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Bhopal Gas Tragedy: हाईकोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब, पूछा- कैंसर पीड़ितों का क्यों नहीं हो रहा इलाज?

भोपाल गैस त्रासदी (Bhopal Gas Tragedy) में पीड़ितों के इलाज को लेकर हाईकोर्ट ने सरकार से जवाब मांगा है. 2012 में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने इस मामलें में मॉनिटरिंग कमेटी बनाई थी. कमेटी ने कोर्ट में रिपोर्ट पेश कर बताया गया कि भोपाल मेमोरियल हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर (BMHRC) में त्रासदी में पीड़ितों को कैंसर का उपचार (Cancer Treatment) उपलब्ध नहीं हो रहा है. इस मामले में सरकार ने बताया कि कैंसर पीड़ित मरीजों का उपचार के संबंध में एम्स से चर्चा जारी है.

High Court sought response from government
हाईकोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब
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Published : Sep 17, 2021, 4:20 PM IST

जबलपुर। भोपाल गैस त्रासदी (Bhopal Gas Tragedy) मामलें में मॉनिटरिंग कमेटी ने हाईकोर्ट में आवेदन पेश कर बताया कि भोपाल मेमोरियल हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर (Bhopal Memorial Hospital and Research Center) में कैंसर का उपचार (Cancer Treatment) उपलब्ध नहीं है. जिसके कारण कैंसर पीड़ितों को दिक्कतों को सामना करना पड़ रहा है. सरकार ने बताया कि कैंसर पीड़ित मरीजों का उपचार के संबंध में एम्स से चर्चा जारी है. हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक और जस्टिस वीके शुक्ला युगलपीठ ने सरकार को एम्स में कैंसर पीड़ितों के उपचार के संबंध में जानकारी पेश करने के आदेश दिए है.

भोपाल गैस त्रासदी मामले में SC ने गठित की थी कमेटी

दरअसल सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) ने साल 2012 में भोपाल गैस पीड़ित महिला उद्योग संगठन सहित अन्य ने दायर की गई याचिका की सुनवाई करते हुए भोपाल गैस कांड पीड़ितों के उपचार और पुनार्वास के संबंध में 20 निर्देश जारी किए थे. इन निर्देशों का पालन करवाने के लिए कोर्ट ने मॉनिटरिंग कमेटी गठित करने के निर्देश भी जारी किए थे. यह मॉनिटरिंग कमेटी प्रत्येक तीन माह में अपनी रिपोर्ट हाईकोर्ट में पेश करती है और रिपोर्ट के आधार पर हाईकोर्ट के जो आदेश होते थे उस संबंध में राज्य सरकार को आवश्यक दिशा-निर्देश जारी करती है.

हाईकोर्ट में दायर की अवमानना याचिका

मॉनिटरिंग कमेटी की अनुशंसा का राज्य सरकार पालन नहीं कर रही थी. जिसके खिलाफ हाईकोर्ट में अवमानना याचिका दायर की गई. अवमानना याचिका में कहा गया था कि सर्वाेच्चय न्यायालय के आदेशों का पालन केंद्र और राज्य सरकार नहीं कर रही है. गैस त्रासदी के पीड़ित व्यक्तियों के हेल्थ कार्ड तक नहीं बने है. इसके अलावा अस्पतालों में अवश्यकता अनुसार उपकरण उपलब्ध नहीं है.

गैस पीड़ितों को समर्पित BMHRC में नहीं हो रहा ट्रीटमेंट, 350 बैड के अस्पताल 35 भर्ती

पीड़ितों को निजी खर्च पर करवाना पड़ रहा इलाज

भोपाल मेमोरियल हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर (BMHRC) के भर्ती नियम निर्धारित होने के कारण डॉक्टर और पैरा मेडिकल स्टॉफ स्थाई तौर पर अपनी सेवाएं प्रदान नहीं करते है. याचिका की सुनवाई के दौरान मॉनिटरिंग कमेटी ने 17 त्रिमासिक रिपोर्ट पेश की. रिपोर्ट के साथ पेश किए गए आवेदन में बताया गया कि बीएमएचआरसी में कैंसर का उपचार उपलब्ध नहीं है. जिसके कारण कैंसर पीड़ितों को उपचार नहीं मिल रहा है. उन्हें निजी खर्ज पर उपचार करवाना पड रहा है.

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हाईकोर्ट ने भी गठित की थी कमेटी

पहले भी हाईकोर्ट की युगलपीठ ने गैस पीड़ितों के उपचार के संबंध में वास्तिविक स्थिति जाने के लिए केंद्र के अतिरिक्त सचिव के अधिकारी, प्रदेश सरकार के सचिव स्तर के अधिकारी, भोपाल गैस राहत एंव पुर्नावास विभाग और एमसीआई के एक-एक प्रतिनिधि सहित याचिकाकर्ता की कमेटी गठित की थी. सुनवाई के दौरान कमेटी ने परिपालन रिपोर्ट भी पेश की.

