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इंदौर के सुगनी देवी जमीन घोटाले पर 'सुप्रीम' नोटिस

इंदौर के सुगनी देवी जमीन घोटाले में सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए विधायक रमेश मेंदोला और विमल कुमार जैन को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.

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सुप्रीम कोर्ट
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Published : Feb 22, 2021, 10:08 AM IST

इंदौर : बहुचर्चित सुगनी देवी जमीन घोटाला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है, लोकायुक्त ने एक एसएलपी सुप्रीम कोर्ट में दायर की थी. जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए विधायक रमेश मेंदोला और विमल कुमार जैन को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. अब मामले की सुनवाई मार्च में होगी.

हाईकोर्ट और जिला कोर्ट ने विधायक सहित अन्य को दी राहत

सुगना देवी की जमीन घोटाले को लेकर पूरा मामला इंदौर हाईकोर्ट और जिला कोर्ट में भी चला. लेकिन सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने विधायक रमेश मेंदोला सहित अन्य लोगों को इस पूरे मामले में डिस्चार्ज कर दिया था.

वहीं इस पूरे मामले के 12 आरोपियों को भी डिस्चार्ज किए जाने को लेकर याचिका जिला व सत्र न्यायालय में भी दाखिल की गई थी, सुनवाई करते हुए जिला कोर्ट ने इस मामले से संबंधित लोगों को डिस्चार्ज कर दिया था. लेकिन तीन निगम के पूर्व इंजीनियर सहित चार आरोपी अभी भी इस पूरे मामले में रह गए हैं जिनके खिलाफ केस चलेगा.

100 करोड़ की तीन एकड़ जमीन का है मामला

दरअसल तीन एकड़ जमीन 100 करोड़ रुपए के घोटाले से संबंधित है और इस पूरे मामले की आंच विधायक रमेश मेंदोला सहित अन्य लोगों तक भी पहुंची थी. लेकिन इन्दौर हाई कोर्ट और जिला कोर्ट से राहत मिलने के बाद मामला ठंडे बस्ते में चला गया था लेकिन इस पूरे मामले को लेकर लोकायुक्त सुप्रीम कोर्ट चले गए और सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए विधायक रमेश मेंदोला सहित एक अन्य को नोटिस जारी कर दिया, अब इस पूरे मामले में एक बार फिर जिन लोगों को हाईकोर्ट और जिलाकोर्ट ने डिस्चार्ज किया है उनके लिए हाईकोर्ट में अपील की जाएगी.

कछुआ चाल पर 'सरकार की सफाई'

लीज अधिकार बेचने का है आरोप

परदेशीपुरा क्षेत्र में आठ एकड़ जमीन शासन ने हिम्मतलाल एंड कंपनी को फैक्ट्री के लिए साल 1940 में लीज पर दी थी. इसमें पांच एकड़ जमीन वापस लेने के लिए निगम ने कोर्ट में दावा किया था. इसके बाद हिम्मतलाल एंड कंपनी का नाम बदलकर धनलक्ष्मी केमिकल इंडस्ट्री कर दिया गाय. धन लक्ष्मी और निगम के बीच हुए समझौते के आधार पर 5 एकड़ जमीन कंपनी ने नगर निगम को सौंप दी. जबकि तीन एकड़ जमीन धनलक्ष्मी केमिकल के भागीदारों को लीज पर दे दी. ये लीज 30 साल के लिए 1980 से 2010 तक 30 वर्ष के लिए थी. धनलक्ष्मी कंपनी ने साल 1989 में तीन एकड़ जमीन में से 10 हजार वर्गफीट भाग पर नगर निगम से नक्शा मंजूर करवा कर बहुमंजिला भवन बना लिया. तब कंपनी के मुख्य भागीदार नगीन कोठारी व विजय कोठारी हो गए. इन्होंने साल लीज अवधि समाप्त करने के पहले यानि वर्ष 2010 के पहले ही लीज अधिकार नंदानगर सहकारी साख संस्था को बेचते हुए लीज ट्रांसफर कर दी. आरोप पत्र में कहा गया था कि लीज डायवर्शन नहीं कराने से शासन को 7,71,727 रुपए की हानि हुई. निगम अफसरों पर आरोप था कि उन्होंने अन्य आरोपियों से सांठगांठ कर लाभ पहुंचाया गया था, जिसके बाद इस मामले में कई लोग फंसे थे.

