इंदौर। पूरे देश में एक ओर जहां लॉकडाउन का असर सभी प्रकार के व्यापार पर हुआ है, तो वहीं इन व्यापार से होने वाली कमाई पर भी इसका असर दिखाई दे रहा है. कोरोना महामारी ने कई व्यापारियों की आर्थिक स्थिति को बदल दिया है. लोगों की वित्तीय हालात खराब हुई तो छोटे व्यवसाय भी बंद होने लगे, जिसके कारण कई सरकारी विभागों की आय पर भी इसका असर पड़ा.
कोरोना महामारी का सबसे ज्यादा असर छोटे व्यापारियों पर दिखाई दिया. जिनके व्यापार को पूरी तरह से कोरोना ने खत्म कर दिया. इसका असर नगर निगम के राजस्व पर भी पड़ा, नगर निगम में हर साल 4 करोड़ से अधिक का राजस्व ट्रेड लाइसेंस को लेकर आता था, लेकिन इस बार कई व्यापारी अपना लाइसेंस रिन्यू कराने नगर निगम पहुंचे ही नहीं.
इंदौर नगर निगम में ट्रेड लाइसेंस के कारण नगर निगम को करोड़ों का राजस्व मिलता है. शहर में बड़ी संख्या में व्यापारी ट्रेड लाइसेंस नगर निगम से जारी करवाते हैं और शहर में अपना व्यापार करते हैं. अधिकारियों की मानें तो लगभग शहर में एक लाख से अधिक ऐसे छोटे व्यापारी हैं. जो नगर निगम से लाइसेंस बनवा कर व्यापार कर रहे हैं. लेकिन कोरोनावायरस का असर यहां पर भी दिखाई दे रहा है.
नगर निगम के राजस्व विभाग में ट्रेड लाइसेंस को लेकर आने वाले आवेदनों की संख्या में कमी पाई गई है. हालांकि कोरोना संक्रमण के कारण लगाए गए लॉकडाउन को इसकी सबसे ज्यादा वजह माना जा रहा है.
4 करोड़ का राजस्व, 1 करोड़ 70 लाख पर सिमटा
नगर निगम को ट्रेड लाइसेंस से अच्छी खासी कमाई होती है. सालाना इनकम की बात करें, तो नगर निगम के द्वारा दुकान प्राइवेट ऑफिस, शॉपिंग कॉन्प्लेक्स में मौजूद दुकानें और अन्य व्यावसायिक संस्थाओं के नए लाइसेंस और नवीनीकरण से 4 करोड़ रुपए से अधिक की आय होती है. कोरोना संक्रमण के कारण एक ओर जहां नगर निगम की इनकम घट गई है, तो वहीं लाइसेंस बनने का ग्राफ भी गिर गया है.
छोटे व्यापार बंद होने से कम आ रहे आवेदन, नए व्यवसाय के आवेदन भी हुए बंद
इंदौर में लगभग एक लाख से अधिक छोटे व्यापारी अपना व्यापार कर रहे हैं. जिनके लाइसेंस नगर निगम से बनते हैं, कोरोना महामारी के कारण सबसे ज्यादा असर छोटे व्यापारियों पर ही हुआ है और उनका व्यापार पूरी तरह से खत्म हो गया है. ऐसे में व्यापारी नगर निगम में लाइसेंस रिन्यू कराने के लिए भी नहीं पहुंच रहे हैं, वहीं एक ओर जहां पहले लाइसेंस बनवाने के लिए बड़ी संख्या में नवीन आवेदन आते थे, उनकी संख्या भी अब कम हो गई है.
हालांकि इसका सबसे बड़ा कारण यह भी माना जा रहा है कि कोरोना संक्रमण काल के कारण लोग अपने घरों से निकल ही नहीं पाए थे. उम्मीद थी कि अब लाइसेंस के लिए बड़ी संख्या में आवेदन निगम पहुंचेंगे, लेकिन वह भी अपेक्षा के अनुरूप नहीं हो रही है.