जबलपुर। प्रदेश में शासकीय स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर काफी कुछ कहा जाता है. ऐसा माना जाता है कि शहरी क्षेत्रों में शासकीय स्वास्थ्य व्यवस्था तो ठीक-ठाक है लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में खासकर दूरस्थ इलाकों में, शासकीय स्वास्थ्य व्यवस्था पूरी तरह से काम नहीं करती है. लेकिन यह पूरा सच नहीं है आज भी प्रदेश के दूरस्थ ग्रामीण अंचलों के स्वास्थ्य केंद्रों में तैनात स्वास्थ्य कर्मी अपने परिवार से दूर 24 घंटे मरीजों की सेवा में जुटे हैं. महिला स्वास्थ्यकर्मी, गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य की देखरख, उनकी डिलीवरी कराने और फिर नवजात शिशु की देखभाल करने में अपना पूरा वक्त दे रही हैं. समर्पित भाव से काम करने वाली एक ऐसी ही स्वास्थ्यकर्मी की खास रिपोर्ट. देखिए ETV भारत पर...आइए देखते हैं कि महिला स्वास्थ्यकर्मी की समर्पण की प्रभावित कर देने वाली यह रिपोर्ट.
एक नर्स के जिम्मे स्वास्थ्य केन्द्र की जिम्मेदारी
जबलपुर जिला मुख्यालय से लगभग 40 किलोमीटर दूर ग्राम भिड़की के स्वास्थ्य केन्द्र आरोग्य की जिम्मेदारी संभालने वाली स्टाफ नर्स भारती हिरकने है. स्वास्थ्य केंद्र की पूरी जिम्मेदारी स्टाफ नर्स भारती और उनकी एक सहयोगी के जिम्मे है, यहां पर एक भी डॉक्टर पदस्थ नहीं है. इस वजह से ग्रामीण स्वास्थ्य केंद्र की पूरी जिम्मेदारी इन्हीं पर है. ग्रामीण अंचलों से इसे स्वास्थ्य केंद्र से संबद्ध 50 से ज्यादा गांव में रहने वाली पच्चीस हजार से ज्यादा आबादी के स्वास्थ्य की जिम्मेदारी भी नर्स भारती के ऊपर है.
संभाल रही है अकेले मोर्चा
स्वास्थ्य केंद्र में गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य की जांच, उनकी डिलीवरी कराने और नवजात शिशु के स्वास्थ्य की देखभाल और उनके टीकाकरण का काम भी, नर्स भारती अकेले ही करती है. इसके साथ ही सामान्य स्वास्थ्य परेशानियां लेकर आने वाले ग्रामीणों को उपचार के लिए दवा देने का काम भी बखूबी कर रही हैं. कोरोना संक्रमण के इस दौर में कोरोना टेस्ट के लिए संदिग्ध मरीजों का सैंपल लेने का काम भी स्टाफ नर्स भारती के जिम्मे हैं.
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चेहरे पर थकान नहीं सुकूल
पीपीई किट पहनकर लगभग पूरे दिन वे मरीजों के बीच में काम करती रहते हैं. शाम ढलने के बाद स्वास्थ्य केंद्र में बने रेस्ट रूम में रहने वाली स्टाफ नर्स भारती इमरजेंसी के तहत आने वाली गर्भवती महिलाओं की डिलीवरी कराने के लिए फौरन तैयार रहती हैं. इस तरह पूरे चौबीस घंटे ड्यूटी देने वाली भारती के चेहरे पर थकान नहीं बल्कि सेवा भाव का सुकून नजर आता है. स्वास्थ्य केंद्र में नवजात शिशुओं की गूंजती किलकारी के बीच वह अपनी 7 साल की बिटिया और 14 साल के बेटे को याद करना नहीं भूलती हैं.
24 घंटे स्वास्थ्य केंद्र में ड्यूटी
स्टाफ नर्स भारती पिछले 2 माह से अपने घर नहीं जा सकी है. उनका घर स्वास्थ्य केंद्र से 200 किलोमीटर दूर है लेकिन जब से कोरोना संक्रमण फैला है. तब से उन्हें 24 घंटे इस स्वास्थ्य केंद्र में अपनी ड्यूटी देना पड़ रही है. परिवार की जिम्मेदारी के बीच मानवता की सेवा के भाव की वजह से वे घर नहीं जा सकी हैं. इस बात का उन्हें जरा भी मलाल नहीं है.
मरीजों की सेवा ही मानती है धर्म
स्टाफ नर्स भारती का साफ तौर पर कहना है कि ग्रामीण अंचलों में वैसे ही स्वास्थ्य सेवाओं की कमी है. ऐसे में यदि वह छुट्टी लेकर अपने घर चली गई जाएंगी, तो इस स्वास्थ्य केंद्र से संबंध 50 से ज्यादा गांव में रहने वालों के स्वास्थ्य की देखभाल कौन करेगा. क्योंकि स्वास्थ्य विभाग के पास ना तो इतने कर्मचारी हैं और ना ही चिकित्सक. ऐसे में मरीजों की सेवा को ही अपना धर्म मानने वाली स्टाफ नर्स भारती अपने काम को पूरी तन्मयता के साथ अंजाम दे रही हैं.
डॉक्टर की कमी लेकिन हौसले बरकरार
उनके इस समर्पण की पूरे स्वास्थ्य विभाग में चर्चा है. अधिकारियों का मानना है कि स्वास्थ्य विभाग में कर्मचारियों और चिकित्सकों की भारी कमी है. इसके बावजूद भी इस करोना काल में स्वास्थ्य विभाग का अमला अपने परिवार को छोड़कर मरीजों की सेवा में जुटा है और इस संक्रमण के दौर में भी गर्भवती महिलाओं की डिलीवरी कराने में कोई कोताही नहीं बरती जा रही है. यही वजह है कि ग्रामीणों में सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं के प्रति विश्वास बढ़ा है.
व्यक्तित्व की सराहना
शहरी क्षेत्रों में निजी और सरकारी स्वास्थ्य सेवाएं बेहतर ढंग से काम करती हैं लेकिन सुदूर ग्रामीण अंचलों में स्थित शासकीय स्वास्थ्य केंद्रों में तैनात स्वास्थ विभाग का अमला पूरी मुस्तैदी के साथ काम कर रहा है. कम संसाधन और उपकरणों की कमी से जूझ रहा, स्वास्थ विभाग का अमला अपनी तरफ से मरीजों की सेवा करने, उनकी जान बचाने और उन्हें स्वास्थ्य लाभ पहुंचाने का पूरा प्रयास कर रहा है. जिसकी अनदेखी नहीं की जा सकती है. ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं की कमी की तो बहुत चर्चा होती है लेकिन ऐसे समर्पित व्यक्तित्व की सराहना करना भी जरूरी है.