मार्च में होगी सुनवाई

फिलहाल अब इस पूरे मामले में मार्च में सुनवाई होगी. लेकिन जिस तरह से एक बार फिर सुगना देवी घोटाला सामने आया है उसको देखते हुए राजनीतिक सरगर्मियां भी तेज हो सकती हैं.

इंदौर : बहुचर्चित सुगनी देवी जमीन घोटाला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है, लोकायुक्त ने एक एसएलपी सुप्रीम कोर्ट में दायर की थी. जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए विधायक रमेश मेंदोला और विमल कुमार जैन को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. अब मामले की सुनवाई मार्च में होगी.

हाईकोर्ट और जिला कोर्ट ने विधायक सहित अन्य को दी राहत

सुगना देवी की जमीन घोटाले को लेकर पूरा मामला इंदौर हाईकोर्ट और जिला कोर्ट में भी चला. लेकिन सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने विधायक रमेश मेंदोला सहित अन्य लोगों को इस पूरे मामले में डिस्चार्ज कर दिया था.

वहीं इस पूरे मामले के 12 आरोपियों को भी डिस्चार्ज किए जाने को लेकर याचिका जिला व सत्र न्यायालय में भी दाखिल की गई थी, सुनवाई करते हुए जिला कोर्ट ने इस मामले से संबंधित लोगों को डिस्चार्ज कर दिया था. लेकिन तीन निगम के पूर्व इंजीनियर सहित चार आरोपी अभी भी इस पूरे मामले में रह गए हैं जिनके खिलाफ केस चलेगा.

100 करोड़ की तीन एकड़ जमीन का है मामला

दरअसल तीन एकड़ जमीन 100 करोड़ रुपए के घोटाले से संबंधित है और इस पूरे मामले की आंच विधायक रमेश मेंदोला सहित अन्य लोगों तक भी पहुंची थी. लेकिन इन्दौर हाई कोर्ट और जिला कोर्ट से राहत मिलने के बाद मामला ठंडे बस्ते में चला गया था लेकिन इस पूरे मामले को लेकर लोकायुक्त सुप्रीम कोर्ट चले गए और सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए विधायक रमेश मेंदोला सहित एक अन्य को नोटिस जारी कर दिया, अब इस पूरे मामले में एक बार फिर जिन लोगों को हाईकोर्ट और जिलाकोर्ट ने डिस्चार्ज किया है उनके लिए हाईकोर्ट में अपील की जाएगी.

कछुआ चाल पर 'सरकार की सफाई'

लीज अधिकार बेचने का है आरोप

परदेशीपुरा क्षेत्र में आठ एकड़ जमीन शासन ने हिम्मतलाल एंड कंपनी को फैक्ट्री के लिए साल 1940 में लीज पर दी थी. इसमें पांच एकड़ जमीन वापस लेने के लिए निगम ने कोर्ट में दावा किया था. इसके बाद हिम्मतलाल एंड कंपनी का नाम बदलकर धनलक्ष्मी केमिकल इंडस्ट्री कर दिया गाय. धन लक्ष्मी और निगम के बीच हुए समझौते के आधार पर 5 एकड़ जमीन कंपनी ने नगर निगम को सौंप दी. जबकि तीन एकड़ जमीन धनलक्ष्मी केमिकल के भागीदारों को लीज पर दे दी. ये लीज 30 साल के लिए 1980 से 2010 तक 30 वर्ष के लिए थी. धनलक्ष्मी कंपनी ने साल 1989 में तीन एकड़ जमीन में से 10 हजार वर्गफीट भाग पर नगर निगम से नक्शा मंजूर करवा कर बहुमंजिला भवन बना लिया. तब कंपनी के मुख्य भागीदार नगीन कोठारी व विजय कोठारी हो गए. इन्होंने साल लीज अवधि समाप्त करने के पहले यानि वर्ष 2010 के पहले ही लीज अधिकार नंदानगर सहकारी साख संस्था को बेचते हुए लीज ट्रांसफर कर दी. आरोप पत्र में कहा गया था कि लीज डायवर्शन नहीं कराने से शासन को 7,71,727 रुपए की हानि हुई. निगम अफसरों पर आरोप था कि उन्होंने अन्य आरोपियों से सांठगांठ कर लाभ पहुंचाया गया था, जिसके बाद इस मामले में कई लोग फंसे थे.

मार्च में होगी सुनवाई

फिलहाल अब इस पूरे मामले में मार्च में सुनवाई होगी. लेकिन जिस तरह से एक बार फिर सुगना देवी घोटाला सामने आया है उसको देखते हुए राजनीतिक सरगर्मियां भी तेज हो सकती हैं.

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