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भोपाल गैस त्रासदी मामले की हाई कोर्ट में सुनवाई, सरकार ने क्यों की अधिवक्ता को हटाने की सिफारिश - भोपाल गैस त्रासदी

Bhopal gas tragedy MP High court : भोपाल गैस त्रासदी संबंधी अवमानना के मामले में जबलपुर हाईकोर्ट में सुनवाई जारी है. सरकार ने मॉनिटरिंग कमेटी के अध्यक्ष को पत्र लिखा है कि नियुक्ति किये गये अधिवक्ता को हटाएं.

Bhopal gas tragedy case Hearing in High Court
भोपाल गैस त्रासदी मामले में हाई कोर्ट में सुनवाई
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jan 9, 2024, 3:24 PM IST

जबलपुर। कोर्ट मित्र की तरफ से हाईकोर्ट जस्टिस शील नागू तथा जस्टिस विनय सराफ की युगलपीठ को बताया गया कि नियुक्त अधिवक्ता को हटाने के लिए सरकार ने मॉनिटरिंग कमेटी के अध्यक्ष को पत्र लिखा है. युगलपीठ ने सरकारी अधिवक्ता को निर्देश दिये हैं कि मॉनिटरिंग कमेटी के अध्यक्ष को लिखे गये पत्र के संबंध में सरकार से निर्देश प्राप्त कर न्यायालय को अवगत करवाएं. युगलपीठ ने अवमानना के दोष से मुक्त किये जाने के आवेदन पर सुनवाई स्थगित कर दी.

सुप्रीम कोर्ट के निर्देश : गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने साल 2012 में भोपाल गैस पीड़ित महिला उद्योग संगठन सहित अन्य की ओर से दायर की गई याचिका की सुनवाई करते हुए पीड़ितों के उपचार व पुनर्वास के संबंध में 20 निर्देश जारी किये थे. इन बिंदुओं का क्रियान्वयन सुनिश्चित कर मॉनिटरिंग कमेटी का गठित करने के निर्देश भी जारी किये थे. मॉनिटरिंग कमेटी प्रत्येक तीन माह में अपनी रिपोर्ट हाईकोर्ट के समक्ष पेश करने तथा रिपोर्ट के आधार पर हाईकोर्ट द्वारा केन्द्र व राज्य सरकार को आवश्यक दिशा-निर्देश जारी करने के निर्देश भी जारी किये गये थे.

सिफारिशों पर अमल नहीं : इसके बाद उक्त याचिका पर हाईकोर्ट द्वारा सुनवाई की जा रही थी. याचिका के लंबित रहने के दौरान मॉनिटरिंग कमेटी की अनुशंसाओं का परिपालन नहीं किये जाने के खिलाफ भी अवमानना याचिका दायर की गयी. अवमानना याचिका में कहा गया था कि गैस त्रासदी के पीड़ित व्यक्तियों के हेल्थ कार्ड तक नहीं बने हैं. अस्पतालों में आवश्यकता अनुसार उपकरण व दवाएं उपलब्ध नहीं है. बीएमएचआरसी के भर्ती नियम का निर्धारण नहीं होने के कारण डॉक्टर व पैरामेडिकल स्टाफ स्थाई तौर पर अपनी सेवाएं प्रदान नहीं करते हैं. मॉनिटरिंग कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर बिंदुओं में से सिर्फ 3 बिंदुओं का कार्य हुआ है. जिसके कारण पीड़ितों को उपचार के लिए भटकना पड़ रहा है. मॉनिटरिंग कमेटी की अनुशंसाओं का पालन नहीं किया जा रहा है.

पिछली सुनवाई में क्या : पिछली सुनवाई के दौरान युगलपीठ ने अपने आदेश मे कहा है कि कम्प्यूटीकरण व डिजिटलीकरण करने की जिम्मेदारी राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केन्द्र की थी. प्रक्रिया को पूरी करने की जिम्मेदारी अतिरिक्त मुख्य सचिव मो सुलमान की जिम्मेदारी थी. युगलपीठ ने पूर्व में पारित आदेश का हवाला देते हुए कहा कि आदेश के बावजूद भी मॉनिटरिंग कमेटी को स्टेनोगाफर तक उपलब्ध नहीं करवाया गया. युगलपीठ ने बीएमएचआरसी के लिए स्वीकृत 1247 पदों में 498 पद रिक्त हैं. युगलपीठ ने अपने आदेश में कहा है कि इन अधिकारियों ने गैस पीड़ितों को बेसहारा छोड दिया है.

अगली सुनवाई 16 जनवरी को : युगलपीठ ने याचिका पर अगली सुनवाई 16 जनवरी को निर्धारित की थी. सरकार की तरफ से याचिका पर शीघ्र सुनवाई तथा दोषी करार दिये गये अधिकारियों को अवमानना के आरोप से मुक्त करने आवेदन दायर किया था. सरकार के आवेदन पर सोमवार को हुई सुनवाई के दौरान कोर्ट मित्र वरिष्ठ अधिवक्ता ने युगलपीठ को बताया कि सरकार ने मॉनिटरिंग कमेटी के अध्यक्ष को पत्र लिखा है कि नियुक्ति किये गये अधिवक्ता को हटाएं. मॉनिटरिंग कमेटी का खर्च सरकार द्वारा वहन किया जाता है. इसलिए उनकी तरफ से सरकारी अधिवक्ता पैरवी करेंगे.

