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इंदौर: तेजी से विकसित हो रहे शहर में नहीं हैं पर्याप्त CCTV, बनाएं जाएंगे कमांड सेंटर - Indore News

इंदौर में पुलिस के द्वारा 800 से अधिक सीसीटीवी कैमरे से शहर पर निगाह रखी जाती है, लेकिन इन कैमरों से अधिकतर समय पुलिस के द्वारा सिर्फ रेड सिग्नल क्रॉस करने और ट्रैफिक के नियम तोड़ने पर ही कानूनी कार्रवाई की जाती है. कई बार अपराधियों को पकड़ने में यह सीसीटीवी कैमरे पुलिस की मदद नहीं कर पाते हैं.

CCTV in Indore city
इंदौर शहर में पर्याप्त संख्या में CCTV नहीं हैं
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Published : Jan 12, 2021, 4:38 AM IST

इंदौर। शहर जिस तेजी से विकास हो रहा है उस तेजी से इंदौर शहर में नागरिकों की सुरक्षा के लिए कदम भी उठाए जा रहे हैं, लेकिन शहर में पुलिस की तीसरी आंख कहे जाने वाले सीसीटीवी कैमरों की संख्या को शहर की बढ़ती जनसंख्या के अनुपात में तेजी से बढ़ाने में पुलिस पूरी तरह से नाकाम साबित हो रही है. फिलहाल पुलिस स्मार्ट सिटी के तहत इंदौर शहर में किए जा रहे कामों पर निर्भर है और उसी के माध्यम से शहर में सीसीटीवी की सतर्कता के अभियान को बना रही है.

इंदौर शहर में पर्याप्त संख्या में CCTV नहीं हैं!

इंदौर देश के सबसे साफ शहरों में शामिल है, लेकिन यहां पर अपराध भी उसी तेजी से बढ़ रहे हैं. हालांकि इन वारदातों पर नजर रखने के लिए पुलिस ने अपनी तीसरी आंख को भी शहर में कई स्थानों पर लगा रखा है, लेकिन मेंटेनेंस के अभाव के चलते पुलिस की यह तीसरी आंख उसके काम में सहयोग करने के लिए पूरी तरह से सक्षम नहीं हो पा रही है. शहर में लगे सीसीटीवी कैमरों को पुलिस की तीसरी आंख कहा जाता है, जिससे कि पुलिस पूरे शहर पर नजर रखने का दावा करती आई है.

800 से अधिक सीसीटीवी कैमरा से पुलिस रखती है निगाह

फिलहाल इंदौर में पुलिस के द्वारा 800 से अधिक सीसीटीवी कैमरे से शहर पर निगाह रखी जाती है, लेकिन इन कैमरों से अधिकतर समय पुलिस के द्वारा सिर्फ रेड सिग्नल क्रॉस करने और ट्रैफिक के नियम तोड़ने पर ही कानूनी कार्रवाई की जाती है. कई बार अपराधियों को पकड़ने में यह सीसीटीवी कैमरे पुलिस की मदद नहीं कर पाते हैं. जिसकी सबसे बड़ी वजह इनका सही समय पर मेंटेनेंस ना होना है मेंटेनेंस के अभाव में शहर के कई सीसीटीवी कैमरे बंद है. ऐसे में जब अपराधी अपराध करके भागते हैं, तो पुलिस को उनकी लोकेशन का पता लगाना मुश्किल हो जाता है. 800 सीसीटीवी कैमरा से शहर में निगाह रखने के लिए पुलिस के द्वारा कमांड सेंटर भी बनाया गया है.

स्मार्ट सिटी की योजना के भरोसे पुलिस विभाग

इंदौर में पुलिस को अपने सीसीटीवी कैमरों की संख्या बढ़ाने के लिए अब स्मार्ट सिटी की योजनाओं पर आश्रित होना पड़ा है. पुलिस अधिकारियों का मानना है कि स्मार्ट सिटी के तहत शहर में लगाए जाने वाले सीसीटीवी कैमरे की मदद से पुलिस भी अब पूरे शहर पर निगाह रख सकेगी. इसके लिए पुलिस और स्मार्ट सिटी के दोनों कंट्रोल एंड कमांड सेंटर को आपस में जोड़ा भी गया है, ताकि सूचनाओं और निगरानी रखने के लिए दोनों विभाग एक दूसरे की तकनीकी की सहायता ले सकें.

सीसीटीवी संख्या बढ़ाने के लिए जनता से संवाद

शहर की कॉलोनियों में भी अपराध रोकने और अपराध होने के बाद जल्द ही अपराधियों को पकड़ने के लिए भी सीसीटीवी कैमरे लगाने की योजनाओं पर पुलिस अब काम करेगी. पुलिस विभाग के द्वारा हर थाना क्षेत्र में आम नागरिकों से संवाद कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे. जिसमें कि शहर की बड़ी टाउनशिप और कॉलोनियों में सीसीटीवी कैमरे लगाए जाने की समझाइश दी जाएगी और उसके फायदे आम जनता को बताए जाएंगे, ताकि नागरिक अपने मोहल्लों में सीसीटीवी कैमरे की मदद से खुद भी नजर रखें और आने वाले समय में पुलिस को भी इसकी मदद मिल सके.

