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21 लाख दुर्लभ बीजों से तैयार हुई भगवान गणेश की मूर्ति, वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज हुआ नाम - इंदौर न्यूज

इंदौर के नवग्रह शनि मंदिर में 21 लाख दुर्लभ बीजों से भगवान गणेश समेत पूरे शिव परिवार की अनोखी प्रतिमाएं बनाई गई है. जो वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड में शामिल किया गया है.

21 लाख दुर्लभ बीजों से तैयार हुई भगवान गणेश की मूर्ति
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Published : Sep 7, 2019, 11:37 AM IST

इंदौर। देशभर में भगवान गणेश की तरह-तरह की दुर्लभ मूर्तियां स्थापित की गई है. इंदौर के नवग्रह शनि मंदिर में भगवान गणेश समेत पूरे शिव परिवार की अनोखी प्रतिमाएं बनाई गई है. इन मूर्तियों को एक विशेष प्रकार के 21 लाख स्वयंभू बीजों से बनाया गया है. अनोखी होने के कारण इन प्रतिमाओं को वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड में शामिल किया गया है.

21 लाख दुर्लभ बीजों से तैयार हुई भगवान गणेश की मूर्ति

मूर्ति कलाकार जगजीत सिंह छाबड़ा का कहना है कि उन्होंने 1990 में अमरकंटक यात्रा के दौरान 'द ब्राउनी' नामक पौधे के बीजों को देखा था. जिसे देखकर वह अचंभित रह गए. बीज का आकार हूबहू शिव शक्ति जैसा है इतने छोटे बीजों के दर्शन नहीं हो पाने के कारण इन्हें रुद्राक्ष की तरह धारण नहीं किया जा सकता है. जिसके बाद उन्होनें इन बीजों से मूर्तियां बनान का निर्णय लिया.

जगजीत सिंह लगातार पांच साल तक इन बीजों को इकट्ठे करने के साथ इन्हें मूर्ति के आकार देने में जुट गए. इसके बाद 1994 से प्रतिदिन 8 से 9 घंटे मूर्ति निर्माण करने के बाद 2002 में भगवान शिव और मां दुर्गा की प्रतिमा तैयार की. इसके बाद 2003 से 2008 तक इन्हीं बीजों का संयोजन से उन्होंने भगवान गणेश की दुर्लभ प्रतिमा तैयार की. इस तरह जगजीत सिंह भगवान गणेश समेत पूरे शिव परिवार की अनोखी प्रतिमा तैयार की है. जो इन दिनों नवग्रह शनि मंदिर में श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है.

इंदौर। देशभर में भगवान गणेश की तरह-तरह की दुर्लभ मूर्तियां स्थापित की गई है. इंदौर के नवग्रह शनि मंदिर में भगवान गणेश समेत पूरे शिव परिवार की अनोखी प्रतिमाएं बनाई गई है. इन मूर्तियों को एक विशेष प्रकार के 21 लाख स्वयंभू बीजों से बनाया गया है. अनोखी होने के कारण इन प्रतिमाओं को वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड में शामिल किया गया है.

21 लाख दुर्लभ बीजों से तैयार हुई भगवान गणेश की मूर्ति

मूर्ति कलाकार जगजीत सिंह छाबड़ा का कहना है कि उन्होंने 1990 में अमरकंटक यात्रा के दौरान 'द ब्राउनी' नामक पौधे के बीजों को देखा था. जिसे देखकर वह अचंभित रह गए. बीज का आकार हूबहू शिव शक्ति जैसा है इतने छोटे बीजों के दर्शन नहीं हो पाने के कारण इन्हें रुद्राक्ष की तरह धारण नहीं किया जा सकता है. जिसके बाद उन्होनें इन बीजों से मूर्तियां बनान का निर्णय लिया.

