इंदौर। प्रदेश का सबसे बड़ा अस्पताल चूहों के आतंक से जूझ रहा है. आलम यह है कि यहां भर्ती मरीजों को न सिर्फ बीमारी से बल्कि चूहों से भी अपनी जान बचानी होती है. यहां जिम्मेदारी के नाम पर अस्पताल प्रशासन और नर्सिंग स्टाफ एक दूसरे को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं. दरअसल, महाराजा यशवंत राव होलकर अस्पताल के अंदर चूहों की भरमार है. अस्पताल के सभी वार्डों से लेकर स्टोर रूम, बर्न यूनिट, मोर्चरी और एनआईसीयू और एसएनसीयू में चूहों का डेरा है, स्थिति यह है कि कभी भी कोई चूहा या तो अस्पताल में भर्ती मरीजों को काट लेता हैं या फिर दवाइयों या अन्य जरूरी उपकरण को नुकसान पहुंचा देते हैं.
- चूहों ने काट लिया नवजात के पैर का अंगूठा
ताजा मामले में यहां बच्चों के एनआईसीयू यूनिट में भर्ती एक नवजात के पैर का अंगूठा और ऐडी चूहों ने कुतर दी. जब परिजनों ने हंगामा किया तो अस्पताल प्रशासन को जांच कमेटी बनाकर 2 नर्सों को सस्पेंड करना पड़ा. लिहाजा चूहों के कारण इस कार्रवाई से नाराज नर्सिंग स्टाफ अब अस्पताल के खिलाफ हड़ताल और आंदोलन पर उतारू हैं. दरअसल, नर्सिंग स्टाफ की नाराजगी इस बात को लेकर है कि चूहों से मरीजों को बचाने की जिम्मेदारी भी अस्पताल प्रशासन ने नर्सिंग स्टाफ पर डाल रखी है, जबकि नर्सिंग स्टाफ का आरोप यह है कि वे मरीजों की देखभाल कर सकते हैं, लेकिन 24 घंटे मरीज पर निगरानी रखकर उन्हें चूहों से नहीं बचा सकते.
- 55 लाख रुपए का दिया था ठेका
हालांकि, इस चुनौती से बचने के लिए एमवाय अस्पताल प्रशासन ने एचएलएल नामक पेस्ट कंट्रोल कंपनी को 55 लाख रुपए का ठेका दिया था. कंपनी द्वारा चूहों को पकड़ने के लिए जो बॉक्स लगाए गए उनके जरिए इक्का-दुक्का चूहे भी पकड़ में नहीं आ सके. हालांकि, अब पेस्ट कंट्रोल कंपनी और एमवाय अस्पताल प्रशासन चूहों की मनमानी के कारण कटघरे में है.
- पेस्ट कंट्रोल कंपनी पर जुर्माना
दरअसल, 18 मई को अस्पताल के आईसीयू में भर्ती प्रियंका नामक महिला के बच्चे का अंगूठा और एड़ी चूहों ने कुतर थी. मामला उजागर हुआ तो अस्पताल प्रशासन ने 3 सदस्यों की कमेटी बनाने के बाद नरसिंह सिस्टर ज्योति पाल को सस्पेंड कर दिया था. इसके विरोध में अब एमवाय अस्पताल समेत अन्य अस्पतालों के 1000 नर्सिंग स्टाफ के लोग विरोध एवं आंदोलन पर उतारू हैं. इसके अलावा अस्पताल प्रशासन ने साफ-सफाई और पेस्ट कंट्रोल का काम देखने वाली एचएलएल कंपनी के दो कर्मचारियों को निलंबित कर कंपनी के खिलाफ 1 लाख रुपए का जुर्माना लगाया है.
- मल्टीविटामिन खा जाते हैं चूहे
अस्पताल के नर्सिंग स्टाफ के अनुसार डेढ़ महीने पहले यहां चूहों ने डॉक्टर को भी काट लिया था. इसके पहले अस्पताल की मोर्चरी में रखी एक बॉडी को भी चूहों ने नुकसान पहुंचाया था. तब भी यह मामला सुर्खियों में आया था, अब बताया जा रहा है कि अस्पताल के मेडिसिन स्टोर में रखी दवाइयों को हर साल बड़ी मात्रा में चूहे खा रहे हैं, जिसमें बड़ी संख्या में मल्टीविटामिन को नुकसान पहुंच रहा है. चूहों की मौजूदगी फर्स्ट फ्लोर से लेकर छठवीं मंजिल के अलावा स्टोर और स्त्री रोग विभाग में ज्यादा देखी जा रही है.
- कायाकल्प अभियान भी बेअसर
2 साल पहले एमवाय अस्पताल में चले कायाकल्प अभियान के तहत चूहों को जिंक फास्फेट देकर मारा गया था. बताया जाता है उस दौरान करीब 3000 चूहे मारे गए थे. उस दौरान चूहे मारे जाने का कुछ संस्थाओं ने विरोध भी किया था, लेकिन अब जबकि फिर चूहों की संख्या अस्पताल में तेजी से बढ़ रही है. तो फिर चूहों के खिलाफ अभियान की उम्मीद की जा रही है.
- चूहों के लिए खर्च किए डेढ़ करोड़ रुपए
एमवाय अस्पाताल में प्रबंधन ने चूहों से निजात पाने के लिए 2015 में करीब डेढ़ करोड़ रुपए खर्च किए थे. लेकिन चूहे खत्म नहीं हुए. प्रबंधन का कहना था कि कई स्थानों पर चूहे पकड़ने के लिए पिंजरे भी लगाए गए थे. इसके बाद भी यह घटना हुई.