जबलपुर। ताजा रिपोर्ट में केंद्र सरकार के पोषण अभियान में मध्यप्रदेश पिछड़ गया है और देश भर की रैंकिंग में मध्य प्रदेश 12वे नंबर पर है. इसकी एक वजह आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं से आंगनबाड़ी की जगह दूसरे काम करवाए जा रहे हैं. आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को बीपीएल सर्वे का काम दिया गया है. सरकार के इस आदेश के खिलाफ आंगनबाड़ी एसोसिएशन के सदस्य हाईकोर्ट पहुंचे. हाईकोर्ट ने अपने आदेश में ये स्पष्ट कर दिया कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं से उनके मूल काम के अलावा दूसरा काम नहीं लिया जाएगा.
मध्यप्रदेश में 1 लाख 60 हजार आंगनबाड़ी कार्यकर्ता है. एकीकृत बाल विकास योजना के तहत आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का काम है कि गर्भवती महिलाओं और बच्चों को पोषण आहार दें. सरकार जनगणना पल्स पोलियो और कई काम आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं से करवाती है. जबकि इन सभी के लिए सरकार के पास अलग से फंड होता है. इससे आंगनबाड़ी का काम भी प्रभावित होता है और दूसरे लोगों को रोजगार नहीं मिल पाता. यदि सरकार अलग-अलग कामों के लिए अलग-अलग लोगों को लगाएं तो बच्चों की सेहत भी सुधरेगी और लोगों को रोजगार भी मिलेगा.