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इंदौर: एमजीएम मेडिकल कॉलेज में शुरू हुआ प्लाज्मा थेरेपी का अध्ययन

इंदौर में कोरोना संक्रमित मरीजों के इलाज और संक्रमण को फैसले से रोकने के तमाम प्रयास प्रदेश सरकार के द्वारा किए जा रहे हैं. मेडिकल कॉलेज में प्लाज्मा थेरेपी का अध्ययन शुरू कर दिया गया है. ये थेरेपी कोरोना मरीजों के इलाज में कारगर साबित हो रही है.

Study and treatment of plasma therapy started at Indore Medical College
इंदौर मेडिकल कॉलेज में शुरू हुआ प्लाज्मा थेरेपी का अध्ययन और उपचार
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Published : May 8, 2020, 11:10 AM IST

इंदौर। कोरोना महामारी के हॉटस्पॉट बन चुके इंदौर में संक्रमित मरीजों को इलाज मुहैया करवाने के साथ- साथ संक्रमण को फैलने रोकने के तमाम कोशिशें की जा रही है. जिसके तहत इंदौर मेडिकल कॉलेज में प्लाज्मा थेरेपी की पढ़ाई शुरु कर दी गई है, ये पद्धति कोरोना मरीजों के इलाज में कारगत साबित हो रही है.

आईसीएमआर द्वारा देश के 21 मेडिकल कॉलेजों में प्लाज्मा थेरेपी का अध्ययन और इसकी मदद से मरीजों का उपचार शुरू किया जा रहा है. इसी बीच महू में पदस्थ आईपीएस ऑफिसर आदित्य मिश्रा ने स्वयं एमवाय अस्पताल जाकर एफरेसिस मशीन से अपना प्लाज्मा डोनेट किया. इस प्लाज्मा का पूर्णतः परीक्षण और एंटीबॉडी के लेवल का पता लगाने के बाद ही संक्रमित मरीजों के उपचार के लिए इसका इस्तेमाल किया जाएगा.

दरअसल भारत सरकार और आईसीएमआर ने प्लाज्मा थेरेपी पर किसी अस्पताल या संस्था के द्वारा बिना परमिशन के किसी भी तरह के उपचार और प्रयोग पर रोक लगा रखी है. अभी तक मध्यप्रदेश में सिर्फ एमजीएम मेडिकल कॉलेज इंदौर और गांधी मेडिकल कॉलेज भोपाल को ही अधिकृत अनुमति प्राप्त हुई है. एमजीएम मेडिकल कॉलेज के ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग के पास तीन आधुनिक एफरेसिस मशीनें हैं. जिसमें पूर्णतः सुरक्षित पद्धति से सभी जांच करने के बाद और आईसीएमआर के द्वारा निर्धारित मापदंडों के पश्चात ही प्लाज्मा एकत्रित किया जाता है.

इंदौर। कोरोना महामारी के हॉटस्पॉट बन चुके इंदौर में संक्रमित मरीजों को इलाज मुहैया करवाने के साथ- साथ संक्रमण को फैलने रोकने के तमाम कोशिशें की जा रही है. जिसके तहत इंदौर मेडिकल कॉलेज में प्लाज्मा थेरेपी की पढ़ाई शुरु कर दी गई है, ये पद्धति कोरोना मरीजों के इलाज में कारगत साबित हो रही है.

आईसीएमआर द्वारा देश के 21 मेडिकल कॉलेजों में प्लाज्मा थेरेपी का अध्ययन और इसकी मदद से मरीजों का उपचार शुरू किया जा रहा है. इसी बीच महू में पदस्थ आईपीएस ऑफिसर आदित्य मिश्रा ने स्वयं एमवाय अस्पताल जाकर एफरेसिस मशीन से अपना प्लाज्मा डोनेट किया. इस प्लाज्मा का पूर्णतः परीक्षण और एंटीबॉडी के लेवल का पता लगाने के बाद ही संक्रमित मरीजों के उपचार के लिए इसका इस्तेमाल किया जाएगा.

दरअसल भारत सरकार और आईसीएमआर ने प्लाज्मा थेरेपी पर किसी अस्पताल या संस्था के द्वारा बिना परमिशन के किसी भी तरह के उपचार और प्रयोग पर रोक लगा रखी है. अभी तक मध्यप्रदेश में सिर्फ एमजीएम मेडिकल कॉलेज इंदौर और गांधी मेडिकल कॉलेज भोपाल को ही अधिकृत अनुमति प्राप्त हुई है. एमजीएम मेडिकल कॉलेज के ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग के पास तीन आधुनिक एफरेसिस मशीनें हैं. जिसमें पूर्णतः सुरक्षित पद्धति से सभी जांच करने के बाद और आईसीएमआर के द्वारा निर्धारित मापदंडों के पश्चात ही प्लाज्मा एकत्रित किया जाता है.

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