इंदौर। रोबोट टेक्नोलॉजी को लेकर अब तक जापान और चीन के भरोसे रहने वाला भारत बीते एक दशक में इस टेक्नोलॉजी को लेकर आत्मनिर्भर की दिशा में तेजी से बढ़ रहा है. स्थिति यह है कि भारत द्वारा अब इस टेक्नोलॉजी का उपयोग करके कई देशों में रोबोट का एक्सपोर्ट भी किया जा रहा है. इतना ही नहीं मेक इन इंडिया के तहत तैयार की गई तरह तरह के रोबोट अब रिटेल बिजनेस, ई-कॉमर्स, वेयरहाउसिंग कुरियर, मल्टीस्टोर फूड एंड ब्रेवरीज के क्षेत्र में काम कर रहे हैं. जिसमें मैन पावर कम लगने के साथ कार्य क्षमता में कई गुना वृद्धि हो चुकी है. इतना ही नहीं अब रोबोट को इंसानों की तरह काम करने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से अपग्रेड किया जा रहा है.
रोबोट्स की दुनिया: माना जा रहा है कि भविष्य में रोबोट इंसानों की तरह काम कर सकेंगे. खानपान के शहर इंदौर में इसकी शुरुआत हो चुकी है. यहां यंगोवेटर नामक स्टार्टअप ने कुछ ऐसे इंडिजिनियस रोबोट बनाए हैं जो अब रेस्टोरेंट में वेटर की जगह ले सकेंगे. हाल ही में इंदौर विकास प्राधिकरण द्वारा आयोजित स्टार्टअप और आईटी कॉन्क्लेव में इसी तरह के रोबोट ने सर्विंग और स्वागत के कामकाज में बखूबी मदद की. इन रोबोट को तैयार करने वाले मुदित ठक्कर बताते हैं कि वह बच्चों को रोबोट टेक्नोलॉजी से अपडेट करने के लिए न केवल ट्रेनिंग दे रहे हैं बल्कि उन्हें शिक्षित भी कर रहे हैं. उनके निर्देशन में इंदौर में अब ऐसे रोबोट तैयार किए जा रहे हैं जो यहां रेस्टोरेंट पर ऑर्डर बुक करने के साथ फूड डिलीवरी भी कर सकेंगे. इतना ही नहीं कुछ रोबोट ग्राहकों के साथ कम्युनिकेट भी कर पाएंगे.
MP में हो टेक्नोलॉजी पर हो रहा काम: हाल ही में एक कंपनी के आर्डर पर इस तरह के रोबोट तैयार भी किए जा रहे हैं. उनका कहना है कि भारत के रोबोटिक टेक्नोलॉजी में मेक इन इंडिया कंसेप्ट के तहत अब मध्यप्रदेश में भी पीथमपुर मंडीदीप आदि कई इलाकों में रोबोटिक टेक्नोलॉजी पर काम हो रहा है. इसके अलावा अब मध्यम एवं लघु उद्योगों के कामकाज में भी इस टेक्नोलॉजी का उपयोग हो रहा है. इसके अलावा विभिन्न सेक्टरों में जहां मेन पावर की जरूरत होती है वहां अब रोबोट की डिमांड तेजी से बढ़ रही है जो ग्राहक के कहने पर आर्डर प्लेसमेंट के अलावा अलग-अलग काम गुणवत्ता के साथ कर सकने में सक्षम हैं.
रोबोट करेंगे फूड डिलीवरी: इंदौर में खाना सर्व करने वाले रोबोट के अलावा अब इस सेक्टर में अन्य काम भी रोबोट करने जा रहे हैं. हाल ही में उबर ईट्स नामक कंपनी ने मियामी और फ्लोरिडा में फूड डिलीवरी करने के लिए रोबोट का इस्तेमाल शुरू किया गया है. इसी तरह के प्रयोग भारत में हो रहे हैं जिसके तहत हाल ही में आईआईटी कानपुर ने ऐसा रोबोट तैयार किया हैं जो बच्चों के साथ खेलेगा हंसेगा और उनसे बातचीत कर सकेगा जिसे चाइल्ड रोबोट नाम दिया गया है. हाल ही में तैयार हुए इस रोबोट को बच्चों के शैक्षणिक स्तर को ध्यान में रखते हुए प्रोग्रामिंग के आधार पर तैयार किया गया है.
यह है रोबोट का इतिहास: दरअसल रोबोट एक कंप्यूटरीकृत मशीन है जिसे कंप्यूटर प्रोग्रामिंग की मदद से किसी विशिष्ट और जटिल कार्य के लिए तैयार किया जाता है इस मशीन में डाटा को प्रोसेस करके खुद को कंट्रोल करने की क्षमता होती है जो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के अलावा प्रोग्रामिंग के आधार पर काम करती है. शुरुआती दौर में चीन और मिश्र सभ्यताओं में इस तरह की मशीनों का उल्लेख मिलता है हालांकि 1950 में मैकेनिकल लेबर के रूप में रोबोट तैयार किया गया था. जिसका नाम यूनिमेट था हालांकि उसके पहले भी रोबोट बनाए जा चुके हैं फिलहाल डोमेस्टिक रोबोट मेडिकल रोबोट स्पेस रोबोट सर्विस रोबोट ह्यूमनॉइड रोबोट आदित्य राज रोबोट पाए जाते हैं. इसके अलावा अग्निशमन माइनिंग समुद्र तल आकाशीय खोज जैसे दुर्गम कार्यों के लिए भी अब रोबोट का उपयोग होने लगा है.