ETV Bharat / state

रोजगार सहायक बना ठेकेदार, पढ़िए ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट - प्रधानमंत्री आवास योजना

जबलपुर के ग्राम सलैया में रोजगार सहायक ने ठेकेदारी शुरू कर दी है. जहां प्रधानमंत्री आवास योजना के हितग्राहियों के मकानों को बनाने का ठेका रोजगार सहायक ने ले रखा है. जिससे न तो मजदूरों को मनरेगा की मजदूरी मिल पा रही है और न ही रहने के लिए मकान. ईटीवी भारत पर खबर प्रमुखता से दिखाए जाने के बाद जनपद सीईओ और कलेक्टर ने टीम गठित कर जांच करने के आदेश जारी किए हैं.

irregularity-in-prime-ministers-housing-scheme
रोजगार सहायक बना ठेकेदार
author img

By

Published : Nov 1, 2020, 6:30 AM IST

जबलपुर। जबलपुर के कई आदिवासी बाहुल्य इलाकों में विकास कोसों दूर है. जिला मुख्यालय से करीब 45 किलोमीटर दूर ग्राम सलैया में ज्यादातर ग्रामीण आदिवासी हैं. जिन्हें किसी भी प्रकार की सरकारी योजनाओं को कोई लाभ नहीं मिल रहा है. जहां इन योजनाओं को शासकीय कर्मचारी चट करने में लगे हुए हैं. सरपंच से लेकर जनपद सीईओ तक को अनियमितताओं की जानकारी होने के बावजूद कोई ग्रामीणों के हक के लिए आगे आने को तैयार नहीं है.

रोजगार सहायक बना ठेकेदार

ग्राम सलैया में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत के ग्रामीणों को आवास का लाभ मिला था. साथ ही वह इन मकान को बनाते हैं तो मनरेगा के तहत उन्हें मजदूरी भी मिलेगी. लेकिन ग्राम पंचायत के रोजगार सहायक ने इन आदिवासी ग्रामीणों से इनकी मजदूरी ही छीन ली. गांव में स्वीकृत हुए मकान जो कि प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बने हुए थे उन मकानों को रोजगार सहायक सचिव खुद ही बनवा रहे हैं. ग्रामीणों का कहना है कि पीएम आवास योजना का उन्हें लाभ तो मिला पर वह लाभ रोजगार सहायक के पास पहुंच गया.

रोजगार सहायक ने हड़प ली पीएम आवास योजना की राशि

ग्रामीण वीरेंद्र सिंह ने बताया कि प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत उन्हें अपनी जमीन पर मकान बनवाने के लिए शासन से 1 लाख 20 हजार रुपए स्वीकृत हुए थे. लेकिन जैसे ही यह राशि उनके खाते में आई, तो रोजगार सहायक भानु प्रताप सिंह ने उनसे यह रकम ले ली. भानू ने वीरेंद्र सिंह का मकान बनवाने के लिए ठेका भी ले लिया. हालांकि वीरेंद्र सिंह ने इसको लेकर अपनी आपत्ति जाहिर की थी, पर उसकी रोजगार सहायक के आगे एक नहीं चली. भानू प्रताप सिंह ने आनन-फानन में 1 लाख 20 हजार रुपए लेकर वीरेंद्र सिंह का मकान तो बनवा दिया, लेकिन उस मकान में न हीं छपाई हुई और ना ही फर्श बन पाया. ऐसे में अब वीरेंद्र सिंह अधूरे मकान में ही रहने को मजबूर है.

रोजगार सहायक-सरपंच के बीच नहीं है तालमेल

ग्राम पंचायत के पास बजट तो है लेकिन सरपंच और रोजगार सहायक का तालमेल न होने के चलते इस गांव से विकास कोसों दूर है. सड़कें आज भी उखड़ी पड़ी हैं. वहीं पानी की भी इस गांव में विकराल समस्या रहती है. ग्रामीण बताते हैं कि सरपंच और रोजगार सहायक का तालमेल न होने के चलते गांव का विकास पूरी तरह से रूका हुआ है. सरपंच गणपत सिंह का कहना है कि रोजगार सहायक के चलते ज्यादातर गांव के विकास रूके हुए हैं. रोजगार सहायक के पिता कांग्रेस के एक दिग्गज नेता हैं और हाल ही में विधानसभा चुनाव भी उन्होंने लड़ा था. सरपंच ने कहा कि रोजगार सचिव को और उन्हें समझाने की कई बार भरसक कोशिश भी की गई, पर कोई नतीजा नहीं निकला. लिहाजा सरपंच अब जिला स्तर के अधिकारियों से मिलने की तैयारी में जुट गए हैं.

