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भूखे-प्यासे पैदल आ रहे मजदूरों का सहारा बनी 'युवओं की रसोई' - lockdown effect on workers

'मालव माटी धीर गंभीर, पग-पग रोटी डग-डग नीर', मालवा की यह कहावत इन दिनों उन हजारों लोगों के लिए वरदान साबित हो रही है जो मुंबई, पुणे और महाराष्ट्र के कई इलाकों से देश के उत्तरी इलाकों की ओर भूखे प्यासे पैदल अपने-अपने घरों की ओर लौट रहे हैं. इंदौर में युवाओं की रसोई मजबूर लोगों के लिए लगातार भोजन और चाय-नाश्ते की व्यवस्था में जुटी हुई हैं.

young men providing food to workers
मजदूरों का सहारा बनी 'युवओं की रसोई'
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Published : May 10, 2020, 10:47 AM IST

इंदौर। लॉकडाउन के कारण देश के अलग-अलग राज्यों में काम की तलाश में गए मजदूर फंस गए हैं. इसी बीच बेरोजगारी और भूख से तड़पते मजदूर परिवारों का पैदल अपने घर के लिए आने-जाने का दौर जारी है. इसी कड़ी में मुबंई, पुणे के अलावा महाराष्ट्र से कई इलाकों से मजदूर देश के उत्तरी इलाकों की ओर भूखे-प्यासे पैदल अपने-अपने घरों को लौट रहे हैं. ऐसे भूखे-प्यासे आ रहे मजदूरों के लिए 'युवाओं की रसोई' वरदान साबित हो रही है.

मजदूरों का सहारा बनी 'युवओं की रसोई'

ये भी पढ़ें- लॉकडाउन के बीच झुग्गियों में पलती जिंदगियों की कहानी, भूख तो लगती है...

'मालव माटी धीर गंभीर, पग-पग रोटी डग-डग नीर', मालवा की यह कहावत इन दिनों उन हजारों लोगों के लिए वरदान साबित हो रही है जो मुंबई, पुणे और महाराष्ट्र के कई इलाकों से देश के उत्तरी इलाकों की ओर भूखे प्यासे पैदल अपने-अपने घरों की ओर लौट रहे हैं. आलम ये है कि आगरा-मुंबई मार्ग पर सुबह से शाम तक हजारों लोग हर संभव साधनों से अपने घरों की ओर कूच करते नजर आ रहे हैं. लॉकडाउन और कर्फ्यू में तमाम दुकानें बंद होने के कारण सभी लोग भूखे-प्यासे हैं, ऐसे में इन लोगों का लिए युवाओं की टोली ने खाना बनाना शुरू किया है. जो करीब रोजाना एक हजार लोगों को भोजन करा रहे हैं.

ये भी पढ़ें- भूख का सफर: बच्चों का पेट भरने रोजाना शहर से गांव आता है ये पिता

इंदौर के क्षिप्रा में इन दिनों युवाओं की टोलियां मजबूर लोगों के लिए लगातार भोजन और चाय-नाश्ते की व्यवस्था में जुटी हुई हैं. यहां से जो लोग गुजर रहे हैं उनके लिए युवाओं की टोली अपने संसाधनों से भोजन और चाय-नाश्ते की व्यवस्था कर रही हैं. युवा टोली में शामिल लोगों ने बताया कि जब उन्होंने हजारों लोगों को सड़कों पर भूख से रोते-बिलखते जाते देखा तो सभी मदद के लिए एकजुट हो गए. इसके बाद सभी ने अपने अपने संसाधनों से खुद ही भोजन पका कर इन्हें देना शुरू कर दिया. देखते ही देखते छोटा सी ये कोशिश बहुत बड़ी मदद में तब्दील हो रही हैं, जिसके लिए अब और लोग भी आगे आकर मदद कर रहे हैं.

इंदौर। लॉकडाउन के कारण देश के अलग-अलग राज्यों में काम की तलाश में गए मजदूर फंस गए हैं. इसी बीच बेरोजगारी और भूख से तड़पते मजदूर परिवारों का पैदल अपने घर के लिए आने-जाने का दौर जारी है. इसी कड़ी में मुबंई, पुणे के अलावा महाराष्ट्र से कई इलाकों से मजदूर देश के उत्तरी इलाकों की ओर भूखे-प्यासे पैदल अपने-अपने घरों को लौट रहे हैं. ऐसे भूखे-प्यासे आ रहे मजदूरों के लिए 'युवाओं की रसोई' वरदान साबित हो रही है.

मजदूरों का सहारा बनी 'युवओं की रसोई'

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'मालव माटी धीर गंभीर, पग-पग रोटी डग-डग नीर', मालवा की यह कहावत इन दिनों उन हजारों लोगों के लिए वरदान साबित हो रही है जो मुंबई, पुणे और महाराष्ट्र के कई इलाकों से देश के उत्तरी इलाकों की ओर भूखे प्यासे पैदल अपने-अपने घरों की ओर लौट रहे हैं. आलम ये है कि आगरा-मुंबई मार्ग पर सुबह से शाम तक हजारों लोग हर संभव साधनों से अपने घरों की ओर कूच करते नजर आ रहे हैं. लॉकडाउन और कर्फ्यू में तमाम दुकानें बंद होने के कारण सभी लोग भूखे-प्यासे हैं, ऐसे में इन लोगों का लिए युवाओं की टोली ने खाना बनाना शुरू किया है. जो करीब रोजाना एक हजार लोगों को भोजन करा रहे हैं.

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इंदौर के क्षिप्रा में इन दिनों युवाओं की टोलियां मजबूर लोगों के लिए लगातार भोजन और चाय-नाश्ते की व्यवस्था में जुटी हुई हैं. यहां से जो लोग गुजर रहे हैं उनके लिए युवाओं की टोली अपने संसाधनों से भोजन और चाय-नाश्ते की व्यवस्था कर रही हैं. युवा टोली में शामिल लोगों ने बताया कि जब उन्होंने हजारों लोगों को सड़कों पर भूख से रोते-बिलखते जाते देखा तो सभी मदद के लिए एकजुट हो गए. इसके बाद सभी ने अपने अपने संसाधनों से खुद ही भोजन पका कर इन्हें देना शुरू कर दिया. देखते ही देखते छोटा सी ये कोशिश बहुत बड़ी मदद में तब्दील हो रही हैं, जिसके लिए अब और लोग भी आगे आकर मदद कर रहे हैं.

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