फिलहाल इंदौर शहर में पहले से ही लगाए गए कई कैमरों के अलावा शहर की कई कॉलोनियों और गलियों में भी कैमरे लगाए गए थे, लेकिन रखरखाव के अभाव में यह कैमरे पूरी तरह से खराब हो गए है. अब देखना यह होगा कि आने वाले समय में लगने वाले सीसीटीवी कैमरों से पुलिस को अपराध रोकने में कितनी मदद मिलती है.

इंदौर। शहर जिस तेजी से विकास हो रहा है उस तेजी से इंदौर शहर में नागरिकों की सुरक्षा के लिए कदम भी उठाए जा रहे हैं, लेकिन शहर में पुलिस की तीसरी आंख कहे जाने वाले सीसीटीवी कैमरों की संख्या को शहर की बढ़ती जनसंख्या के अनुपात में तेजी से बढ़ाने में पुलिस पूरी तरह से नाकाम साबित हो रही है. फिलहाल पुलिस स्मार्ट सिटी के तहत इंदौर शहर में किए जा रहे कामों पर निर्भर है और उसी के माध्यम से शहर में सीसीटीवी की सतर्कता के अभियान को बना रही है.

इंदौर शहर में पर्याप्त संख्या में CCTV नहीं हैं!

इंदौर देश के सबसे साफ शहरों में शामिल है, लेकिन यहां पर अपराध भी उसी तेजी से बढ़ रहे हैं. हालांकि इन वारदातों पर नजर रखने के लिए पुलिस ने अपनी तीसरी आंख को भी शहर में कई स्थानों पर लगा रखा है, लेकिन मेंटेनेंस के अभाव के चलते पुलिस की यह तीसरी आंख उसके काम में सहयोग करने के लिए पूरी तरह से सक्षम नहीं हो पा रही है. शहर में लगे सीसीटीवी कैमरों को पुलिस की तीसरी आंख कहा जाता है, जिससे कि पुलिस पूरे शहर पर नजर रखने का दावा करती आई है.

800 से अधिक सीसीटीवी कैमरा से पुलिस रखती है निगाह

फिलहाल इंदौर में पुलिस के द्वारा 800 से अधिक सीसीटीवी कैमरे से शहर पर निगाह रखी जाती है, लेकिन इन कैमरों से अधिकतर समय पुलिस के द्वारा सिर्फ रेड सिग्नल क्रॉस करने और ट्रैफिक के नियम तोड़ने पर ही कानूनी कार्रवाई की जाती है. कई बार अपराधियों को पकड़ने में यह सीसीटीवी कैमरे पुलिस की मदद नहीं कर पाते हैं. जिसकी सबसे बड़ी वजह इनका सही समय पर मेंटेनेंस ना होना है मेंटेनेंस के अभाव में शहर के कई सीसीटीवी कैमरे बंद है. ऐसे में जब अपराधी अपराध करके भागते हैं, तो पुलिस को उनकी लोकेशन का पता लगाना मुश्किल हो जाता है. 800 सीसीटीवी कैमरा से शहर में निगाह रखने के लिए पुलिस के द्वारा कमांड सेंटर भी बनाया गया है.

स्मार्ट सिटी की योजना के भरोसे पुलिस विभाग

इंदौर में पुलिस को अपने सीसीटीवी कैमरों की संख्या बढ़ाने के लिए अब स्मार्ट सिटी की योजनाओं पर आश्रित होना पड़ा है. पुलिस अधिकारियों का मानना है कि स्मार्ट सिटी के तहत शहर में लगाए जाने वाले सीसीटीवी कैमरे की मदद से पुलिस भी अब पूरे शहर पर निगाह रख सकेगी. इसके लिए पुलिस और स्मार्ट सिटी के दोनों कंट्रोल एंड कमांड सेंटर को आपस में जोड़ा भी गया है, ताकि सूचनाओं और निगरानी रखने के लिए दोनों विभाग एक दूसरे की तकनीकी की सहायता ले सकें.

सीसीटीवी संख्या बढ़ाने के लिए जनता से संवाद

शहर की कॉलोनियों में भी अपराध रोकने और अपराध होने के बाद जल्द ही अपराधियों को पकड़ने के लिए भी सीसीटीवी कैमरे लगाने की योजनाओं पर पुलिस अब काम करेगी. पुलिस विभाग के द्वारा हर थाना क्षेत्र में आम नागरिकों से संवाद कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे. जिसमें कि शहर की बड़ी टाउनशिप और कॉलोनियों में सीसीटीवी कैमरे लगाए जाने की समझाइश दी जाएगी और उसके फायदे आम जनता को बताए जाएंगे, ताकि नागरिक अपने मोहल्लों में सीसीटीवी कैमरे की मदद से खुद भी नजर रखें और आने वाले समय में पुलिस को भी इसकी मदद मिल सके.

फिलहाल इंदौर शहर में पहले से ही लगाए गए कई कैमरों के अलावा शहर की कई कॉलोनियों और गलियों में भी कैमरे लगाए गए थे, लेकिन रखरखाव के अभाव में यह कैमरे पूरी तरह से खराब हो गए है. अब देखना यह होगा कि आने वाले समय में लगने वाले सीसीटीवी कैमरों से पुलिस को अपराध रोकने में कितनी मदद मिलती है.

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