जबलपुर। शहर के राइट टाउन स्थित सेंट्रल इंडिया किडनी अस्पताल में आयुष्मान योजना के तहत किए गए forgery मामले में SIT को भोपाल से 50 मरीजों की फाइलें मिली हैं. इन फाइलों का परीक्षण कर यह पता लगाया जाएगा कि फाइलों में मरीजों का कौन सी बीमारियों का इलाज किया गया था. फाइलों की जांच के बाद डॉक्टर दंपति की मुश्कलें और बढ़ सकती हैं (dr couples problems may increase) . इस पूरे मामले में अस्पताल संचालक डॉ. दुहिता पाठक व उनके पति जेल में बंद हैं. (ayushman yojana fraud)
दलालों को भुगतान किया गया 17 लाख का कमीशनः जानकारी के अनुसार SIT द्वारा जांच के दौरान अस्पताल व होटल वेगा से जिन मरीजों की फाइलें मिली थीं उनके बयान दर्ज कराए गए थे. परीक्षण के लिए योजना के भोपाल आफिस से मरीजों के मूल दस्तावेज मांगे थे. अब जाकर SIT को मरीजों की फाइलें मिली हैं. इन फाइलों को विशेषज्ञों से परीक्षण कराया जाएगा. वहीं जांच में इस बात का खुलासा भी हुआ है कि मरीजों को अस्पताल में भर्ती कराने के बदले दलालों को 17 लाख से अधिक राशि का कमीशन के रूप में भुगतान किया गया था. (17 lakh commission paid to brokers)
5 हजार फर्जी मरीजों का हुआ था इलाजः SIT जांच अधिकारी सीएसपी प्रभात शुक्ला ने बताया कि डॉक्टर अश्वनी पाठक ने अपने सेंट्रल इंडिया किडनी अस्पताल व होटल को अस्पताल के रूप में परिवर्तित कर आयुष्मान योजना के तहत पांच हजार से ज्यादा फर्जी मरीजों को भरती कर इलाज किया. अश्वनी पाठक द्वारा अस्पताल में आयुष्मान योजना में उस इलाज को प्राथमिकता दी जाती जो मंहगे होते थे. जिन मरीजों को डॉक्टर अश्वनी पाठक द्वारा भरती किया जाता उन्हे प्रतिदिन एक से लेकर तीन हजार रुपए तक दिए जाते रहे. यहां तक कि जिन मरीजों के कार्ड नहीं होते उनके कार्ड भी डॉक्टर अश्वनी पाठक द्वारा एक दिन में बनवाकर दिए जाते रहे. इसमें डॉक्टर अश्वनी पाठक की पत्नी दुहिता पाठक भी साथ देती रही. इस तरह आयुष्मान योजना में फर्जीवाड़ा कर डॉक्टर अश्वनी पाठक ने शासन को करोड़ों रुपए का चूना लगाया है. एसआईटी के अधिकारियों द्वारा उन दलालों की भी तलाश की जा रही है, जो मरीजों को लेकर सेंट्रल इंडिया किडनी हास्पिटल तक पहुंचाते रहे. (5 thousand fake patients were treated)