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3 दिन दिवसीय कुश्ती प्रतियोगिता का आयोजन, पहलवानों ने दिखाए दमखम

शहर में बीते 115 सालों से चली आ रही कुश्ती प्रतियोगिता का इस बार भी आयोजन किया गया. जिसमें पुरुष और महिला पहलवानों ने हिस्सा लिया.

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Published : Aug 7, 2019, 9:10 AM IST

3 दिन दिवसीय कुश्ती प्रतियोगिता का आयोजन

जबलपुर। शहर में नागपचंमी के मौके पर 3 दिन दिवसीय कुश्ती का आयोजन किया गया है, जिसका आज आखिरी दिन है. इसमें जिलेभर के पुरुष और महिला पहलवानों ने हिस्सा लिया. साथ ही सभी को कुश्ती के दांव-पेंच भी सिखाए गए. जबलपुर के शिवाजी मैदान में बीते 115 सालों से परंपरा के मुताबिक कुश्ती प्रतियोगिता का आयोजन होता आ रहा है.

3 दिन दिवसीय कुश्ती प्रतियोगिता का आयोजन


जबलपुर कुश्ती संघ के अध्यक्ष अर्जुन यादव बताते हैं कि अखाड़ों की मिट्टी में घी, हल्दी मट्ठा और चंदन डाला जाता है, ताकि अगर कुश्ती करते हुए किसी पहलवान को चोट लग जाए, तो मिट्टी की आयुर्वेदिक क्षमता ही इस चोट को खत्म करने के लिए काफी हो. अर्जुन यादव का कहना है भले ही आज गद्दों पर कुश्ती हो रही हो, लेकिन जिन पहलवानों ने कुश्ती में नाम कमाया है वे ज्यादातर मिट्टी की कुश्ती से ही निकलकर आए हैं, इसलिए जबलपुर में हम अखाड़ों में पहलवानों को मिट्टी में ही कुश्ती में अभ्यास करवाते हैं, ताकि जब वे गद्दे पर जाएं तो बेहतर प्रदर्शन कर सकें.


जबलपुर कुश्ती संघ के अध्यक्ष अर्जुन यादव ने कहा कि पहले मिट्टी की कुश्ती में लड़कियां भाग नहीं लेती थीं, लेकिन अब वे भी इसमें बढ़-चढ़कर भाग ले रही हैं. बता दें कि कुश्ती के आयोजन में 100 से ज्यादा पहलवान अपना दमखम दिखा रहे हैं.

जबलपुर। शहर में नागपचंमी के मौके पर 3 दिन दिवसीय कुश्ती का आयोजन किया गया है, जिसका आज आखिरी दिन है. इसमें जिलेभर के पुरुष और महिला पहलवानों ने हिस्सा लिया. साथ ही सभी को कुश्ती के दांव-पेंच भी सिखाए गए. जबलपुर के शिवाजी मैदान में बीते 115 सालों से परंपरा के मुताबिक कुश्ती प्रतियोगिता का आयोजन होता आ रहा है.

3 दिन दिवसीय कुश्ती प्रतियोगिता का आयोजन


जबलपुर कुश्ती संघ के अध्यक्ष अर्जुन यादव बताते हैं कि अखाड़ों की मिट्टी में घी, हल्दी मट्ठा और चंदन डाला जाता है, ताकि अगर कुश्ती करते हुए किसी पहलवान को चोट लग जाए, तो मिट्टी की आयुर्वेदिक क्षमता ही इस चोट को खत्म करने के लिए काफी हो. अर्जुन यादव का कहना है भले ही आज गद्दों पर कुश्ती हो रही हो, लेकिन जिन पहलवानों ने कुश्ती में नाम कमाया है वे ज्यादातर मिट्टी की कुश्ती से ही निकलकर आए हैं, इसलिए जबलपुर में हम अखाड़ों में पहलवानों को मिट्टी में ही कुश्ती में अभ्यास करवाते हैं, ताकि जब वे गद्दे पर जाएं तो बेहतर प्रदर्शन कर सकें.


जबलपुर कुश्ती संघ के अध्यक्ष अर्जुन यादव ने कहा कि पहले मिट्टी की कुश्ती में लड़कियां भाग नहीं लेती थीं, लेकिन अब वे भी इसमें बढ़-चढ़कर भाग ले रही हैं. बता दें कि कुश्ती के आयोजन में 100 से ज्यादा पहलवान अपना दमखम दिखा रहे हैं.

Intro:जबलपुर में आज भी लड़ी जाती है मिट्टी की कुश्ती 17 से ज्यादा अखाड़ों में सैकड़ों पहलवान सीखते हैं दांव पेंच जबलपुर की शिवाजी मैदान में बीते 115 सालों से हो रहा है मुकाबला


Body:जबलपुर यह हमारे समाज की पुरानी परंपरा है कि नाग पंचमी के बाद मिट्टी की कुश्ती लड़ी जाती है जबलपुर के शिवाजी मैदान में बीते 115 सालों से यह परंपरा चली आ रही है

जबलपुर में कभी 52 अखाड़े हुआ करते थे जबलपुर पहलवानों का शहर हुआ करता था लेकिन समय के साथ साथ अखाड़ों का चलन घटता गया और अब जबलपुर में मात्र 17 अखाड़े ही बचे हैं इनमें भी ज्यादातर में पहलवान नहीं पहुंचते लेकिन कुछ अखाड़े आज भी बदस्तूर चल रहे हैं

जबलपुर कुश्ती संघ के अध्यक्ष अर्जुन यादव बताते हैं कि जबलपुर में आज भी अखाड़ों की मिट्टी में घी हल्दी मट्ठा और चंदन डाला जाता है ताकि यदि मिट्टी में कुश्ती करते हुए किसी पहलवान को चोट लग जाए तो मिट्टी की आयुर्वेदिक क्षमता ही इस चोट को खत्म करने के लिए काफी है अर्जुन यादव का कहना है भले ही आज गद्दो पर कुश्ती हो रही हो लेकिन जिन पहलवानों ने कुश्ती में नाम कमाया है वे ज्यादातर मिट्टी की कुश्ती से ही निकल कर आए हैं इसलिए जबलपुर में हम पहलवानों को मिट्टी की कुश्ती काही अभ्यास करवाते हैं ताकि जब यह गद्दे पर जाएं तो बेहतर प्रदर्शन दिखा सकें

पहले मिट्टी की कुश्ती में लड़कियां भाग नहीं लेती थी लेकिन अब मिट्टी की कुश्ती में भी लड़कियां बढ़-चढ़कर भाग लेते हैं जबलपुर में शिवाजी मैदान में कुश्ती का आयोजन किया गया है इसमें 100 से ज्यादा पहलवान अपना दमखम दिखा रहे हैं आयोजकों का कहना है कि भले ही आज आधुनिक कुश्ती चलने लगी है लेकिन जबलपुर में परंपरागत कुश्ती लड़ने वाले भी बहुत सारे पहलवान हैं इसलिए कीचड़ और मिट्टी के गीले मैदान में भी दर्शकों की कमी नहीं रहती


Conclusion:बाइट चिंटू चौकसे उपाध्यक्ष कैंट बोर्ड
बाइट अर्जुन यादव पहलवान
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