सभी आरोपों को रोजगार सहायक ने बताया गलत

रोजगार सहायक भानू प्रताप सिंह का कहना है कि उन पर जो भी आरोप लगे हैं वह पूरी तरह से गलत और निराधार हैं. भानू प्रताप सिंह ने कहा कि ग्राम सलैया में कुछ लोगों से उनका आपसी मतभेद चल रहा है. इसी के चलते उन्हें गांव से हटाने का पूरा षड्यंत्र रचा जा रहा है. रोजगार सहायक का कहना है कि उन्होंने एक भी मकान को ठेके में लेकर नहीं बनवाया है, चाहे तो शासन इसकी जांच करवा सकता है.

ईटीवी भारत की खबर के बाद अधिकारियों ने दिए जांच के आदेश

कुंडम जनपद सीईओ ओंकार सिंह ठाकुर को जब इस बात का पता चला कि ग्राम पंचायत सलैया में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत कुछ गड़बड़ी हो रही है तो इसको लेकर उन्होंने एपीओ आर के खरे को निर्देश दिए कि वह पीएम आवास योजना में मिली अनियमितताएं जानने के लिए ग्रामीणों से बात करें. इधर पीएम आवास योजना के तहत बने मकान में अनियमितता को लेकर कुंडम जनपद सीईओ ओंकार सिंह ठाकुर ने भी जांच की बात कही है. वहीं कलेक्टर ने जिला पंचायत सीईओ और जनपद सीईओ से ग्राम सलैया में चल रहे विकास कार्य की रिपोर्ट मांगी है.

पीएम आवास योजना के बारे में जानें

⦁ जिस व्यक्ति के पास स्वयं का मकान नहीं होता शासन उसकी जमीन में मकान बनाने के लिए 1 लाख 20 हजार रुपए किस्तों में देती है

⦁ मकान के लिए दिए गए 1 लाख 20 हजार रुपए के साथ-साथ मकान बनाने में मजदूरी के लिए भी मनरेगा के तहत 15 हजार रुपए मिलते हैं.

⦁ मनरेगा में जो 15 हजार रुपए मिलते हैं, वह 90 दिन की मजदूरी होती है.

⦁ 250 से 300 वर्ग फीट पर मकान बनाया जा सकता है.

जबलपुर। जबलपुर के कई आदिवासी बाहुल्य इलाकों में विकास कोसों दूर है. जिला मुख्यालय से करीब 45 किलोमीटर दूर ग्राम सलैया में ज्यादातर ग्रामीण आदिवासी हैं. जिन्हें किसी भी प्रकार की सरकारी योजनाओं को कोई लाभ नहीं मिल रहा है. जहां इन योजनाओं को शासकीय कर्मचारी चट करने में लगे हुए हैं. सरपंच से लेकर जनपद सीईओ तक को अनियमितताओं की जानकारी होने के बावजूद कोई ग्रामीणों के हक के लिए आगे आने को तैयार नहीं है.

रोजगार सहायक बना ठेकेदार

ग्राम सलैया में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत के ग्रामीणों को आवास का लाभ मिला था. साथ ही वह इन मकान को बनाते हैं तो मनरेगा के तहत उन्हें मजदूरी भी मिलेगी. लेकिन ग्राम पंचायत के रोजगार सहायक ने इन आदिवासी ग्रामीणों से इनकी मजदूरी ही छीन ली. गांव में स्वीकृत हुए मकान जो कि प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बने हुए थे उन मकानों को रोजगार सहायक सचिव खुद ही बनवा रहे हैं. ग्रामीणों का कहना है कि पीएम आवास योजना का उन्हें लाभ तो मिला पर वह लाभ रोजगार सहायक के पास पहुंच गया.

