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आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को हाईकोर्ट से राहत, अब सिर्फ मूल काम पर फोकस करेंगी आंगनबाड़ी कार्यकर्ताएं

मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के पक्ष में आदेश दिया है. आंगनबाड़ी कार्यकर्ता अपने मूल काम के अलावा दूसरे काम करने से मना कर सकती है.

Anganbadi workers may refuse to work other than their original work
आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को मिली हाईकोर्ट से राहत
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Published : Jan 2, 2020, 11:36 PM IST

जबलपुर। ताजा रिपोर्ट में केंद्र सरकार के पोषण अभियान में मध्यप्रदेश पिछड़ गया है और देश भर की रैंकिंग में मध्य प्रदेश 12वे नंबर पर है. इसकी एक वजह आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं से आंगनबाड़ी की जगह दूसरे काम करवाए जा रहे हैं. आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को बीपीएल सर्वे का काम दिया गया है. सरकार के इस आदेश के खिलाफ आंगनबाड़ी एसोसिएशन के सदस्य हाईकोर्ट पहुंचे. हाईकोर्ट ने अपने आदेश में ये स्पष्ट कर दिया कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं से उनके मूल काम के अलावा दूसरा काम नहीं लिया जाएगा.

आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को मिली हाईकोर्ट से राहत

मध्यप्रदेश में 1 लाख 60 हजार आंगनबाड़ी कार्यकर्ता है. एकीकृत बाल विकास योजना के तहत आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का काम है कि गर्भवती महिलाओं और बच्चों को पोषण आहार दें. सरकार जनगणना पल्स पोलियो और कई काम आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं से करवाती है. जबकि इन सभी के लिए सरकार के पास अलग से फंड होता है. इससे आंगनबाड़ी का काम भी प्रभावित होता है और दूसरे लोगों को रोजगार नहीं मिल पाता. यदि सरकार अलग-अलग कामों के लिए अलग-अलग लोगों को लगाएं तो बच्चों की सेहत भी सुधरेगी और लोगों को रोजगार भी मिलेगा.

जबलपुर। ताजा रिपोर्ट में केंद्र सरकार के पोषण अभियान में मध्यप्रदेश पिछड़ गया है और देश भर की रैंकिंग में मध्य प्रदेश 12वे नंबर पर है. इसकी एक वजह आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं से आंगनबाड़ी की जगह दूसरे काम करवाए जा रहे हैं. आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को बीपीएल सर्वे का काम दिया गया है. सरकार के इस आदेश के खिलाफ आंगनबाड़ी एसोसिएशन के सदस्य हाईकोर्ट पहुंचे. हाईकोर्ट ने अपने आदेश में ये स्पष्ट कर दिया कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं से उनके मूल काम के अलावा दूसरा काम नहीं लिया जाएगा.

आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को मिली हाईकोर्ट से राहत

मध्यप्रदेश में 1 लाख 60 हजार आंगनबाड़ी कार्यकर्ता है. एकीकृत बाल विकास योजना के तहत आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का काम है कि गर्भवती महिलाओं और बच्चों को पोषण आहार दें. सरकार जनगणना पल्स पोलियो और कई काम आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं से करवाती है. जबकि इन सभी के लिए सरकार के पास अलग से फंड होता है. इससे आंगनबाड़ी का काम भी प्रभावित होता है और दूसरे लोगों को रोजगार नहीं मिल पाता. यदि सरकार अलग-अलग कामों के लिए अलग-अलग लोगों को लगाएं तो बच्चों की सेहत भी सुधरेगी और लोगों को रोजगार भी मिलेगा.

Intro:मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के पक्ष में दिया आदेश आंगनवाड़ी कार्यकर्ता अपने मूल काम के अलावा दूसरे कामों करने से कर सकती हैं मना


Body:जबलपुर मध्यप्रदेश में 1 लाख 60 हजार आंगनवाड़ी कार्यकर्ता हैं एकीकृत बाल विकास योजना के तहत आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं का काम है कि गर्भवती महिलाओं और बच्चों को पोषण आहार दें इतनी बड़ी तादाद होने के बाद भी मध्य प्रदेश कुपोषण का दाग मिटा नहीं पा रहा है और आज भी मध्य प्रदेश के कई इलाकों मे बच्चे कुपोषण का शिकार हो रहे हैं

ताजा रिपोर्ट में केंद्र सरकार के पोषण अभियान में मध्यप्रदेश पिछड़ गया है और देश भर की रैंकिंग में मध्य प्रदेश 12वे नंबर पर है
इसकी एक वजह आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं से आंगनवाड़ी की वजह दूसरे काम करवाए जा रहे हैं ताजा मामले में आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को बीपीएल सर्वे का काम दिया गया है सरकार के इस आदेश के खिलाफ आंगनवाड़ी एसोसिएशन के सदस्य हाईकोर्ट पहुंचे हाई कोर्ट ने अपने आदेश में यह स्पष्ट कर दिया कि आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं से उनके मूल काम के अलावा दूसरा काम नहीं लिया जाएगा इस आदेश से यह स्पष्ट है कि आंगनवाड़ी कार्यकर्ता केवल एकीकृत बाल विकास योजना के तहत आवंटित काम ही करेगा
आंगनवाड़ी कार्यकर्ता को ₹10000 प्रतिमाह मिलता है इसके तहत उसका काम होता है कि गर्भवती महिलाओं को वह खिचड़ी और प्रोटीन पाउडर पहुंचाएं और छोटे बच्चों को आंगनवाड़ी में लाकर खेल-खेल में शिक्षा दे इस दौरान बच्चों को भी प्रोटीन पाउडर और खिचड़ी खिलाना है यदि आंगनवाड़ी कार्यकर्ता अपना काम पूरी ईमानदारी से सही ढंग से करें तो जच्चा और बच्चा कुपोषित नहीं रह सकता इसका सबसे ज्यादा फायदा गरीब परिवारों को होता है


Conclusion:सरकार जनगणना पल्स पोलियो जैसे कई काम आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं से करवाती है जबकि इन सभी के लिए सरकार के पास अलग से फंड होता है इससे आंगनबाड़ी का काम भी प्रभावित होता है और दूसरे लोगों को रोजगार नहीं मिल पाता यदि सरकार अलग-अलग कामों के लिए अलग-अलग लोगों को लगाएं तो बच्चों की सेहत भी सुधरेगी और लोगों को रोजगार भी मिलेगा
बाइट दीपा भारद्वाज आंगनवाड़ी कार्यकर्ता
बाइट विजय कुमार मौर्य एडवोकेट हाई कोर्ट
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