इंदौर। कोर्ट का फर्जी दस्तावेज बना प्रमोशन पाने वाले बर्खास्त आईएएस संतोष वर्मा 17 जुलाई तक पुलिस रिमांड पर हैं, पुलिस पूछताछ से मिले सुराग को कड़ी दर कड़ी जोड़ रही है, ताकि असली गुनहगारों पर पहुंच सके. अनुमान है कि जल्द पुलिस कोर्ट से जुड़े कुछ अधिकारियों को भी आरोपी बना सकती है क्योंकि एमजी रोड पुलिस के हाथ कुछ ऐसे तथ्य लगे हैं. बर्खास्त आईएएस संतोष वर्मा से सीएसपी-एसपी पूछताछ कर रहे हैं. साथ ही बयानों की तस्दीक भी कर रही है.
संतोष वर्मा की कथित पत्नी ने सीएसपी हरीश मोटवानी के सामने बयान दर्ज कराया है, उसने पुलिस को बताया कि उसके केस में न्यायाधीश और प्रशासनिक अफसर षडयंत्र रच रहे थे, ताकि उसे वर्मा से दूर कर सकें, पर वह लड़ती रही, इसीलिए लगातार उसे फंसाने के लिए हर बार कुछ न कुछ षडयंत्र रचता रहा, इसके अलावा उसने और भी कई बातें सीएसपी के सामने रखी है. उसने सीएसपी को बताया कि उसने शादी की है, पर वर्मा को लग रहा था कि वह उसकी संपत्ति हड़पना चाहती हैं. पर ऐसा नहीं था, इसीलिए वह उस पर दबाव बनाया, झूठे प्रकरण भी दर्ज करवाए.
उसने जेल भिजवाने की भी पूरी तैयारी कर ली थी, हर जगह और हर प्लेटफार्म पर अपने साक्ष्य रखी, इसलिए हर बार निर्दोष साबित होती रही. उसके खिलाफ बहुत बड़े लेवल पर साजिश रची जा रही है, इसमें न्यायधीश और प्रशासनिक स्तर के अफसर भी शामिल थे. इस दौरान वर्मा के आरोपों को उनकी कथित पत्नी ने झूठा बताया है, शाम को टीआई और सीएसपी ने संतोष वर्मा से सामान्य पूछताछ की थी, वह हमेशा अपने ऊपर लगे आरोप टालता रहा, पुलिस उसकी वाइस टेस्टिंग जांच के लिए भेजेगी, ताकि उसके मोबाइल में मिली रिकॉर्डिंग की सही जांच हो सके.
सामान्य प्रशासन विभाग ने IAS को किया सस्पेंड
आईएएस की गिरफ्तारी मामले में सामान्य प्रशासन विभाग ने पुलिस महानिरीक्षक से प्रतिवेदन मांगा था, जिसके मिलने पर प्रतिवेदन का प्रारंभिक परीक्षण किया गया और फिर सामान्य प्रशासन विभाग ने वर्मा को निलंबित कर दिया है. फर्जी आदेश का यह मामला करीब 4 साल पुराना है. वर्मा का नाम आईएएस अवार्ड के लिए प्रस्तावित होने के बाद उनकी महिला मित्र की शिकायत परेशानी न बन जाए, इसलिए फर्जी आदेश बनाकर सामान्य प्रशासन विभाग को सौंपा गया था.
11 जुलाई को किया था गिरफ्तार
11 जुलाई की देर रात गिरफ्तारी के बाद आईएएस को कोर्ट में पेश करने से पहले सीएसपी हरीष मोटवानी ने पूछताछ की थी. इस दौरान IAS ने कई खुलासे पुलिस के सामने किए थे. पुलिस को उम्मीद है कि 2 दिन की रिमांड में IAS कई और खुलासे कर सकते हैं. साथ ही IAS का साथ देने वालों की गिरफ्तारी की उम्मीद की जा रही है.
कोर्ट से जुड़े अधिकारियों पर शक
इस मामले में IAS ने पुलिस को बताया कि उसने IAS अवॉर्ड के लिए सिर्फ फैसले की नकल निकलवाई थी, जबकि पुलिस का मानना है कि इस मामले में न्यायालय से जुड़े कुछ लोगों ने IAS की मदद की है. ऐसे में पुलिस संतोष वर्मा से उन नामों को उगलवाने की कोशिश कर रही है, जिन्होंने उनकी मदद की थी.
क्यों गिरफ्तार हुआ IAS संतोष वर्मा?
IAS वर्मा के खिलाफ 27 जून को एमजी रोड पुलिस ने न्यायाधीश की रिपोर्ट पर धोखाधड़ी और कूट रचित दस्तावेज तैयार करने का मामला दर्ज किया था. अफसरों ने वल्लभ भवन (भोपाल) से अनुमति ली और शनिवार रात करीब 12 बजे गिरफ्तार कर लिया. इस मामले में कोर्ट की ओर से ही 27 जून को एमजी रोड थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी.
किस मामले में चल रहा था केस?
नवंबर में एक युवती ने थाने में शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें उसने कहा था कि उज्जैन के अपर कलेक्टर संतोष वर्मा ने उसको शादी का झांसा दिया और लिव इन में रखा. उसने ये भी बताया था कि वह संतोष के साथ प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी की थी. इसी दौरान दोस्ती हुई, जो प्रेम में बदल गई. दोनों ने विवाह भी कर लिया था. जब वह हरदा में पदस्थ थे, तब उन्होंने पत्नी की तरह सरकारी क्वार्टर में साथ रखा था. उसके बाद उनका ट्रांसफर उज्जैन हो गया तो युवती को टाउनशिप में घर दिलवाया था.
आईएएस संतोष वर्मा पर आरोप है कि उन्होंने पदोन्नति के लिए कोर्ट के नाम से कूटरचित दस्तावेज तैयार किए, जब इस मामले की जांच हुई तो इन दस्तावेजों की पोल खुल गई, जो दस्तावेज संतोष वर्मा ने पेश किए थे वो कोर्ट से निकलवाने की प्रक्रिया काफी लंबी है. कई तरह के विभागों से होते हुए दस्तावेज मिलते हैं. आईएएस ने फर्जी तरीके से दस्तावेज बनाएं, उससे कोर्ट के अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं. पुलिस उस कड़ी का पता लगाने में जुटी हुई है, जो इसमें मददगार थे.
दस्तावेजों पर कोर्ट के सील और साइन
पुलिस को एडीपीओ सहित कोर्ट से जुड़े अन्य अधिकारियों पर शक है, संतोष वर्मा ने पदोन्नति के लिए डीपीआर में जो दस्तावेज लगाए थे, उन पर कोर्ट से संबंधित सील और साइन मौजूद है. ऐसे में पुलिस को शक है कि कोर्ट से संबंधित अधिकारियों की संलिप्तता है. हाई प्रोफाइल मामला होने से पुलिस काफी सतर्कता भी बरत रही है.
पदोन्नति के दस्तावेजों की होगी जांच
जिस तरह आईएएस अधिकारी ने फर्जी दस्तावेज तैयार कर पदोन्नति पाई थी, ऐसे में संतोष वर्मा की पहली पदोन्नति पर भी शक गहरा रहा है. पुलिस अब संतोष वर्मा की पुरानी पदोन्नति के दस्तावेजों की भी जांच कर सकती है. संतोष वर्मा जिस पद पर पदस्थ हुए थे, वहां से धीरे-धीरे अन्य पदों पर होते हुए प्रतिनियुक्ति तक पहुंचे थे.