रोजगार सहायक ने हड़प ली पीएम आवास योजना की राशि

ग्रामीण वीरेंद्र सिंह ने बताया कि प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत उन्हें अपनी जमीन पर मकान बनवाने के लिए शासन से 1 लाख 20 हजार रुपए स्वीकृत हुए थे. लेकिन जैसे ही यह राशि उनके खाते में आई, तो रोजगार सहायक भानु प्रताप सिंह ने उनसे यह रकम ले ली. भानू ने वीरेंद्र सिंह का मकान बनवाने के लिए ठेका भी ले लिया. हालांकि वीरेंद्र सिंह ने इसको लेकर अपनी आपत्ति जाहिर की थी, पर उसकी रोजगार सहायक के आगे एक नहीं चली. भानू प्रताप सिंह ने आनन-फानन में 1 लाख 20 हजार रुपए लेकर वीरेंद्र सिंह का मकान तो बनवा दिया, लेकिन उस मकान में न हीं छपाई हुई और ना ही फर्श बन पाया. ऐसे में अब वीरेंद्र सिंह अधूरे मकान में ही रहने को मजबूर है.

रोजगार सहायक-सरपंच के बीच नहीं है तालमेल

ग्राम पंचायत के पास बजट तो है लेकिन सरपंच और रोजगार सहायक का तालमेल न होने के चलते इस गांव से विकास कोसों दूर है. सड़कें आज भी उखड़ी पड़ी हैं. वहीं पानी की भी इस गांव में विकराल समस्या रहती है. ग्रामीण बताते हैं कि सरपंच और रोजगार सहायक का तालमेल न होने के चलते गांव का विकास पूरी तरह से रूका हुआ है. सरपंच गणपत सिंह का कहना है कि रोजगार सहायक के चलते ज्यादातर गांव के विकास रूके हुए हैं. रोजगार सहायक के पिता कांग्रेस के एक दिग्गज नेता हैं और हाल ही में विधानसभा चुनाव भी उन्होंने लड़ा था. सरपंच ने कहा कि रोजगार सचिव को और उन्हें समझाने की कई बार भरसक कोशिश भी की गई, पर कोई नतीजा नहीं निकला. लिहाजा सरपंच अब जिला स्तर के अधिकारियों से मिलने की तैयारी में जुट गए हैं.

सभी आरोपों को रोजगार सहायक ने बताया गलत

रोजगार सहायक भानू प्रताप सिंह का कहना है कि उन पर जो भी आरोप लगे हैं वह पूरी तरह से गलत और निराधार हैं. भानू प्रताप सिंह ने कहा कि ग्राम सलैया में कुछ लोगों से उनका आपसी मतभेद चल रहा है. इसी के चलते उन्हें गांव से हटाने का पूरा षड्यंत्र रचा जा रहा है. रोजगार सहायक का कहना है कि उन्होंने एक भी मकान को ठेके में लेकर नहीं बनवाया है, चाहे तो शासन इसकी जांच करवा सकता है.

ईटीवी भारत की खबर के बाद अधिकारियों ने दिए जांच के आदेश

कुंडम जनपद सीईओ ओंकार सिंह ठाकुर को जब इस बात का पता चला कि ग्राम पंचायत सलैया में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत कुछ गड़बड़ी हो रही है तो इसको लेकर उन्होंने एपीओ आर के खरे को निर्देश दिए कि वह पीएम आवास योजना में मिली अनियमितताएं जानने के लिए ग्रामीणों से बात करें. इधर पीएम आवास योजना के तहत बने मकान में अनियमितता को लेकर कुंडम जनपद सीईओ ओंकार सिंह ठाकुर ने भी जांच की बात कही है. वहीं कलेक्टर ने जिला पंचायत सीईओ और जनपद सीईओ से ग्राम सलैया में चल रहे विकास कार्य की रिपोर्ट मांगी है.

पीएम आवास योजना के बारे में जानें

⦁ जिस व्यक्ति के पास स्वयं का मकान नहीं होता शासन उसकी जमीन में मकान बनाने के लिए 1 लाख 20 हजार रुपए किस्तों में देती है

⦁ मकान के लिए दिए गए 1 लाख 20 हजार रुपए के साथ-साथ मकान बनाने में मजदूरी के लिए भी मनरेगा के तहत 15 हजार रुपए मिलते हैं.

⦁ मनरेगा में जो 15 हजार रुपए मिलते हैं, वह 90 दिन की मजदूरी होती है.

⦁ 250 से 300 वर्ग फीट पर मकान बनाया जा सकता है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.