सागर : बुंदेलखंड के किसान खेती में नवाचार के जरिए न सिर्फ अपनी कमाई को कई गुना कर रहे हैं बल्कि उन लोगों के लिए भी मिसाल बन रहे हैं, जो खेती को घाटे का सौदा मानकर नौकरियों और व्यावसाय करने लगते हैं. इन दिनों बुंदेलखंड के किसान काले आलू की खेती कर मोटा मुनाफा कमा रहे हैं. ऐसे में इसे काला सोना कहना गलत नहीं होगा. दरअसल, दक्षिण अमेरिका की ये किस्म बुंदेलखंड के किसानों को न सिर्फ सामान्य आलू की अपेक्षा अच्छे दाम दे रही है बल्कि सेहत के लिए फायदेमंद होने के कारण बाजार में इसकी डिमांड भी तेजी से बढ़ रही है.
तीन साल पहले युवा किसान ने शुरू की खेती
बुंदेलखंड में काले आलू की खेती को बढ़ावा देने का श्रेय प्रगतिशील युवा किसान आकाश चौरसिया को जाता है. आकाश चौरसिया लेयर फार्मिंग के विशेषज्ञ हैं और कई तरह के प्रयोग और नवाचार के लिए जाने जाते हैं. आकाश कहते हैं, '' ये काला आलू खासकर दक्षिण अमेरिका के जंगलों में उगाया जाने वाला कंद है. इसे हम पिछले तीन सालों से यहां बुंदेलखंड में उगाने का प्रयास कर रहे हैं और इसमें हमनें सफलता भी पाई है. इसकी हमने काफी अच्छी उपज ली है. बाजार में हमें इसके काफी अच्छे दाम मिलते हैं. एक किलो काला आलू 70 से 80 रुपए तक आसानी से बिक जाता है. अगर इसका बीज तैयार करते हैं, तो 100 रूपए किलो तक बाजार में बिकता है. पिछले साल मैंने आधा एकड में काला आलू लगाया था, जिससे हमें काफी फायदा हुआ. इस साल लगभग दो एकड़ में काला आलू लगा रहे हैं. बुंदेलखंड के किसानों और दूसरे इलाके के किसानों को अच्छे मुनाफा के लिए ये फायदेमंद वैरायटी है.
कैसे करें आलू की खेती?
आकाश चौरसिया आगे बताते हैं, '' काले आलू की खेती हमें लेयर फार्मिंग में करने में काफी फायदा है क्योकिं आलू जमीन के अंदर होता है. ऐसे में हम ऊपर की लेयर में मैथी, पालक की भाजी या धनिया जैसी फसल उगा सकते हैं. इसके लिए हमें सबसे पहले खेत तैयार करना होता है और फिर हम खेतों में क्यारी बनाते हैं. काले आलू की खेती के लिए हल्की दोमट मिट्टी चाहिए होती है. इस साल ठंड देरी से आने के कारण काले आलू की बुवाई अभी कर सकते हैं नहीं तो 15 नवम्बर तक इसकी बुवाई कर लेनी चाहिए. इस साल बुवाई का समय अच्छा समय चल रहा है. इसके लिए हम दस टन प्रति एकड़ के हिसाब से गोबर की कम्पोस्ट खाद डालकर खेतों को अच्छे तरीके से तैयार करते हैं. बीज का उपचार करके लगभग एक एकड़ में हजार किलो आलू लगाया जा सकता है. सिंचाई के लिए टपक पद्धति या पानी बहाकर सिंचाई कर सकते हैं. इसकी उपज लगभग 90 से 100 दिन में तैयार होती है. एक एकड़ में 100 से सवा सौ क्विटंल तक उपज आती है.
सेहत के लिए फायदेमंद है काला आलू
आकाश चौरसिया बताते हैं कि काले आलू की मांग बडे़ शहरों और मेट्रो में काफी ज्यादा है और कई बडे़ शहरों में वो खुद आलू भेजते हैं. सेहत के लिहाज से काला आलू बहुत अच्छा माना जाता है. ये ओमेगा 3 और आयरन रिच आलू की वैरायटी है. इसके अंदर जो गुणवत्ता है, उसके कारण इसकी काफी डिमांड है. उपज के बाद में अगर 50 से 60 रुपए दाम मिलने पर भी एक एकड़ में तीन से चार लाख की फसल आसानी से मिल जाती है. काले आलू को डीहाइड्रेटेड कर पावडर भी बनाते हैं. इसे सुखाकर चिप्स वगैरह और कई तरह उत्पाद बनाते हैं, जिससे आमदनी बढ़ जाती है. इसी वजह से इसे काला सोना भी कहा जाता है.