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सरकार ने क्या दलील दी : मॉनिटरिंग कमेटी के अध्यक्ष सेवानिवृत्त जस्टिस वीके अग्रवाल की तरफ से इस संबंध में आपत्ति पेश की गयी है. सरकार की तरफ से उपस्थित महाधिवक्ता ने बताया कि इस संबंध में उन्हें कोई जानकारी नहीं है. जिस पर युगलपीठ ने नाराजगी व्यक्त करते हुए उक्त निर्देश जारी किये. युगलपीठ ने अवमानना के आरोप से दोषमुक्त किये जाने के आवेदन पर निर्धारित तिथि 16 जनवरी को सुनवाई के आदेश दिये हैं. युगलपीठ ने निर्धारित तिथि पर दोषी अधिकारियों को पक्ष प्रस्तुत करने के निर्देश भी दिये है. याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता एनडी जयप्रकाश तथा मॉनिटरिंग कमेटी की तरफ से अधिवक्ता अंशुमान सिंह तथा कोर्ट मित्र के रूप में वरिष्ठ अधिवक्ता नमन नागरथ उपस्थित हुए.

जबलपुर। कोर्ट मित्र की तरफ से हाईकोर्ट जस्टिस शील नागू तथा जस्टिस विनय सराफ की युगलपीठ को बताया गया कि नियुक्त अधिवक्ता को हटाने के लिए सरकार ने मॉनिटरिंग कमेटी के अध्यक्ष को पत्र लिखा है. युगलपीठ ने सरकारी अधिवक्ता को निर्देश दिये हैं कि मॉनिटरिंग कमेटी के अध्यक्ष को लिखे गये पत्र के संबंध में सरकार से निर्देश प्राप्त कर न्यायालय को अवगत करवाएं. युगलपीठ ने अवमानना के दोष से मुक्त किये जाने के आवेदन पर सुनवाई स्थगित कर दी.

सुप्रीम कोर्ट के निर्देश : गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने साल 2012 में भोपाल गैस पीड़ित महिला उद्योग संगठन सहित अन्य की ओर से दायर की गई याचिका की सुनवाई करते हुए पीड़ितों के उपचार व पुनर्वास के संबंध में 20 निर्देश जारी किये थे. इन बिंदुओं का क्रियान्वयन सुनिश्चित कर मॉनिटरिंग कमेटी का गठित करने के निर्देश भी जारी किये थे. मॉनिटरिंग कमेटी प्रत्येक तीन माह में अपनी रिपोर्ट हाईकोर्ट के समक्ष पेश करने तथा रिपोर्ट के आधार पर हाईकोर्ट द्वारा केन्द्र व राज्य सरकार को आवश्यक दिशा-निर्देश जारी करने के निर्देश भी जारी किये गये थे.

सिफारिशों पर अमल नहीं : इसके बाद उक्त याचिका पर हाईकोर्ट द्वारा सुनवाई की जा रही थी. याचिका के लंबित रहने के दौरान मॉनिटरिंग कमेटी की अनुशंसाओं का परिपालन नहीं किये जाने के खिलाफ भी अवमानना याचिका दायर की गयी. अवमानना याचिका में कहा गया था कि गैस त्रासदी के पीड़ित व्यक्तियों के हेल्थ कार्ड तक नहीं बने हैं. अस्पतालों में आवश्यकता अनुसार उपकरण व दवाएं उपलब्ध नहीं है. बीएमएचआरसी के भर्ती नियम का निर्धारण नहीं होने के कारण डॉक्टर व पैरामेडिकल स्टाफ स्थाई तौर पर अपनी सेवाएं प्रदान नहीं करते हैं. मॉनिटरिंग कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर बिंदुओं में से सिर्फ 3 बिंदुओं का कार्य हुआ है. जिसके कारण पीड़ितों को उपचार के लिए भटकना पड़ रहा है. मॉनिटरिंग कमेटी की अनुशंसाओं का पालन नहीं किया जा रहा है.

पिछली सुनवाई में क्या : पिछली सुनवाई के दौरान युगलपीठ ने अपने आदेश मे कहा है कि कम्प्यूटीकरण व डिजिटलीकरण करने की जिम्मेदारी राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केन्द्र की थी. प्रक्रिया को पूरी करने की जिम्मेदारी अतिरिक्त मुख्य सचिव मो सुलमान की जिम्मेदारी थी. युगलपीठ ने पूर्व में पारित आदेश का हवाला देते हुए कहा कि आदेश के बावजूद भी मॉनिटरिंग कमेटी को स्टेनोगाफर तक उपलब्ध नहीं करवाया गया. युगलपीठ ने बीएमएचआरसी के लिए स्वीकृत 1247 पदों में 498 पद रिक्त हैं. युगलपीठ ने अपने आदेश में कहा है कि इन अधिकारियों ने गैस पीड़ितों को बेसहारा छोड दिया है.

अगली सुनवाई 16 जनवरी को : युगलपीठ ने याचिका पर अगली सुनवाई 16 जनवरी को निर्धारित की थी. सरकार की तरफ से याचिका पर शीघ्र सुनवाई तथा दोषी करार दिये गये अधिकारियों को अवमानना के आरोप से मुक्त करने आवेदन दायर किया था. सरकार के आवेदन पर सोमवार को हुई सुनवाई के दौरान कोर्ट मित्र वरिष्ठ अधिवक्ता ने युगलपीठ को बताया कि सरकार ने मॉनिटरिंग कमेटी के अध्यक्ष को पत्र लिखा है कि नियुक्ति किये गये अधिवक्ता को हटाएं. मॉनिटरिंग कमेटी का खर्च सरकार द्वारा वहन किया जाता है. इसलिए उनकी तरफ से सरकारी अधिवक्ता पैरवी करेंगे.

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