों में बांटी जानी है, लेकिन छपाई में देरी की वजह से ये उन्हें बाद में मिली है. इसलिए मदरसों तक नहीं पहुंच पाए हैं, लेकिन जल्द ही इन्हें भी बांटने की तैयारी की जा रही है.

Books are kept in school
स्कूल में रखी हैं किताबें

जिला शिक्षा अधिकारी एसके नेमा का कहना है कि शिक्षकों को वेबिनार के जरिए ट्रेनिंग दी जा रही है और पढ़ाई को निरंतर बनाए रखने के लिए हर जरूरी प्रयास किया जा रहा है. स्कूल शिक्षा विभाग छात्रों को पढ़ाने के लिए कई प्रयास कर रहा है. इसमें व्हाट्सएप ग्रुप बनाए गए हैं, लेकिन सरकारी स्कूलों में ज्यादातर गरीब बच्चे पढ़ते हैं, इसलिए टेलीविजन के माध्यम से भी पढ़ाई कराई जा रही है और अब घर को स्कूल बनाकर पढ़ाने की कोशिश की जा रही है. जिसके लिए छात्रों को किताबें बांटी जा रही है.

Students received books
छात्रों को मिली पुस्तकें

प्रदेश में कोरोना संक्रमण तेजी से फैल रहा है, ऐसे में किसी को पता नहीं है कि नियमित स्कूल कब खुलेंगे. क्या इस साल परीक्षाएं हो पाएंगी, इस बारे में भी अभी किसी के पास कोई जवाब नहीं है. अभी स्कूल एक अगस्त तक बंद रखने के आदेश दिए गए हैं, लेकिन जो परिस्थितियां हैं, उनमें स्कूलों को आगे भी बंद रखने का आदेश दिया जा सकता है.

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