जबलपुर। मध्य प्रदेश में सरकारी स्कूलों की हालात लगातार बिगड़ती जा रही है. स्थिति यह है कि, सरकारी स्कूलों में छात्रों की संख्या इतनी कम हो गई है कि, अब राज्य सरकार ने कई सरकारी स्कूलों को बंद करने का मूड बना लिया है. समूचे मध्यप्रदेश में राज्य सरकार बीस हजार से ज्यादा सरकारी स्कूलों को बंद करने की तैयारी में जुट गई है, पहली खेप में 12 हजार 876 स्कूलों को बंद करने का प्लान है. इसके लिए प्रदेश भर में स्कूल शिक्षा विभाग ने समीक्षा भी शुरू कर दी है.
शून्य छात्र संख्या वाले स्कूल
प्रदेश में 239 ऐसे स्कूल है, जहां एक भी छात्र रजिस्टर्ड नहीं हैं, यानी यह स्कूल शून्य छात्र संख्या वाले हैं. जबकी इनके रख रखाव और शिक्षक पर विभाग को उतना ही खर्ज करना पड़ता है. इन स्कूलों में भिंड शिवपुरी के 16-16, खरगोन दमोह पन्ना के 27-27, श्योपुर और इंदौर के 10-10, देवास 18, उज्जैन 19, धार 21 और सागर के 48 स्कूल शामिल है. सरकार जल्द ही इन्हें बंद करने के आदेश दे सकती है.
20 से कम छात्र संख्या वाले स्कूल
प्रदेश के 14 जिलों में 300 से ज्यादा स्कूल ऐसे हैं जहां छात्रों की संख्या 20 है. ऐसे स्कूलो को भी सरकार बंद करने की तैयारी कर रही है. इन स्कूलों और जिलों की संख्या में नजर डाला जाए तो भिंड में 358, देवास में 300, बड़वानी में 326, राजगढ़ में 429,विदिशा में 368, खरगोन में 365, नरसिंहपुर में 341, छिंदवाड़ा में 518, सिवनी में 550, मंडला में 513,बालाघाट में 360,रीवा में 493 और सतना में 606 स्कूल हैं.
कांग्रेस विधायक ने सरकार के फैसले का किया विरोध
कांग्रेस विधायक विनय सक्सेना ने सरकार के इस फैसले पर अप्पति जताई हैं. कांग्रेस विधायक की माने तो ये सभी फैसले सरकार के निजी स्कूलों को बढ़ावा देने के लिए है. विधायक विनय सक्सेना ने कहा की सरकारी स्कूल के ढांचे को जानबूझकर कमजोर किया जा रहा है जिससे की निजी स्कूल को बढ़ावा मिल सके.
ये है नियम
स्कूल शिक्षा विभाग के नियम अनुसार मिडिल स्कूल संचालित करने के लिए कम से कम 20 से छात्रों होना आवश्यक है, जबकि प्राइमरी स्कूल में 40 छात्र होना जरूरी है, लेकिन मध्य प्रदेश में हाल ही सामने आया कि करीब 12,870 सरकारी स्कूल ऐसे हैं जहां पर छात्रों का मापदंड सही नहीं है, लिहाजा अब ऐसे स्कूलों को सरकार बंद करने की तैयारी में जुट गई है.