जबलपुर। बैंकों के निजीकरण को लेकर जिस तरह से कर्मचारियों ने केंद्र सरकार के खिलाफ हल्ला बोल आंदोलन करते हुए 2 दिन की हड़ताल की है, उसे देखते हुए यह कहा जा सकता है कि सरकार की चिंताएं अभी और बढ़ने वाली है.
अरबों रुपये का लेन देन होगा प्रभावित
उनके इस आंदोलन से करोड़ों रुपए का लेन देन इस दौरान प्रभावित होगा. वहीं 2 दिन तक बैंकों में होने वाले काम को लेकर आम जनता को भी परेशान होना पड़ रहा है.
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कर्मचारियों को भी होगा नुकसान
निजीकरण को लेकर देशभर के कर्मचारियों ने हड़ताल कर दिया है, ऐसे में इन कर्मचारियों/अधिकारियों का दो दिन का वेतन कटेगा. इसके बावजूद उन्होंने अपना वेतन कटवाकर हड़ताल की है. जबलपुर के सिविक सेंटर में सभी बैंक कर्मचारी/अधिकारीयों ने धरना दिया और केंद्र सरकार के खिलाफ नारे लगाए.
अगर बैंकों का हुआ निजीकरण तो गरीब जनता की टूट जाएगी कमर
यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस के उप महासचिव विजय मिश्रा की मानें तो अगर सरकारी बैंकों का निजीकरण होता है तो ऐसे में गरीब जनता की कमर टूट जाएगी, क्योंकि किसी भी निजी बैंक में खाता खोलने के लिए कम से कम 5 से 10 हजार रु की आवश्यकता होती है. जबकि अभी तक सरकारी बैंक में जीरो बैलेंस पर खाता खोला जाता है. वहीं गरीब आम जनता, किसान-मजदूर वर्ग एवं छोटे व्यापारियों को बैंकिंग सुविधा में अत्यधिक परेशानी का सामना करना पड़ेगा, तथा उन पर आर्थिक बोझ आ जाएगा. उन्होंने कहा कि प्राइवेट बैंकों कि सेवा दर अत्याधिक है एवं खातों में औसत जमा राशि भी अधिक है.