जगजीत सिंह लगातार पांच साल तक इन बीजों को इकट्ठे करने के साथ इन्हें मूर्ति के आकार देने में जुट गए. इसके बाद 1994 से प्रतिदिन 8 से 9 घंटे मूर्ति निर्माण करने के बाद 2002 में भगवान शिव और मां दुर्गा की प्रतिमा तैयार की. इसके बाद 2003 से 2008 तक इन्हीं बीजों का संयोजन से उन्होंने भगवान गणेश की दुर्लभ प्रतिमा तैयार की. इस तरह जगजीत सिंह भगवान गणेश समेत पूरे शिव परिवार की अनोखी प्रतिमा तैयार की है. जो इन दिनों नवग्रह शनि मंदिर में श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है.

Intro:देश और दुनिया में विघ्नहर्ता भगवान गणेश की तरह तरह की दुर्लभ मूर्तियां मौजूद हैं लेकिन इंदौर का नवग्रह शनि मंदिर दुर्लभ गणेश मूर्ति समेत पूरे शिव परिवार से सुसज्जित है जिसे बनाने में एक विशेष प्रकार के 2100000 स्वयंभू बीजों का उपयोग किया गया है


Body:दरअसल मंदिर के भक्त और मूर्ति कला विशेषज्ञ जगजीत सिंह छाबड़ा ने 1990 में अमरकंटक यात्रा के दौरान द ब्राउनी नामक पौधे के बीजों को देखा तो वह यह देखकर अचंभित रह गए कि बीज का आकार हूबहू शिव शक्ति जैसा है इतने छोटे बीजों के दर्शन नहीं हो पाने और इन्हें रुद्राक्ष की तरह धारण नहीं कर पाने के कारण उन्हें प्रेरणा हुई कि क्यों ना शिव शक्ति के वास्तविक रूप से साकार बीजों से ही भगवान गणेश समेत शिव परिवार को दुर्लभ मूर्ति में तैयार कर दिया जाए इसके बाद जगजीत सिंह लगातार पांच साल तक इन बीजों को इकट्ठे करने के साथ इन्हें मूर्ति के आकार देने में जुट गए इसके बाद 1994 से प्रतिदिन 8 से 9 घंटे मूर्ति निर्माण करने के बाद 2002 में यह शिव परिवार दुर्लभ रूप में साकार हो सका इसके बाद 2003 से 2008 तक इन्हीं बीजों का संयोजन से उन्होंने गणेश जी की दुर्लभ प्रतिमा तैयार की जब दुर्लभ मूर्तियों वाले इस गणेश परिवार की ख्याति फैली तो गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड की टीम ने इंदौर पहुंचकर इन मूर्तियों को वर्ल्ड रिकॉर्ड के रूप में दर्ज किया अब जो भी इन मूर्तियों को देखता है वह बीजों के साथ शिव परिवार की दुर्लभ कलाकृति का कायल हो जाता है इन्हीं मूर्तियों को कारण इंदौर का नवग्रह शनि मंदिर इन दिनों श्रद्धालुओं के लिए भी आकर्षण का केंद्र बना हुआ है


Conclusion:चावल और गेहूं के दाने से भी छोटे हैं शिवलिंगी बीज

दरअसल अमरकंटक के जंगलों में मिले शिवलिंगी बीज स्वयंभू शिव शक्ति का रूप प्रतीत होते हैं इनका आकार चावल और गेहूं के दाने से भी छोटा है इसलिए इन्हें रुद्राक्ष की तरह धारण करना असंभव था साथ ही एक बीज को मूर्ति की तरह स्थापित करना भी मुश्किल था लिहाजा उन्होंने लाखों बीजों को मिलाकर मूर्तियों का रूप दे दिया

अथर्ववेद में है शिवलिंग की बीजों का उल्लेख

प्राचीन शास्त्रों में प्राकृतिक शिवलिंगी बीज को रुद्राक्ष की तरह ही सर्व सिद्धि दायक बताया गया है शिवलिंगी बीज का उल्लेख अथर्ववेद आयुर्वेद और रावण संहिता तथा शिव पुराण में भी वर्णित है इन्हें संस्कृत भाषा में शिवाय शिव बल्ली शिवमल्ली का लिंग नी बहू पत्री लिंग और चित्रकला नाम से भी जाना जाता है

बाइट जगजीत सिंह छाबड़ा मूर्तिकार
बाइट तुलसीराम मंदिर के महंत
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