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सरकार ने कहा- एम्स में कर रहे व्यवस्था

सुनवाई के दौरान सरकार की ने बताया कि कैंसर पीड़ितों के उपचार के संबंध में एम्स से चर्चा जारी है. हाईकोर्ट ने कमेटी की परिपालन रिपोर्ट और मॉनिटरिंग कमेटी की रिपोर्ट सभी संबंधित पक्षकारों को प्रदान करने के निर्देश देते हुए उन्हें अपना मत प्रस्तुत करने कहा है. इसके अलावा एम्स में कैंसर पीड़ितों के उपचार के संबंध में जानकारी पेश करने के निर्देश सरकार को दिए है. याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता नमन नागरथ और अधिवक्ता राजेष चंद्र ने पैरवी की.

जबलपुर। भोपाल गैस त्रासदी (Bhopal Gas Tragedy) मामलें में मॉनिटरिंग कमेटी ने हाईकोर्ट में आवेदन पेश कर बताया कि भोपाल मेमोरियल हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर (Bhopal Memorial Hospital and Research Center) में कैंसर का उपचार (Cancer Treatment) उपलब्ध नहीं है. जिसके कारण कैंसर पीड़ितों को दिक्कतों को सामना करना पड़ रहा है. सरकार ने बताया कि कैंसर पीड़ित मरीजों का उपचार के संबंध में एम्स से चर्चा जारी है. हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक और जस्टिस वीके शुक्ला युगलपीठ ने सरकार को एम्स में कैंसर पीड़ितों के उपचार के संबंध में जानकारी पेश करने के आदेश दिए है.

भोपाल गैस त्रासदी मामले में SC ने गठित की थी कमेटी

दरअसल सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) ने साल 2012 में भोपाल गैस पीड़ित महिला उद्योग संगठन सहित अन्य ने दायर की गई याचिका की सुनवाई करते हुए भोपाल गैस कांड पीड़ितों के उपचार और पुनार्वास के संबंध में 20 निर्देश जारी किए थे. इन निर्देशों का पालन करवाने के लिए कोर्ट ने मॉनिटरिंग कमेटी गठित करने के निर्देश भी जारी किए थे. यह मॉनिटरिंग कमेटी प्रत्येक तीन माह में अपनी रिपोर्ट हाईकोर्ट में पेश करती है और रिपोर्ट के आधार पर हाईकोर्ट के जो आदेश होते थे उस संबंध में राज्य सरकार को आवश्यक दिशा-निर्देश जारी करती है.

हाईकोर्ट में दायर की अवमानना याचिका

मॉनिटरिंग कमेटी की अनुशंसा का राज्य सरकार पालन नहीं कर रही थी. जिसके खिलाफ हाईकोर्ट में अवमानना याचिका दायर की गई. अवमानना याचिका में कहा गया था कि सर्वाेच्चय न्यायालय के आदेशों का पालन केंद्र और राज्य सरकार नहीं कर रही है. गैस त्रासदी के पीड़ित व्यक्तियों के हेल्थ कार्ड तक नहीं बने है. इसके अलावा अस्पतालों में अवश्यकता अनुसार उपकरण उपलब्ध नहीं है.

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पीड़ितों को निजी खर्च पर करवाना पड़ रहा इलाज

भोपाल मेमोरियल हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर (BMHRC) के भर्ती नियम निर्धारित होने के कारण डॉक्टर और पैरा मेडिकल स्टॉफ स्थाई तौर पर अपनी सेवाएं प्रदान नहीं करते है. याचिका की सुनवाई के दौरान मॉनिटरिंग कमेटी ने 17 त्रिमासिक रिपोर्ट पेश की. रिपोर्ट के साथ पेश किए गए आवेदन में बताया गया कि बीएमएचआरसी में कैंसर का उपचार उपलब्ध नहीं है. जिसके कारण कैंसर पीड़ितों को उपचार नहीं मिल रहा है. उन्हें निजी खर्ज पर उपचार करवाना पड रहा है.

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हाईकोर्ट ने भी गठित की थी कमेटी

पहले भी हाईकोर्ट की युगलपीठ ने गैस पीड़ितों के उपचार के संबंध में वास्तिविक स्थिति जाने के लिए केंद्र के अतिरिक्त सचिव के अधिकारी, प्रदेश सरकार के सचिव स्तर के अधिकारी, भोपाल गैस राहत एंव पुर्नावास विभाग और एमसीआई के एक-एक प्रतिनिधि सहित याचिकाकर्ता की कमेटी गठित की थी. सुनवाई के दौरान कमेटी ने परिपालन रिपोर्ट भी पेश की.

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