इंदौर। नगरीय निकाय चुनाव की तारीख जल्द ही घोषित होने वाली है. इन तारीखों के ऐलान के पहले अब सभी पार्टियों ने अपने उम्मीदवारों को लेकर मंथन करना शुरू कर दिया है. इसी को लेकर इंदौर में भी तैयारियां शुरू कर दी गई है. नगरीय निकाय चुनाव की कांग्रेस प्रभारी और पूर्व मंत्री विजयलक्ष्मी साधौ इंदौर पहुंची और यहां पर उन्होंने कार्यकर्ताओं के साथ बैठक की.
नगरीय निकाय चुनाव में टिकट वितरण को लेकर पूर्व मंत्री साधो ने कहा कि पहले कांग्रेस में ठेकेदारी प्रथा से टिकट दिए जाते थे, अब कमलनाथ ने ठेकेदारी प्रथा खत्म कर दिया है. पूर्व मंत्री ने कहा कि सर्वे के आधार पर टिकट दिए जाएंगे. इंदौर को लेकर विजयलक्ष्मी साधौ ने कहा कि इंदौर महत्वपूर्ण सीट है और सामूहिक प्रयास से कांग्रेस का महापौर बनेगा साथ ही भीतर घातो पर भी अब कार्रवाई की जाएगी.
पहले जेबो वाली संस्कृति थी, ठेकेदारी प्रथा से बांटे जाते थे टिकट
पूर्व मंत्री ने कहा कि कांग्रेस पार्टी पहले गुटों में बटी हुई थी और जेबो वाली संस्कृति थी. कांग्रेस में पहले ठेकेदारी प्रथा से ही टिकट बाटी जाती थी, लेकिन पिछले समय में जो प्रदेश में हुआ है, उससे ठेकेदारी प्रथा समाप्त हो गई है. अब पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ सर्वे के आधार पर ही इलाके के जो व्यक्ति होंगे, उन्हें टिकट देंगे. विजयलक्ष्मी साधौ ने साफ किया कि गुण और दोष के आधार पर ही अच्छे उम्मीदवारों को टिकट दिया जाएगा.
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साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि पार्टी में रहकर अगर कोई भी गलत करता है तो उस पर कार्रवाई होगी. पार्टी के लिए कोई वफादार नहीं है तो नेतृत्व उस पर कार्रवाई करेगा.पूर्व मंत्री साधौ ने कहा कि इस बार बड़े नेतृत्व के आधार पर ही उम्मीदवारों को टिकट वितरण किया जाएगा.
पहले व्यापमं और डंपर घोटाले आए सामने
नगरीय निकाय चुनाव प्रभारी साधौ ने कहा कि प्रदेश में पिछले 15 साल में कई घोटाले हुए. इन बड़े घोटालों के नाम आज तक उजागर नहीं हो पाए हैं और अब केंद्र सरकार अपनी एजेंसियों के जरिए प्रदेश में नाम उजागर कर रही है. लेकिन फिर भी व्यापमं और डंपर घोटाले के नाम उजागर नहीं किए गए हैं. साधो ने कहा कि मध्यप्रदेश जैसी राजनीति पहले यूपी-बिहार और अन्य प्रदेशों में थी, लेकिन यह मध्यप्रदेश में भी दिखाई दे रही है. सौदागरो ने यहां पर भी राजनीति की हत्या की है. यह सौदे की सरकार है, वही उपचुनाव को लेकर पूर्व मंत्री ने कहा कि उपचुनाव में जो परिणाम आने थे, वह नहीं आ पाए. हालांकि प्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर है और यहां से पूरे प्रदेश को दिशा निर्देश भी जाते हैं. इंदौर में लंबे समय से हमारा कोई भी महापौर नहीं रहा है, इसलिए इंदौर हमारी साख का सवाल है.